बांदीकुई
साँचा:if empty Bandikui बसवा | |
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नगर | |
उपनाम: रैल नगरी | |
साँचा:location map | |
निर्देशांक: साँचा:coord | |
देश | साँचा:flag |
प्रांत | राजस्थान |
जिला | दौसा |
ऊँचाई | साँचा:infobox settlement/lengthdisp |
जनसंख्या (2010) | |
• कुल | १,७०,००० |
• घनत्व | साँचा:infobox settlement/densdisp |
भाषा | |
• आधिकारिक | हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+५:३०) |
पिन | 303313 |
दुरभाष कुट | 01420 |
वाहन पंजीकरण | RJ 29 (आरजे २९) |
बाँदीकुई भारत के राजस्थान राज्य के दौसा जिले में एक पंचायत समिति और प्रसिद्ध नगर है।[१]
इतिहास
वर्तमान बांदीकुई इतिहास का राजस्थान में रेल आगमन के साथ शुरू होता है। अप्रैल 1874 में आगरा फोर्ट एवम बांदीकुई के मध्य तत्कालीन राजपुताना में पहली ट्रैन चली। उसके बाद तत्कालीन जयपुर महाराजा सवाई माधोसिंह जी ने यहां पर माधोगंज के नाम से अनाज मंडी की स्थापना की। व्यापार और रेल आवागमन के कारण बांदीकुई ने कालांतर में एक शहर का रूप ले लिया। कुल मिलाकर यही कहना सही होगा कि बांदीकुई के विकास की नींव रेल ही है। इस लिए बांदीकुई को रेल नगरी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर भारत की सबसे बड़ी रेलवे कॉलोनी है बांदीकुई का जंक्शन अति सुंदर और मनोरम है। यहां की सुंदरता और स्वच्छता आगंतुकों के मन को बहुत लुभाती है रेलवे कॉलोनी बांदीकुई बहुत सुंदर है जिसमें गांधी ग्राउंड, रेलवे पार्क, सुभाष चंद्र बॉस पार्क बना हुआ है। यहां पर आरपीएफ का ट्रेनिंग सेंटर है जो नए भर्ती होने वाले आरपीएफ जवानों का भर्ती स्थल भी है और यहां पर भर्ती होने वाली नये आरपीएफ जवानों की ट्रेनिंग भी करवाई जाती है ।। वर्तमान में बांदीकुई शहर की आबादी लगभग 65 हजार है। यहाँ की नगरपालिका 30 वार्डो में विभक्त है। यह शहर रेलवे का बड़ा जक्शन है जहाँ से पूरे देश के लिए ट्रेन उपलब्ध है। बांदीकुई देश में पर्यटन की दृष्टि से गोल्डन ट्राइएंगल दिल्ली, जयपुर और आगरा के मध्य अवस्थित है। यहाँ से दिल्ली 200 किमी, जयपुर 90 किमी और आगरा 150 किमी दूर है। भरतपुर और अलवर क्रमशः 90 और 60 किमी दूर है। बांदीकुई सावा नदी के किनारे अवस्थित है। दर्शनीय स्थल- 1.आठवीं सदी में निर्मित चांद बावड़ी और हर्षद माता का मंदिर। 2.मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर। यहां पर बुरी आत्माओं को जो किसी व्यक्ति या औरत आदि के शरीर में प्रवेश कर जाती है उसको हटा कर उनका इलाज किया जाता हैं बालाजी की कृपा से। 3. ब्रिटिशकालीन प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक चर्च। यह अं ग्रेजो द्वारा बनाया गया प्राचीन चर्च है जिसे देखने के लिए इनके वंशज आज भी बांदीकुई आते रहते है यह raliway कॉलोनी में स्थित है। 4. झांझीरामपुरा बांदीकुई से लगभग 12 किमी की दूरी पर बसवा तहसील में पहाड़ियों के नीचे स्थित है जहां शिवजी ,हनुमानजी के मंदिर है एवं गोमुख है जिसमें से हमेशा पानी आता रहता है। इससे थोड़ा आगे अलेवा के झरने है जहां लोग अक्सर पिकनिक मनाने जाते हैं। 5. यहाँ से सरिस्का बाघ अभ्यायरण भी घुमा जा सकता है। सरिस्का से पहले बांदीकुई की और से अलवर जाते समय रास्ते में प्रसिद्ध नारायणी माता का मंदिर आता है जो नाई समाज की कुल देवी मानी जाती है प्राचीन कथा है कि माता अपने पति के साथ ससुराल जा रही थी। लेकिन रास्ते में दोनों विश्राम के लिए पेड़ के नीचे बैठ जाते है जहां उनके पति को सांप काट लेता है और उनकी मृत्यु हो जाती है इसके पश्चात माता वहां पर जंगल में पशु चरा रहे ग्वालों की मदद से चिता तैयार कर अपने पति को गोद में लेकर चिता में बैठ कर सती होने लगती है लेकिन इससे पहले एक ग्वाला माता से कहता है कि माता आप तौ सती हो रही हो हमें भी कुछ आशीर्वाद देती जाए तब माता ने कहा बोलो तुम्हे क्या चाहिए ।तब ग्वाले ने कहा माता हम रोज यहां गाय चराने आते है लेकिन यहां दूर दूर तक पानी नहीं है जिसके कारण हम और हमरी गाय प्यासे रह जाते है। माता ने कहा जब मै सती होने लघु तब तुम चिता में से एक लकड़ी उठाकर दौड़ जाना जहां तक तुम दौड़ोगे वहां तक पानी की धार बहने लगेगी। ग्वाले ने ऐसा ही किया लेकिन थोड़ी दूर दौड़ने के बाद ग्वाला रुक कर पीछे देखता है कि बात कहीं झुठी तौ नहीं और पानी उसी जगह पर रुक जाता है ।ग्वाला देखता है माता ने को कहा वो एकदम सही था। और माता अपने पति के साथ सती हो जाती है। जयपुर से आगरा जाने वाला nh-21 बांदीकुई के पास सिकंदरा से होकर गुजरता है एनएच 21 से बांदीकुई पहुंचना बहुत आसान है बांदीकुई से गुढा कटला को जाने वाली रोड पर अति सुंदर और भव्य राम मंदिर बना हुआ है जो प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है । बांदीकुई उप तहसील है इसका कार्यालय संत फ्रांसिस स्कूल के सामने से भारत विधा मंदिर स्कूल के पास से जाने वाले रोड पर आज आशापुरा में स्थित है यहां पर तहसील संबंधी सारे कार्य किए जा सकते हैं।
दर्शनीय स्थल
- झाझीरामपुरा
- आभानेरी (आभा नगरी)
- चाँद बावड़ी
- हर्षद माता मन्दिर
- मेहंदीपुर बालाजी
- सिकन्दरा
- कालाखो झील
- गणेश मन्दिर
- करनावर
- अनंत श्री दुर्बल नाथ आश्रम बांदीकुई।
- वेदांत सतसंग आश्रम लीलोज
- गुढा-कटला का किला (मिट्टी के टिले ऊपर)
- राम मंदिर बांदीकुई
- राणा सांगा की छतरी बसवा (मृत्यु स्थल)
- भैरू जी महाराज डूंगरी वाले (गादरवाड़ा गूजरान)
- श्री रामेश्वरम मंदिर गुढ़ा-कटला
- मांगा सिद्ध बाबा, बिवाई
तकनिकी शिक्षा संस्थान
- बाँदीकुई एकेडमी, बाँदीकुई, सिकन्द्रा रोड़, बाँदीकुई
शैक्षिक संस्थान
विद्यालय
- दिल्ली पब्लिक स्कूल, बांदीकुई
- सरस्वती विद्या विहार , बांदीकुई
- आर्य आदर्श विद्या मंदिर, कुटी, बांदीकुई
- बी॰ एन॰ जोशी उच्च माध्यमिक विद्यालय, बाँदीकुई*
- सरस्वती शिक्षा निकेतन उच्च माध्यमिक विद्यालय, जागीर बाँदीकुई
- सैनी आदर्श विद्या मन्दिर उच्च माध्यमिक विद्यालय, जागीर बाँदीकुई
- सेंट फ्रांसीस इंग्लिस मिडियम स्कूल
- सीनियर सेकेंडरी रेलवे स्कूल बांदीकुई
- ज्योतिबा फुले आदर्श विद्या मंदिर उच्च माध्यमिक विद्यालय
- महाविद्यालय
- श्री राजेश पायलट राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बसवा मार्ग, बांदीकुई
- सैनी आदर्श विद्या मन्दिर स्नातकोत्तर महाविद्यालय
इन्हें भी देखें
- दौसा ज़िला मुख्यालय ,बांदीकुई से लगभग 35 किमी की दूरी पर स्थित है यह संत सुन्दर दास जी की नगरी है। इसका राजस्थान सरकार द्वारा पैनोरमा बनाया गया है। दौसा का रेलवे स्टेशन के आदर्श रेलवे स्टेशनों में शामिल है। यहां प्रसिद्ध नीलकंठ महादेव का मंदिर है। जो पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। जो दूर से ही दिखाई देता है। सभी सरकारी उच्च कार्यालय यहां अवस्थित है।
मिठाई=दौसा की प्रसिद्ध मिठाई डोवठा है जो पुराने बस स्टैंड गांधी तिराहे के पास एक मात्र दुकान पर बनाए जाते हैं।
सन्दर्भ
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