महासमुंद
साँचा:if empty Mahasamund | |
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निर्देशांक: साँचा:coord | |
देश | साँचा:flag/core |
प्रान्त | छत्तीसगढ़ |
ज़िला | महासमुन्द ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | ८५,६५० |
• घनत्व | साँचा:infobox settlement/densdisp |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी, छत्तीसगढ़ी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 493445 |
वाहन पंजीकरण | CG-06 |
महासमुंद (Mahasamund) भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के महासमुन्द ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है और महानदी के किनारे बसा हुआ है।[१][२]
विवरण
महासमुंद अपनी प्राकृतिक सुन्दरता, रंगारंग उत्सवों और त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर पूरे वर्ष मेले आयोजित किए जाते हैं। स्थानीय लोगों में यह मेले बहुत लोकप्रिय है। स्थानीय लोगों के अलावा पर्यटकों को भी इन मेलों में भाग लेना बड़ा अच्छा लगता है। इन मेलों में चैत्र माह में मनाया जाने वाला राम नवमी का मेला, वैशाख में मनाया जाने वाला अक्थी मेला, अषाढ़ में मनाया जाने वाला माता पहुंचनी मेला आदि प्रमुख हैं। मेलों और उत्सवों की भव्य छटा देखने के अलावा पर्यटक यहां के आदिवासी गांवों की सैर कर सकते हैं। गांवों की सैर करने के साथ वह उनकी रंग-बिरंगी संस्कृति से भी रूबरू हो सकते हैं। यहां रहने वाले आदिवासियों की संस्कृति पर्यटकों को बहुत पसंद आती है। वह आदिवासियों की संस्कृति की झलक अपने कैमरों में कैद करके ले जाते हैं।
प्रमुख आकर्षण
सिरपुर
महानदी पर स्थित सिरपुर में पर्यटक दक्षिण कोसल के ऐतिहासिक पर्यटक स्थलों को देख सकते हैं। पहले यह सोमवंशीय राजाओं की राजधानी थी और इसे श्रीपुर के नाम से जाना जाता था। बाद में यह श्रीपुर से सिरपुर हो गया। सिरपुर भारत के प्रमुख ऐतिहासिक पर्यटक स्थलों में से एक है क्योंकि प्राचीन समय में यह विज्ञान और आध्यात्म की शिक्षा का बड़ा केन्द्र था।
लक्ष्मण मन्दिर
महासमुन्द में स्थित लक्ष्मण मन्दिर भारत के प्रमुख मन्दिरों में से एक है। यह मन्दिर बहुत खूबसूरत है और इसके निर्माण में पांचरथ शैली का प्रयोग किया गया है। मन्दिर का मण्डप, अन्तराल और गर्भ गृह बहुत खूबसूरत है, जो पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं। इसकी दीवारों और स्तम्भों पर भी सुन्दर कलाकृतियां देखी जा सकती हैं, जो बहुत खूबसूरत हैं। इन कलाकृतियों के नाम वातायन, चित्या ग्वाकक्षा, भारवाहकगाना, अजा, किर्तीमुख और कर्ना अमालक हैं। मन्दिर के प्रवेशद्वार पर शेषनाग, भोलेनाथ, विष्णु, कृष्ण लीला की झलकियां, वैष्णव द्वारपाल और कई उनमुक्त चित्र देखे जा सकते हैं। यह चित्र मन्दिर की शोभा में चार चांद लगाते है और पर्यटकों को भी बहुत पसंद आते हैं।
आनन्द प्रभु कुटी विहार और स्वास्तिक विहार
शिरपुर अपने बौद्ध विहारों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। इन बौद्ध विहारों में आनन्द प्रभु विहार और स्वास्तिक विहार प्रमुख हैं। आनन्द प्रभु विहार का निर्माण भगवान बुद्ध के अनुयायी आनन्द प्रभु ने महाशिवगुप्त बालार्जुन के शासनकाल में कराया था। इसका प्रवेश द्वार बहुत सुन्दर हैं। प्रवेश द्वार के अलावा इसके गर्भ-गृह में लगी भगवान बुद्ध की प्रतिमा भी बहुत खूबसूरत है जो पर्यटकों को बहुत पसंद आती है। विहार में पूजा करने और रहने के लिए 14 कमरों का निर्माण भी किया गया है। आनन्द प्रभु विहार के पास स्थित स्वास्तिक विहार भी बहुत सुन्दर है जो हाल में की गई खुदाई में मिला है। कहा जाता है कि बौद्ध भिक्षु यहां पर तपस्या किया करते थे।
गंधेश्वर महादेव मन्दिर
महानदी के तट पर स्थित गंधेश्वर महादेव मन्दिर बहुत खूबसूरत है। इसका निर्माण प्राचीन मन्दिरों और विहारों के अवेशषों से किया गया है। मन्दिर में पर्यटक खूबसूरत ऐतिहासिक कलाकृतियों को देख सकते हैं, जो पर्यटकों को बहुत पसंद आती हैं। इन कलाकृतियों में नटराज, शिव, वराह, गरूड़, नारायण और महिषासुर मर्दिनी की सुन्दर प्रतिमाएं प्रमुख हैं। इसके प्रवेश द्वार पर शिव-लीला के चित्र भी देखे जा सकते हैं, जो इसकी सुन्दरता में चार चांद लगाते हैं।
संग्रहालय
भारतीय पुरातत्व विभाग ने लक्ष्मण मन्दिर के प्रांगण में एक संग्रहालय का निर्माण भी किया है। इस संग्रहालय में पर्यटक शिरपुर से प्राप्त आकर्षक प्रतिमाओं को देख सकते हैं। इन प्रतिमाओं के अलावा संग्रहालय में शैव, वैष्णव, बौद्ध और जैन धर्म से जुड़ी कई वस्तुएं देखी जा सकती हैं, जो बहुत आकर्षक हैं। यह सभी वस्तुएं इस संग्रहालय की जान हैं।
श्वेत गंगा
महासमुन्द की पश्चिमी दिशा में 10 कि॰मी॰ की दूरी पर श्वेत गंगा स्थित है। गंगा के पास ही मनोरम झरना और मन्दिर है। यह मन्दिर भगवान शिव को समर्पित है। माघ की पूर्णिमा और शिवरात्रि के दिन यहां पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में स्थानीय निवासी और पर्यटक बड़े उत्साह के साथ भाग लेते हैं। श्रावण मास में यहां पर भारी संख्या में शिवभक्त इकट्ठे होते हैं और यहां से कांवड़ लेकर जाते हैं। वह कावड़ के जल को गंगा से 50 कि॰मी॰ दूर शिरपुर गांव के गंडेश्वर मन्दिर तक लेकर जाते हैं और मन्दिर के शिवलिंग को इस जल से नहलाते हैं। अपनी इस यात्रा के दौरान भक्तगण बोल बम का उद्घोष करते हैं। उस समय शिरपुर छोटे बैजनाथ धाम जैसा लगता है।
आवागमन
- वायु मार्ग
पर्यटकों की सुविधा के लिए छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हवाई अड्डे का निर्माण किया गया है। यहां से पर्यटक बसों व टैक्सियों द्वारा आसानी से महासमुन्द तक पहुंच सकते हैं।
- रेल मार्ग
मुंबई-विशाखापट्टनम और कोलकाता-विशाखापट्टनम रेलवे लाईन पर महासमुन्द में रेलवे स्टेशन का निर्माण किया गया है।
- सड़क मार्ग
महासमुन्द कोलकाता, मुंबई और देश के अन्य भागों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग 353 यहाँ से गुज़रता है और कुछ उत्तर गोडरी गाँव में राष्ट्रीय राजमार्ग 53 का जंक्शन है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "Inde du Nord - Madhya Pradesh et Chhattisgarh स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।," Lonely Planet, 2016, ISBN 9782816159172
- ↑ "Pratiyogita Darpan स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।," July 2007
chingariya