मार्ताण्ड वर्मा (उपन्यास)

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मार्ताण्ड वर्मा  
पुस्तक का शीर्षक पृष्ठ
लेखक सी॰ वी॰ रामन् पिल्लै
मूल शीर्षक മാർ‍ത്താണ്ഡവർ‍മ്മ
अनुवादक बी॰ के॰ मेनोन् (१९३६) - अंग्रेज़ी
ओ॰ क्रिष्ण पिल्लै (१९५४) – तमिल
आर्॰ लीलादेवी (१९७९) - अंग्रेज़ी
कुन्नुकुऴि कृष्णन् कुट्टि (१९९०) - हिन्दी(अपूर्ण)
प॰ पद्मनाभन् तम्पि (२००७) – तमिल
देश भारत
भाषा मलयालम
प्रकार अतिशयोक्तिपूर्ण कथा
ऐतिहासिक उपन्यास
प्रकाशक लेखक (१८९१)
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प्रकाशन तिथि जून ११, १८९१
मीडिया प्रकार छपाई (अजिल्द, सजिल्द)
आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ ISBN 81-7690-000-1
ISBN 81-7130-130-4
उत्तरवर्ती धरमराजा, राम राजा बहदूर्

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मार्ताण्ड वर्मा, केरल का साहित्यकार सी॰ वी॰ रामन् पिल्लै का १९८१ में प्रकाशित हुआ एक मलयालम उपन्यास है। राजा रामा वर्मा के अंतिम शासनकाल से मार्ताण्ड वर्मा का राज्याभिषेक तक वेणाट (तिरुवितान्कूर) का इतिहास आख्यान करना एक अतिशयोक्तिपूर्ण कथा[१][२] रूप में ही इस उपन्यास प्रस्तुत किया है। कोल्लवर्ष ९०१-९०६[३] ([ग्रेगोरी कैलेंडर]: १७२७-१७३२) समय में हुआ इस कहानी का शीर्षक पात्र को सिंहासन वारिस का स्थान से हटाने के लिए पद्मनाभन् तम्पि और एट्टुवीट्टिल् पिल्लों ने लिटाया दुष्कर्म योजनाओं से संरक्षित करना अनन्तपद्मनाभन्, मान्कोयिक्कल् कुरुप्पु और सुभद्र लोगों से जुटे है यह कथा।

मलयालम साहितय का पहला[४] ऐतिहासिक उपनयास होकर यह साहित्यक रचना प्रस्तुत अनुभाग में ऐतिहासिक आख्यायिका[५] नामक एक शाखा आरंभ[६][७] किया। तिरुवितान्कूर इतिहास धरमराजा, राम राजा बहदूर नामक उपनयासों में जारी रहता है। इस तीन उपन्यासों को सीवीयुटे चरित्राख्यायिककल (सी वी का ऐतिहासिक विवरणात्मकें) नाम से प्रस्तुत साहितय में कहा जाते हैं।

यह उपन्यास मलयालम साहित्य में रोमांचक कहानी[५] और इतिहास का एक उत्कृष्ट मिश्रित कृती माना जाता है।

सन्दर्भ

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