यूज़नेट
यूजनेट जिसे यूजर्स नेटवर्क भी कहते हैं, इंटरनेट की सबसे पुरानी सेवा है। यह एक ऐसी सुविधा है जिसकी सहायता से नेटवर्क में निहित सूचनाओं के भंडार को किसी विषय पर आधारित समूह में बांटा जा सकता है तथा एक विषय पर रूचि रखने वाले व्यक्ति सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकते हैं।[१] इसे १९७९ में ड्यूक विश्वविद्यालय, उत्तर कैरोलीना, अमरीका में डिजाइन किया गया था। इसके एक वर्ष उपरांत इसे नॉर्थ कैरोलिना विश्वविद्यालय में विकसित किया गया। इसके माध्यम से एक नेटवर्क से जुड़े कंप्यूटरों में लिखित संदेश का स्थानांतरण किया जा सकता है। यूजनेट कई हजार फोरम और समाचार समूहों (न्यूजग्रुप) को एक दूसरे से जोड़ता है।[२] न्यूजग्रुप वास्तव में बुलेटिन बोर्ड सिस्टम्स (बीबीएस) की तरह होते हैं। इस पर भेजे जाने वाले संदेश (पोस्ट) एक बढ़ते क्रम में दिखाई देते हैं। जब किसी संदेश पर नई चर्चा आरंभ की जाती है तो उसमें नया विषय जुड़ जाता है। न्यूजग्रुप पर सभी सदस्य संदेश पढ़ कर उस पर अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं। प्रतिक्रिया देते हुए सदस्य चाहें तो अपनी पहचान छुपा कर भी दे सकते हैं।
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यूजनेट एक तरीके से जालस्थल पर पंजीकृत किये गए सदस्यों के उस फोरम की अगली कड़ी है, जहां नेट पर चर्चा की जा सकती है। इसकी विशेषता यह है कि न्यूजग्रुप की तुलना में यहां किसी विषय पर गहराई से बहस करने के लिए अपेक्षाक्रुत अधिक लोग और अधिक अवसर होते हैं। इसकी मदद से सदस्य त्वरित गति से अन्य सदस्यों से जुड़ सकते हैं या फिर उन्हें प्रतिक्रियाएं दे सकते हैं। यूजनेट का भाग बनने के लिए न्यूज सर्वर की सहायता लेनी होती है। वहां तक गूगल द्वारा भी पहुंचा जा सकता है।[२] बीबीएस और यूजनेट में प्रमुख अंतर यह है कि बीबीएस में केवल एक नेटवर्क होता है और यह केवल एक सीमित क्षेत्र में काम कर सकता है। बीबीएस में एक संगठित क्रम होता है और उसके हर सदस्य के लिए एक विषय तय होता है।
हर न्यूजग्रुप की पहचान इसके विषय से ही होती है। इसी से इसकी एक सारणी या सूची बनती है, नए लोग इस सूची से विषय के अनुसार संदेश पढ़ सकते हैं। दूसरी ओर यूजनेट का नेटवर्क वैश्विक होता है और इसमें विश्व भर के लोग अपने संदेश लिखकर प्रतिक्रिया दे सकते हैं। एक यूजनेट पाठक के लिए अपनी पसंद के अनुसार न्यूजग्रुप चुनना और उसके विषय पर लिखना या चर्चा में शामिल होना सरल होता है। इंटरनेट पर यूजनेट पर हिन्दी का भी प्रयोग होता है। सामान्यतया लोगों की यही धारणा होती है कि पाठकों की रूचि बढ़ाने के लिए ब्लॉगिंग सबसे सही तरीका है, किन्तु ऐसा नहीं है। ब्लॉगिंग किसी व्यक्ति विशेष का एक तरफा संवाद होता है, दो तरफा संवाद सबसे बेहतर होता है, यही चर्चाओं का आधार होता है। इसके लिये यूज़नेट सर्वोत्तम है।[३]
यूज़नेट यातायात
समय के साथ यूज़नेट ट्रैफिक बढ़ता गया है। आज के समय में सभी बिग-८ न्यूज़ग्रुप समूहों द्वारा पोस्ट किये गए सभी पोस्टों की औसत संख्या १,८०० नये संदेश प्रति घंटा है और प्रतिदिन औसत २५,००० प्रतिघंटा है।[४] हालांकि ये औसत आंकड़े बाइनरी समूहों के यातायात की तुलना में बहुत तुच्छ हैं।[५] इस यातायात की बढ़ोत्तरी का अधिकतर श्रेय न्यूज़ग्रुप चर्चाओं या डिस्क्रीट उपयोक्ताओं में बढ़ोत्तरी को नहीं, वरन भारी ऑटोमेटेड स्पैमिंग तथा सार्वजनिक रूप से पोस्ट की गयी बड़ी-बड़ी संचिकाओं वाले बाईनरीज़ न्यूज़ग्रुप के प्रयोग में बढ़ोत्तरी को जाटा है। इन आंकड़ों में बदलाव (फीड आकार प्रतिदिन में मापा गया) की एक क्षुद्र झलक इस प्रकार से है:
दैनिक मात्रा | तिथि | स्रोत |
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४.५ जी.बी. | १९९६-१२ | Altopia.com |
९ गीगाबाइट | १९९७-०७ | Altopia.com |
१२ गीगाबाइट | १९९८-०१ | Altopia.com |
२६ गीगाबाइट | १९९९-०१ | Altopia.com |
८२ गीगाबाइट | २०००-०१ | Altopia.com |
१८१ गीगाबाइट | २००१-०१ | Altopia.com |
२५७ गीगाबाइट | २००२-०१ | Altopia.com |
४९२ गीगाबाइट | २००३-०१ | Altopia.com |
९६९ गीगाबाइट | २००४-०१ | Altopia.com |
१.३० टेराबाइट | २००४-०९-३० | Octanews.net |
१.२७ टेराबाइट | २००४-११-३० | Octanews.net |
१.३८ टेराबाइट | २००४-१२-३१ | Octanews.net |
१.५२ टेराबाइट | २००५-०१ | Altopia.com |
१.३४ टेराबाइट | २००५-०१-०१ | Octanews.net |
१.३० टेराबाइट | २००५-०१-०१ | Newsreader.com |
१.६७ टेराबाइट | २००५-०१-३१ | Octanews.net |
१.६३ टेराबाइट | २००५-०२-०१ | Newsreader.com |
१.८१ टेराबाइट | २००५-०२-२८ | Octanews.net |
१.८७ टेराबाइट | २००५-०३-०८ | Newsreader.com |
२.०० टेराबाइट | २००५-०३-११ | Various sources |
२.२७ टेराबाइट | २००६-०१ | Altopia.com |
२.९५ टेराबाइट | २००७-०१ | Altopia.com |
३.१२ टेराबाइट | २००७-०४-२१ | Usenetserver.com |
३.०७ टेराबाइट | २००८-०१ | Altopia.com |
३.८० टेराबाइट | २००८-०४-१६ | Newsdemon.com |
४.६० टेराबाइट | २००८-११-०१ | Giganews.com |
४.६५ टेराबाइट | २००९-०१ | Altopia.com |
५.४२ टेराबाइट | २०१०-०१ | Altopia.com |
सन्दर्भ
- ↑ सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी हिन्दी से हिन्दी शब्दार्थ स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।। राजभाषा ज्ञानधारा। १६ फ़रवरी २०१०
- ↑ अ आ यूजनेट स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।। हिन्दुस्तान लाइव। २३ जून २०१०
- ↑ ब्लॉग नहीं, यूज़नेट से बढ़ेगी हिन्दी स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।। निरंतर.कॉम। ९ अप्रैल २००५। देबाशीष चक्रवर्ती
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
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बाहरी कड़ियाँ
- हिन्दी जाल जगत – आगे क्या?। कॉल ऑनलाइन। रमण कॉल। २४ सितंबर २००५
- यूज़नेट और Newsgroups - इंटरनेट पर दुनिया