समुद्री डकैती

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सन् १७१८ में ब्लैकबियर्ड (अर्थ: काली दाढ़ी) नामक समुद्री डाकू पर धावे और गिरफ़्तारी का दृश्य
पुराने ज़माने में समुद्री डाकू अपनी नौकाओं से अक्सर इस 'जॉली रॉजर' नामक ध्वज को फहराया करते थे

समुद्री डकैती समुद्र पर यात्रा कर रही नौका और उसके मुसाफ़िरों पर हुई डकैती या हिंसात्मक चोरी को कहा जाता है। समुद्री डकैती करने वाले अपराधियों को समुद्री डाकू या जल दस्यु कहा जाता है। ऐसे अपराध की रोकथाम करना अक्सर मुश्किल होता है क्योंकि समुद्र का क्षेत्रफल विशाल है (पूरे भूमि के क्षेत्रफाल से तीन गुना) और ऐसे समुद्री डाकू अक्सर अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के पार काम करते हैं, यानि किसी एक देश की पुलिस या सेना उन्हें रोक नहीं पाती। मसलन पूर्वी अफ़्रीका के सोमालिया देश के अड्डों से आने वाले समुद्री डाकुओं ने भारत के तट के पास से समुद्री जहाज़ों का अपहरण किया है।[१]

अन्य भाषाओं में

'समुद्री डाके' को अंग्रेज़ी में 'पाइरसी' (piracy) और 'समुद्री डाकुओं' को 'पाइरेट' (pirate) कहते हैं। 'समुद्री डाकुओं' को फ़ारसी में 'दुज़्द दरियाई' (دزد دریایی‎) यानि 'दरियाई चोर' या 'समुद्री चोर' कहते हैं। यूनानी भाषा में इन्हें 'पेइरातेस' (πειρατής) कहते हैं।

भारत के जल दस्यु

भारत में बहुत से दस्यु थे। सबसे बड़ा दस्यु दल उत्तर भारत में झेलम नदी के दस्युओं का था। कई राजा अपने शत्रु राजाओं के जहाज़ों को लूटने के लिए उन्हें धन देते थे। झेलम नदी के तट पर सथित एक इलाके में दस्यु रहते थे। उस इलाके को दस्युलोक कहते थे। दस्युओं में स्त्री-पुरुष का कोई भेदभाव नहीं हुआ करता था और सभी को समान शिक्षा व अस्त्र-शस्त्र का अभ्यास दिया जाता था। दस्यु जल में २० मिनट तक साँस रोककर बड़ी तेज़ी से तैरा करते थे। एक दस्यु राजा अरुनायक व रानी महानंदनी की पुत्री लाची का विवाह राजा पोरस के साथ हुआ था।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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  1. Piracy: the complete history स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, Angus Konstam, Osprey Publishing, 2008, ISBN 978-1-84603-240-0