फ्रेडरिक महान्
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फ्रेडरिक द्वितीय महान् (Frederick II ; जर्मन: Friedrich; १७१२ - १७८६ ई.) १७४० से १७८६ तक प्रशा का शासक था। वह अपने सैनिक विजयों, प्रशा की सेना की पुनर्रचना करने, प्रशा में कला और प्रबोध (इन्लाइटनेण्ट) को प्रोत्साहित करने और सप्तवर्षीय युद्ध में अनेकानेक कठिनाइयों के रहते हुए भी विजय प्राप्त करने के लिये प्रसिद्ध है। प्रशा की जनता उसे 'फ्रेडरिक महान (Friedrich der Große) कहने लगी और उसे 'डर अल्टे फ्रिट्ज' (Der Alte Fritz ("Old Fritz")) उपनाम दिया।
परिचय
फ्रेडरिक विलियम प्रथम का पुत्र था। प्रारंभ में उसके पिता ने उसे केवल सैन्य शिक्षा दिलाने का प्रबंध किया, किंतु वह अपने शिक्षकों के प्रभाव से संगीत और काव्य में रुचि लेता था। वस्तुत: उसे जर्मन साहित्य से प्रेम नहीं था, अपितु वह फ्रांसीसी जीवनदर्शन और साहित्य से अधिक रस ग्रहण करता था। स्वभावभिन्नता के कारण फ्रेडरिक विलियम अपने पुत्र फ्रेडरिक पर बहुत रुष्ट रहता था और अनेक प्रकार की यातनाएँ देता था। एक बार वह इंग्लैंड भाग जाने के प्रयत्न में पकड़ा गया और कारागार में डाल दिया गया। भागने में साथ देनेवाले उसके एक मित्र को उसके पिता ने मृत्युदंड दिया।
फ्रेडरिक १७४० में गद्दी पर बैठा। रोमन सम्राट् चार्ल्स षष्ठ की मृत्यु (१७४०) के पश्चात् फ्रेडरिक ने साइलेसिया पर १७४१ में आक्रमण कर मॉलवित्ज़, शोतूसित्ज़, ब्रेसलाउ, तथा अपर और लोअर साइलेसिया पर अधिकार कर लिया। १७४४ में उसने बोहेमिया पर आक्रमण कर प्राग पर अधिकार कर लिया। १७४५ में ड्रेसडेन के शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए, और इस प्रकार वह सारी साइलेसियाई भूमि का मालिक बन बैठा।
फ्रेडरिक ने समाजसुधार, कृषि और उद्योगों की उन्नति की ओर बहुत ध्यान दिया। विज्ञान अकादमी की पुन:स्थापना और समृद्धि के लिए उसने विशेष यत्न किए। सैन्य शक्ति बढ़ा ली और सेना को अच्छे उपकरणों से सज्जित किया। इस काल में उसने लेखनकार्य भी जारी रखा- जिनमें 'मेमॉसर्य ऑव द हाउस ऑव ब्रैंडेनबर्ग' उल्लेखनीय है। वाल्तेयर से उसकी गाढ़ी मित्रता थी, किंतु बाद में दोनों में अनबन हो गई। सप्तवर्षीय युद्ध (१७५६-१७६३) में उसने अनेक स्थानों पर विजय प्राप्त की। ह्यूबर्ट्सबर्ग की संधि (१७६३) के अनुसार उसकी शक्ति में वृद्धि हुई। १७६४ में उसने रूस से संधि की। पोलैंड के विभाजन (१७७१) में फ्रेडरिक ने पोलैंड का एक बड़ा भाग हथिया लिया। बवेरिया के इलेक्टर मैक्सिमिलियन जोसेफ तृतीय की मृत्यु (१७७७) के पश्चात् जब बवेरिया में उत्तराधिकार का संघर्ष छिड़ा, उसी समय १७७८ में फ्रेडरिक ने बोहेमिया पर पुन: आक्रमण कर दिया और तेशेन (Teschen) की संधि (१७७९) के अनुसार फ्रांकोनिया के कई इलाके ले लिए। १७८५ में उसने सैक्सोनी और हनोवर के साथ आस्ट्रिया के विरुद्ध जर्मन राज्यों का एक महासंघ निर्मित किया। १७ अगस्त, १७८६ को पोत्सदाम में उसकी मृत्यु हुई।