सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, 2008
(लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप एक्ट 2008 से अनुप्रेषित)
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सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) को सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, 2008 के प्रावधानों द्वारा नियंत्रित किया जाता है, इसकी प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं : -
- एलएलपी एक नैगम निकाय और एक कानूनी इकाई होगी जो इसके भागीदार से यह अलग होगी। कोई भी दो या दो से अधिक व्यक्ति लाभ कमाने की दृष्टि से एक कानूनी रूप से व्यापार करने के लिए संबद्ध होते हैं तो ये अपना नाम एक निगमन दस्तावेज पर दे सकते हैं और इसे सीमित देयता भागीदारी बनाने के लिए रजिस्ट्रार के पास जमा कर सकते हैं। एलएलपी का एक शाश्वत आरोहण होगा।
- एक एलएलपी के भागीदारों के आपसी अधिकार और कर्तव्य तथा एलएलपी तथा इसके भागीदारों का नियंत्रण इन भागीदारों के बीच किए गए करार या एलएलपी तथा भागीदारों के बीच किए गए करार द्वारा नियंत्रित होगा जो एलएलपी अधिनियम 2008 के प्रावधानों के अधीन होगा। इस अधिनियम से करार को अपनी रुचि के अनुसार संकल्पित करने की नम्यता मिलती है।
- एलएलपी एक पृथक कानूनी इकाई होगी जिसे भागीदारों की देयता के साथ एलएलपी में उनके सहमत योगदान तक सीमित, परिसंपत्तियों की पूरी सीमा तक देयता होगी, जो मूर्त या अमूर्त प्रकार के अथवा मूर्त और अमूर्त दोनों प्रकार के हो सकते हैं। किसी भागीदार पर अन्य भागीदारों की स्वतंत्रता या अनधिकृत गतिविधियों या दुराचार की देयता नहीं होगी। एलएलपी और उनके भागीदारों की देयताएं, जिन्हें लेनदारों को विकपटन के आशय से कार्रवाई करता हुआ अथवा किसी कपट पूर्ण प्रयोजन में लिप्त पाया जाता है तो यह एलएलपी की किसी या सभी देनदारियों या अन्य देयताओं के लिए असीमित होगी ;
- प्रत्येक एलएलपी में कम से कम दो भागीदार होंगे और इसमें कम से कम दो व्यक्ति नामनिर्दिष्ट भागीदार के रूप में होंगे, जिसमें से कम से कम एक भारत का निवासी होगा। नामनिर्दिष्ट भागीदारों के कर्तव्य और बाध्यताएं कानून में बताए गए अनुसार होगी;
- एलएलपी को अपने कार्यों की स्थिति में वार्षिक लेखा विवरण को अनुरक्षित करने की बाध्यता होगी जिसमें सत्य और निष्पक्ष चित्र दर्शाया जाए। लेखा और शोधन क्षमता का विवरण प्रत्येक वर्ष प्रत्येक एलएलपी द्वारा रजिस्ट्रार के पास जमा कराया जाएगा। एलएलपी के लेखा का लेखापरीक्षण किया जाएगा, जो एलएलपी के किसी वर्ग के तहत केन्द्र सरकार द्वारा इस आवश्यकता से रियायत पाने के अधीन होगा;
- केन्द्र सरकार को आवश्यकता होने पर इस प्रयोजन के लिए नियुक्त सक्षम निरीक्षक द्वारा किसी एलएलपी के कार्यों की जांच कराने का अधिकार है;
- एलएलपी के समझौते या व्यवस्था सहित विलय और सम्मिलन का कार्य एलएलपी अधिनियम 2008 के प्रावधानों के अनुरूप किया जाएगा;
- एक फर्म, निजी कंपनी या एक गैर सूचीबद्ध सार्वजनिक कंपनी को अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार एलएलपी में परिवर्तित होने की अनुमति है। इस रूपांतरण पर इस विषय में रजिस्ट्रार द्वारा जारी पंजीकरण के प्रमाणपत्र की तिथि पर और उसके बाद रूपांतरण के प्रभाव उसी प्रकार होंगे जैसे एलएलपी अधिनियम में निर्दिष्ट हैं। पंजीकरण के प्रमाणपत्र में निर्दिष्ट पंजीकरण की तिथि को और उसके बाद से सभी मूर्त (चल या अचल) तथा अचल संपत्ति, जिसे कंपनी या फर्म में लगाया गया हो, सभी परिसंपत्तियां, ब्याज, अधिकार, लाभ, देयताएं, बाध्यताएं जो फर्म अथवा कंपनी से संबंधित हैं, तथा फर्म या कंपनी द्वारा एक संपूर्ण वचन, अंतरित किया जाएगा और इसे अगले किसी आश्वासन, अधिनियम या विलेख के बिना एलएलपी में निहित किया जाएगा और फर्म या कंपनी को विलीन माना जाएगा तथा इसे फर्म के रजिस्ट्रार या कंपनी के रजिस्ट्रार के विलेखों से हटा दिया जाएगा, जैसा भी मामला हो;
- एलएलपी का समापन स्वैच्छिक या ट्रिब्यूनल हो सकता है जिसे कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत स्थापित किया गया हो। जब तक ट्रिब्यूनल स्थापित किया जाता है इस विषय में अधिकार उच्च न्यायालय को दिए जाते हैं;
- एलएलपी अधिनियम 2008 में केन्द्र सरकार को कंपनी अधिनियम, 1956 के प्रावधान लागू करने का अधिकार प्रदान किया गया है, जैसा उचित हो और इसके लिए उक्त परिवर्तनों या संशोधनों के साथ अधिसूचना जारी की जाए, जैसा अनिवार्य हो। जबकि यह अधिसूचना संसद के प्रत्येक सदन के सामने प्रारूप के तौर पर कुल 30 दिनों की अवधि के लिए रखी जाएगी और यह दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित किसी संशोधन के अधीन होगी;
- भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932 सीमित देयता भागीदारी पर लागू नहीं होगा।
बाहरी कड़ियाँ
https://web.archive.org/web/20111012074202/http://llp.gov.in/files/LLP_Act_2008_15jan2009.pdf
यह भारतीय संविधान-सम्बन्धित लेख अपनी प्रारम्भिक अवस्था में है, यानि कि एक आधार है।
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