वडकुनाथन मन्दिर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
(वड्डकुन्नाथन मंदिर से अनुप्रेषित)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
वडकुनाथन मन्दिर
Vadakkunnathan Temple
തൃശ്ശൂർ വടക്കുന്നാഥ ക്ഷേത്രം
लुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
मंदिर का पश्चिम नाद द्वार
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धतासाँचा:br separated entries
देवताशिव
त्यौहारमहा शिवरात्रि
अवस्थिति जानकारी
अवस्थितिसाँचा:if empty
ज़िलात्रिस्सूर ज़िला
राज्यकेरल
देशसाँचा:flag/core
लुआ त्रुटि Module:Location_map में पंक्ति 408 पर: Malformed coordinates value।
भौगोलिक निर्देशांकसाँचा:coord
वास्तु विवरण
प्रकार(केरल शैली)
निर्मातासाँचा:if empty
निर्माण पूर्णअज्ञात (हज़ारों वर्ष होने की मान्यता)
ध्वंससाँचा:ifempty
आयाम विवरण
मंदिर संख्या3
स्मारक संख्या1
साँचा:designation/divbox
साँचा:designation/divbox
वेबसाइट
http://vadakkunnathantemple.com/

साँचा:template otherस्क्रिप्ट त्रुटि: "check for unknown parameters" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।साँचा:main otherवडकुनाथन मंदिर केरल के त्रिशूर नगर में स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है। इसे 'टेंकैलाशम' (तमिल: தென் கைலாயம்) तथा 'ऋषभाचलम्' भी कहते हैं।[१][२]

परिचय

त्रिश्शूर एक खूबसूरत प्राचीन शहर और केरल की सांस्कृतिक राजधानी है। भूतपूर्व कोचिन रियासत के महाराजा राम वर्मा (९ वां) (शक्तन तम्बुरान) (1790 – 1805) के समय त्रिश्शूर ही रियासत की राजधानि भी रही। नगर के मध्य में ही 9 एकड में फैला ऊंचे परकोटे वाला एक विशाल शिव मंदिर है जिसे वडकुनाथन कहते हैं। वडकुनाथन से तात्पर्य “उत्तर के नाथ” से है जो 'केदारनाथ' ही हो सकता है। प्राचीन साहित्य में इस बात का उल्लेख मिलता है कि इस मन्दिर में आदि शंकराचार्य के माता पिता ने संतान प्राप्ति के लिए अनुष्ठान किये थे। एक और सबंध भी है। यहाँ आदि शंकराचार्य की तथाकथित समाधि भी बनी है और उसके साथ एक छोटा सा मंदिर जिसमे उनकी मूर्ति भी स्थापित है। उल्लेखनीय है कि आदि शंकराचार्य की एक समाधि केदारनाथ मंदिर के पीछे भी है। वडकुनाथन के इस मंदिर के चारों तरफ 60 एकड में फैला घना सागौन का जंगल था जिसे शक्तन तम्बुरान ने कटवा कर लगभग ३ किलोमीटर गोल सडक का निर्माण करवाया था। यही आज का स्वराज राउंड है। किसी विलिचपाड (बैगा) के यह कह कर प्रतिरोध किये जाने पर कि ये जंगल तो शिव जी की जटाएं हैं, उस राजा ने अपने ही हाथ से उस बैगे का सर काट दिया था। इसी मंदिर के बाहर अप्रेल/मई में पूरम नामका उत्सव होता है जिसे देखने विदेशियों सहित लाखों लोग आते हैं।


इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "Lonely Planet South India & Kerala," Isabella Noble et al, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012394
  2. "The Rough Guide to South India and Kerala," Rough Guides UK, 2017, ISBN 9780241332894