मुरैना ज़िला
मुरैना जिला | |
— जिला — | |
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |
देश | साँचा:flag |
राज्य | मध्य प्रदेश |
मुख्यालय | मुरैना |
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साँचा:coord मुरैना मध्य प्रदेश राज्य का एक जिला है। इसका मुख्यालय मुरैना में है। जिले के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 50 प्रतिशत भाग खेती योग्य है। जिले का 42.94 प्रतिशत क्षेत्र सिंचित हैं। नहर इस क्षेत्र की सिंचाई का मुख्य साधन है। जिले की मुख्य फसल गेहूँ है। सरसों का उत्पादन भी जिले में प्रचुर मात्रा में होता है। खरीफ की मुख्य फसल बाजरा है। यह जिला कच्ची घानी के सरसों के तेल के लिये पूरे मध्य प्रदेश में जाना जाता है।
इस जिले में पानी की आपूर्ति चम्बल, कुँवारी, आसन और शंक नदियों द्वारा होती है। चम्बल नदी का उद्गम इन्दौर जिले से हुआ है। यह नदी राजस्थानी इलाके से लगती हुई उत्तर-पश्चिमी सीमा में बहती है।
इतिहास
चम्बल नदी के बीहड़ो से घिरा यह भू-पटल जिसे हम आज मुरैना नाम से जानते है असल मे कभी "पेंच' नाम से विख्यात था और यह पेंच नाम यहां पर लगी सरसों के तेल मील के कारण ग्रामीणों द्वारा दिया गया आम नाम था। समय के साथ साथ जब यहां पर मील में मजदूरों की संख्या बढ़ने लगी तो उन लोगों ने पास ही अपने घर बनाने प्रारम्भ कर दिए जो कुछ ही दिनों बाद उस मील के निकटतम गाँव (मुरैना गांव)तक विस्तृत हो गया। अंततः मुरैना जिले के मुख्यालय से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मुरैना गांव ने वर्तमान शहर को नाम दिया "मुरैना" जिसका अर्थ होता है मोरों का रैना (वास-स्थल) बस्तुतः हमारे देश का राष्ट्रीय पक्षी मोर यहां आज भी हर मुंडेर पर दिख ही जायेगा।
सुप्रसिद्ध क्रान्तिकारी राम प्रसाद 'बिस्मिल' के दादा जी नारायण लाल का पैतृक गाँव बरबई तत्कालीन ग्वालियर राज्य में चम्बल नदी के बीहड़ों में स्थित तोमरधार क्षेत्र (वर्तमान मध्य प्रदेश) के मुरैना जिले में आज भी है। बरबई ग्राम-वासी बड़े ही बागी प्रकृति के व्यक्ति थे जो आये दिन अँग्रेजों व अँग्रेजी आधिपत्य वाले ग्राम-वासियों को तंग करते थे। पारिवारिक कलह के कारण नारायण लाल ने अपनी पत्नी विचित्रा देवी व दोनों पुत्रों - मुरलीधर एवं कल्याणमल सहित अपना पैतृक गाँव छोड़ दिया। उनके गाँव छोडने के बाद बरबई में केवल उनके दो भाई - अमान सिंह व समान सिंह ही रह गये जिनके वंशज कोक सिंह आज भी उसी गाँव में रहते हैं। केवल इतना परिवर्तन अवश्य हुआ है कि बरबई गाँव के एक पार्क में राम प्रसाद बिस्मिल की एक भव्य प्रतिमा मध्य प्रदेश सरकार ने स्थापित कर दी है। गोवा स्वतन्त्रता आंदोलन के पुरोधा जाहरसिंह शर्मा मुरैना जिले के ही निवासी थे।वो जनसंघ तथा भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य होकर जिले के सर्वमान्य राजनेता थे। जाहरसिंह जी शर्मा का जन्म सन 1925 में मुरैना के समीप ग्राम गंज रामपुर में एक कृषक परिवार में बोहरे कल्याणसिंह के यहां हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मुरैना नगर में हुई। छात्र जीवन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बन गये थे। उन्हें शारीरिक व्यायाम करने का शौक था तथा स्वभाव से निडर थे। इसलिए उनकी मित्रमंडली उन्हें नाम लेने की बजाय कुंवर साहब नाम से ही बुलाती थी। 1948 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लगे प्रतिबंध को हटाने के आंदोलन के दौरान श्रीनगर की जेल में बंद रहे।1952 में कश्मीर आंदोलन के दौरान गिरफ्तार होकर तिहाड़ जेल दिल्ली में बंद रहे। 1955 में गोवा के स्वतंत्रता आंदोलन में स्वर्गीय राजाभाऊ महाकाल के नेतृत्व में भाग लिया। आंदोलन के दौरान पुर्तगाली सैनिकों की गोली उनकी जंघा में लगी। 1957 में हिंदी रक्षा समिति आंदोलन के तहत पंजाब की संगरूर जेल में बंद रहे। 1960 में मुरैना में पुलिस डाकू गठबंधन के खिलाफ सर्वदलीय आंदोलन के दौरान कर्फ्यू लगाने के विरुद्ध हनुमान चौराहे पर अपनी छाती खोल कर खड़े हो गए तथा पुलिस को ललकारा हिम्मत है तो गोली मेरे ऊपर चलाओ! पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया मुरैना जेल में बंद रहे। 1962 में जनसंघ के आंदोलन के दौरान भोपाल जेल में बंद रहे। 1965 में कच्छ समझौते के विरुद्ध आंदोलन के अंतर्गत गिरफ्तारी दी (उक्त आंदोलन का मध्यभारत प्रांत के जत्थे का नेतृत्व स्वर्गीय माधवराव सिंधिया जी ने किया था ।1967 में मुरैना विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक निर्वाचित हुए।जून1975 से 1977 आपातकाल के समय काले कानून मीसा के अंतर्गत केंद्रीय कारागार ग्वालियर में 19 महीने बंद रहे। 1977 में विधानसभा क्षेत्र सुमावली से विधायक चुने गए तथा स्वर्गीय वीरेंद्रकुमार सकलेचा तथा सुन्दरलाल पटवा के मंत्रिमंडल में संसदीय सचिव रहे। 1985 में मुरैना विधानसभा क्षेत्र से तीसरी बार विधायक निर्वाचित हुए। 6 मार्च 2003 को हृदयाघात होने से देहांत हो गया। अब उनकी यादें शेष रह गई है। नाला नंबर दो मुरैना तपसी बाबा की गुफा मंदिर के पास तिराहे पर उनकी प्रतिमा लगी हुई है। तथा उक्त मार्ग का नाम कुं.जाहरसिंह शर्मा मार्ग रखा गया है। जाहरसिंह शर्मा राजनीति में सिद्धांत, शुचिता और गरिमा के प्रबल प्रतीक थे। जनसेवा के लिए उनकी प्रतिबद्धता नयी पीढ़ी के लिए उदाहरण है।
जौरा
यह मुरैना जिले का एक नगर तथा तहसील है। जौरा आगरा से 120 किमी दक्षिण तथा ग्वालियर से 70 किमी दूर उत्तर मध्य रेलवे पर स्थित है। यहाँ करोली के जदोन राजाओ के द्वारा सुमावली का किला बनवाए गए प्राचीन दुर्ग के ध्वंसावशेष उपस्थित हैं। जौरा तहसील में स्थित गाँगोलीहार गाँव में संत रतिदास का भव्य मंदिर है। लोक मान्यता है कि उनका जन्म इसी ग्राम में हुआ था।
मुख्य उद्योग
- मुरैना मंडल सहकारी शक्कर कारखाना
- पुंज लयाड लिमिटेड
- राज्य परिवहन तिलहन सहकारी संघ आयल केक
- के.एस. आयल्स लिमिटेड, सालवेंट आयल, डी आयल केक
- जे.के. इंडस्ट्रीज (टायर प्लांट) लिमिटेड, आटोमोबाइल नायलोन एंड रेडियल टायर
संग्रहालय
- शिवा मूर्ति संग्रहालय
- जैन चित्रशाला
- शक्त वीथिका
- विविधि वीथिका
- धातु प्रतिमा फोटो और चित्रशाला
- सुमावली का किला
- अलोपीशंकर मन्दिर कैलारस
- माता बैहरारादेवी मन्दिर कैलारस
- पं रामप्रसाद बिस्मिल संग्रालय मुरैना
- परसुराम मंदिर मुरैना
- श्री दाऊजी मंदिर मुरैना गाँव
- स्वर्गीय श्री जाहरसिंह शर्मा की प्रतिमा, गुफा मंदिर तिराहा, मुरैना
शैक्षणिक संस्थायें
- राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अम्बाह रोड, मुरैना
- राजकीय कन्या महाविद्यालय, मुरैना
- जी० एल० एस० महाविद्यालय, बानमोर, मुरैना
- अम्बाह पी० जी० कालेज, अम्बाह, मुरैना
- राजकीय महाविद्यालय, पोरसा, मुरैना
- राजकीय महाविद्यालय, जौरा, मुरैना
- राजकीय नेहरू महाविद्यालय, सबलगढ़, मुरैना
- आचार्य नरेन्द्रदेव महाविद्यालय, कैलारस, मुरैना
- शिवशंकर महाविद्यालय, सुमावली, मुरैना
- ऋषि गालव महाविद्यालय, मुरैना
- श्री वैष्णव प्रबन्धन महाविद्यालय, मुरैना
- शासकीय उत्कृष्ट उमा० विद्यालय
पयर्टन स्थल
- चौसठ योगिनी मंदिर, मुरैना
- बटेश्वर हिन्दू मंदिर
- नूराबाद मुगल कालीन स्मारक
- सबलगढ़ किला
- राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य
- सिहोनिया (कछवाहा राज्य की राजधानी)
- पहाड़गढ़ (गुफा चित्रकारी)
- कुटवार लिखीछाज पदावली (गुप्त कालीन)
- नारेश्वर- नोरार
- ककनमठ : सिहोनिया का प्रसिद्ध शिव मन्दिर
- नूराबाद गाँव में सांक नदी पर बना हुआ मुग़ल कालीन पुल
- माता बसैया ( माँ काली का दरबार ) जहाँ नवदुर्गा पर मेले का आयोजन किया जाता है तथा लाखों श्रध्दालु हर दिन दर्शन के लिए आते हैं।
- श्री बजरंग बैकुंठ आश्रम गांव खेरिया मे स्थिति है
यह सूरदास बाबा की तपो भूमि है ग्राम पंचायत जीगनी मे भूतेशवर महादेव का मंदिर जीगनी से 7 कि मीटर दूर माता बसैया बाली का प्राचीन मंदिर
- पोरसा तहसील में नागाजी महाराज का मेला लगता है
- कोलेश्वर धाम कोलुआ प्राचीन शिव मंदिर
सन्दर्भ
- डॉ॰ विश्वमित्र उपाध्याय रामप्रसाद बिस्मिल की आत्मकथा १९९४ राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (N.C.E.R.T.) नई दिल्ली
- डॉ॰ मदनलाल वर्मा 'क्रान्त' स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास (३ खण्डों में) २००६ प्रवीण प्रकाशन ४७६०/६१ (दूसरी मंजिल) २३ अंसारी रोड दरियागंज नई दिल्ली-११०००२ ISBN 81-7783-122-4
- मदनलाल वर्मा 'क्रान्त' सरफरोशी की तमन्ना (४ भागों में) १९९७ प्रवीण प्रकाशन १/१०७९- ई महरौली नई दिल्ली-११००३०
- विद्यार्णव शर्मा युग के देवता-बिस्मिल और अशफाक २००४ प्रवीण प्रकाशन १/१०७९ ई महरौली नई दिल्ली-११००३० ISBN 81-7783-078-3
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- [टीन का पुरा]