नक़्शा लाइकेन
नक़्शा लाइकेन या राइज़ोकार्पन ज्योग्रैफ़िकम लाइकेन की एक नस्ल है जो ऐसे ऊँचे पर्वतीय इलाक़ों में पत्थरों पर उगती हुई पाई जाती है जहाँ हवा में प्रदूषण बहुत कम हो। हर लाइकेन एक चपटा धब्बा सा दिखता जिसके इर्द-गिर्द काले बीजाणुओं (स्पोर) की धारी होती है। यह धब्बे एक दूसरे के साथ होते हैं जिस से देखने पर यह पत्थर पर बना एक नक़्शा-सा लगता है। इसी से इसका नाम नक़्शा लाइकेन पड़ा है।
अन्य भाषाओँ में
अंग्रेज़ी में "नक़्शा लाइकेन" को "मैप लाइकेन" (map lichen) कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम "राइज़ोकार्पन ज्योग्रैफ़िकम" (Rhizocarpon geographicum) है।
अंतरिक्ष में
सन् २००५ में यूरोपियाई अंतरिक्ष संसथान के "फ़ोटोन ऍम-२" नामक अंतरिक्ष यान पर नक़्शा लाइकेन अंतरिक्ष के खुले व्योम में १४.६ तक रखी गयी जहाँ इसपर सूरज की विकिरण (रेडियेशन) और ब्रह्माण्ड किरणें (कोज़मिक रेडियेशन) बरसती रही। वैज्ञानिकों का अनुमान था के ऐसी परिस्थितियों में जीवन का नाश हो जाता है। लेकिन जब नक़्शा लाइकेन की जाँच हुई तो उसे ज़िन्दा पाया गया।[१] ऐसे चरमपसंदी जीवों से खगोलजीव विज्ञान के अनुसंधान को बहुत बढ़ावा मिलता है और अन्य ग्रहों पर जीवन मिलने की उम्मीद भी बढ़ती है जहाँ पृथ्वी जितनी अनुकूल परिस्थितियाँ नहीं हैं।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ लाइकेन अंतरिक्ष में ज़िन्दा रह सकती है (अंग्रेज़ी में) स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, फ्रेज़र केन, ९ नवम्बर २००५, यूनिवर्स टुडे.