मीरा चड्ढा बोरवांकर

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मीरा बोरवांकर
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मीरा बोरवंकर
जन्म
फाजिल्का, भारत
व्यवसाय आईपीएस अफसर
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मीरा चड्ढा बोरवांकर यह महाराष्ट्र कैडर में पहली महिला आईपीएस अधिकारी बनी थी और यह बात भारत के सभी छोटे बड़े फाजिल्का शहर के लिये गर्व की बात हैं। फाजिल्का , मीरा चड्ढा बोरवांकर,यह पहली महिला है; जो १५० वर्ष के इतिहास में मुंबई पुलिस की अपराध शाखा के पद पर तैनात की गई।

जीवन चरित्र

उनका जन्म और पढाई पंजाब के फाज़िलका जिले में हुआ। उन्होंने D.C Model School Fazilka में अपनी पढाई की थी। मीरा के पिता ओ.पी.चड्ढा बॉर्डर सिक्यूरिटी फ़ोर्स(BSF) में थे। उनकी पोस्टिंग फाज़िलका में ही थी। इसी दरमियान मीरा ने मेट्रिक तक शिक्षा फाज़िलका में पाई। इसके बाद 1971 में उनके पिता का तबादला हुआ।

उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई जालंधर से की। Lyallpur Khalsa College से उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में एम ए किया। जालंधर, पंजाब में डीएवी कॉलेज से उन्होंने स्नातकोत्तर किया था। वे बहुमुखी प्रतिभावाली छात्रा थी, और उनको कॉलेज की प्रमुख लड़की चुना गया था। उसके बाद , वे नीति विश्लेषण कानून प्रवर्तन में मिनेसोटा, संयुक्त राज्य अमरीका के विश्वविद्यालय में अध्ययन किया, पुलिस पदक और सराहनीय सेवा और हुबर्ट हम्फ्रे फैलोशिप के लिए महानिदेशन में १९९७ में राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया है, इसके अलावा ( २००१-०२में ) उनको पुलिस के कैरियर के तीन दशकों में भी पुरस्कार मिला था। १९९३-९५ में उसके कार्यकाल के दौरान जलगांव सेक्स घोटाले को लेकर राज्य अपराध जाँच विभाग के महत्वपूर्ण मामलों की जाँच की। वह १९८१ बैच की आई पी एस अधिकारी बन गई।

पूर्व आई पीएस किरण बेदी से प्रेरणा लेकर वे भारतीय प्रशासनिक सेवा से जुड़ी थी। उनके पति अभय बोरवंकर भी भारतीय प्रशासनिक सेवा(IAS) के अधिकारी थे और फिलहाल नौकरी छोड़ व्यापार कर रहे हैं।

आई पी एस बनने का मकसद

जब लोग आई पी एस बनने पर सवाल पुछते थे तब वह कहती थी कि " मैं पढ़ाई में भी अच्छी थी, नाटकों में भाग लेने में भी अच्छी थी, वाद-विवाद में भी और मैं पंजाब के क्रिकेट टीम में भी अच्छी थी "। इसलिए सामान्य रूप में मैं कोई भविष्य विचार के साथ बडी हुई , लेकिन मुझे यकीन था कि मैं जीवन में कुच नया करुंगी। मैं अपने जीवन शादी के साथ समाप्त करना नहीं चाहता थी।

जब मैं '७१ -'७२ के दौरान कॉलेज में थी,तब किरण बेदी सिर्फ आईपीएस में शामिल हुए थी और लहरों पैदा कर रहा था। यही कारण है कि जब , एक दिन, मेरे शिक्षकों ने मुझे फोन किया और मुझसे कहा कि मेरे भीतर आईपीएस के लिए और मैं एक कैरियर विकल्प के रूप में यह विचार करना चाहिए कि आयपीएस के बारे में सोचे।

मैं अपने एमए अंग्रेजी साहित्य पूरा किया , मैं यूपीएससी परीक्षाओं को मंजूरी दे दी और एस वी पी राष्ट्रीय पुलिस अकादमी, हैदराबाद में मेरी बुनियादी पुलिस प्रशिक्षण को चली गई। वे दावा है कि महिलाओं को और अधिक रोगी , संसाधन और सक्षम पुरुषों की तुलना में कर रहे हैं।

वे १९८१ में महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अधिकारी बनी, १९८७-१९९१ के बीच मुंबई में पुलिस उपायुक्त के रूप में सेवा की, जिला पुलिस अधीक्षक (और बाद में १९९६-१९९९ में सतारा के ) के रूप में औरंगाबाद के स्वतंत्र प्रभार संभाला और १९९३-१९९५ में राज्य सीआईडी ​​की अपराध शाखा में तैनात हो गई। वह मुंबई में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की आर्थिक अपराध शाखा के साथ काम करने लगी और नई दिल्ली में सीबीआई के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के डीआईजी थी।

आईपीएस बनने के बाद मीरा की पोस्टिंग महाराष्ट्र के कई बड़े शहरों में हुई। जिसमें मुंबई सबसे महत्वपूर्ण रहा। यहां मीरा ने माफिया राज को खत्म करने में अहम् रोल निभाया था। दाऊद इब्राहिम कासकर और छोटा राजन गैंग के कई सदस्यों को सलाखों के पीछे ढकेला था।

सन १९९४ में जलगांव में एक बड़ा सेक्स स्कैंडल पकड़ाया था, जिसमें स्कूल की बच्चियों से लेकर कॉलेज की लड़कियों को देह व्यापार के व्यवसाय में ढकेलने की बात सामने आई थी। इस स्कैंडल का खुलासा करने में मीरा ने अहम् रोल निभाया था। इस घटना के बाद मीरा पूरे देशभर की मीडिया की सुर्ख़ियों में छाई थीं।

मीरा पर बन चुकी है फिल्म

मीरा बोरवंकर से प्रेरणा लेकर ही मर्दानी फिल्म बनाई गई थी। इस फिल्म का मुख्य किरदार रानी मुखर्जी ने निभाया था। मिरा कि मर्दानी सभी को पसंद आई थी। वह अपने वाहवाही साथियों, दोस्तों से और विशेष रूप से सतारा, जहां वह अपने प्रारंभिक वर्षों में एक अधीक्षक के रूप में सेवा करती थी।पुलिस का कहना था कि उसकी पोस्टिंग हलकों एक दागी पुलिस बल की छवि को चमकाने के लिए एक चाल है। इस के बाद, कुछ समय पहले, Borwankar की कुर्सी संयुक्त आयुक्त श्रीधर Wagal जो तेलगी घोटाले के संबंध में मकोका के तहत गिरफ्तार किया गया था उसे मिली।

महाराष्ट्र पुलिस फ़ोर्स देश के सबसे बड़े पुलिस बलों में से एक है, जो अपराध पर लगाम लगाने के साथ-साथ प्रदेश में कानून व्यवस्था बनाए रखने का काम बखूबी कर रही है। आपराधिक मामले सुलझाने के अलावा महाराष्ट्र पुलिस के जवान दूसरे क्षेत्रों में भी नाम रोशन कर चुके हैं। इन उपलब्धियों के बारे में बताने के लिए हम 'महाराष्ट्र पुलिस के जाबांज' के नाम से सीरीज चला रहे हैं। जिसके तहत आज हम महाराष्ट्र कैडर की पहली आईपीएस ऑफिसर मीरा बोरवंकर के बारे में बता रहे हैं। वे 'लेडी सुपरकॉप' के नाम से भी मशहूर है।

सारी फाजिल्का उसकी उपलब्धियों पर गर्व है करता हैं। हमारे देश में इस तरह के पुलिस अधिकारियों रहना अद्भुत है। हम एक उज्ज्वल और आगे संतोषजनक कैरियर बनाने के लिये Fazilite मीरा चाहते हैं। वह युवा लड़कियों देश में हजारों लोगों के लिए प्रेरणा का एक स्रोत होगई। हम सभी जानते हैं कि यह ईमानदारी से ही हम पृथ्वी को शांत कर सकते हैं नाही भ्रष्टाचार अधिकारी अधिक से अधिक ऊंचाई को प्राप्त नहीं कर सकते हैं। जो ईमानदार हैं वो ही देश की भलाई के लिए अपने मिशन को पूरा करेगा !

पुरस्कार

  • १९९७ में रष्ट्रपती पुरस्कार
  • २००१-२ पुलिस कैरियर पुरस्कार

बाहरी कडीयाँ