प्लैटिपस

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प्लैटीपुस
Platypus
Wild Platypus 4.jpg
प्लैटीपुस
Scientific classification
Binomial name
Ornithorhynchus anatinus
शॉ, १७९९
Distribution of the Platypus (Ornithorhynchus anatinus).png
ऑस्ट्रेलिया में प्लैटीपस का विस्तार
(लाल — मूल, पीला — फैलाया)
नर प्लैटिपुस के पिछले पाँव में विषैला डंक मारने वाला कांटा

प्लैटीपुस (Platypus), जो बत्तखमुँह प्लैटीपस (duck-billed platypus) भी कहलाता है, पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में रहने वाला एक स्तनधारी प्राणी है। यह स्तनधारियों के मोनोट्रीम गण की पाँच ज्ञात जातियों में से एक है (अन्य चार एकिडना की जातियाँ हैं), जो स्तनधारी होने के नाते अपने शिशुओं को दूध तो पिलाते हैं लेकिन जिनमें माता गर्भ धारण करने की बजाए अण्डे देती है।[१] पूरे स्तनधारी समुदाय में अण्डे देने वाली केवल यही पाँच जातियाँ है। क्रमविकास (एवोल्यूशन) की दृष्टि से यह बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह जातियाँ उस समय का संकेत हैं जब स्तनधारी नये-नये विकसित हो रहे थे और उनमें गर्भ में शिशु विकसित करने की क्षमता उत्पन्न नहीं हुई थी। इसलिए इन्हें जीवित जीवाश्म की श्रेणी में भी डाला जाता है।[२]

इतिहास में

जब सन् १७९९ में यूरोपीय जीववैज्ञानिकों ने सबसे पहले एक प्लैटीपुस का मृत शरीर देखा तो उसके बत्तख जैसी थूथन, बीवर जैसी मोटी-चपटी दुम और ऊदबिलाव जैसे पैर देखकर उन्होंने ऐसे प्राणी का अस्तित्व मानने से इनकार कर दिया और अलग-अलग प्राणियों के अंगों को जोड़कर धोखा देने का आरोप लगाया।[३]

विष

प्लैटीपुस उन बहुत कम स्तनधारियों में से है जो विष से अपनी रक्षा कर सकते हैं। नर प्लैटीपुस के पिछली पैरों की एड़ी पर एक कांटा बना होता है जिसे खोबकर वह अन्य प्राणी में विष डाल सकता है। यदि मानव को यह लग जाए तो आमतौर पर मृत्यु तो नहीं होती लेकिन भयंकर पीढ़ा अवश्य होती है। माना जाता है कि जैसे प्लैटीपुसों में सरिसृपों की भांति अण्डें देने की प्रवृति बची हुई थी उसी प्रकार उसमें विषैले होने की प्रवृति जारी थी। यह गुण आगे विकसित होने वाले स्तनधारियों में लुप्त हो गए।[४][५]

विद्युतभान

डॉल्फ़िन को छोड़कर, मोनोट्रीम अकेले स्तनधारी हैं जिनमें विद्युतभान की शक्ति है, यानि वे अपने ग्रास प्राणियों की मांसपेशियों में प्रयोग होने वाले विद्युत का बोध कर सकते हैं।[६][७][८] शिकार करने के लिए प्लैटीपुस न तो दृष्टि का प्रयोग करता है और न ही सूंघने की शक्ति का। जब वह जलसमूह में जाता है तो आँख, कान और नाक बंद कर लेता है।[९] झरनों-नदियों में वह नीचे जाकर फ़र्श में स्वयं को मिट्टी में दबा लेता है। फिर विद्युतभान के द्वारा उसे पता होता है कि पास से निकलने वाली कोई वस्तु जीवित है या कोई अजीवित चीज़ है। योग्य ग्रास पास आते ही वह लपकता है। प्रयोगों में देखा गया है कि यदि एक कृत्रिम झींगा बनाकर उसमें से विद्युत निकाली जाए तो प्लैटीपुस उसे पकड़ने की कोशिश करता है और बिना विद्युत के उसपर ध्यान भी नहीं देता।[१०]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Walters, Martin; Johnson, Jinny (2003). Encyclopedia of Animals. Marks and Spencer p.l.c. p. 192. ISBN 1-84273-964-6.
  2. "Science, Grade 4 स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।," Carson-Dellosa Publishing, 2012, ISBN 978-1-62442-183-9, ... The platypus is often called a living fossil. Although it is classified as a mammal, it has characteristics of both mammals and reptiles ...
  3. "Discovery and naming स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।". Australian Platypus Conservancy. Retrieved November 29, 2016
  4. "Platypus," Tom Grant, Csiro Publishing, 2007, ISBN 978-0-64310-275-0, ... Especially during the breeding season when the crural glands are enlarged, venom sometimes is seen exuding as drops from the tips of the spurs of male platypuses during handling. It is a clear, slightly sticky liquid ...
  5. "DNA and Biotechnology," Molly Fitzgerald-Hayes and Frieda Reichsman, Academic Press, 2009, ISBN 978-0-08091-635-4, ... unlike typical mammals that have lost their reptilian features during evolution the male platypus has retained the ability to produce venom in the spurs on its hind legs ...
  6. साँचा:cite web
  7. साँचा:cite journal
  8. साँचा:cite journal
  9. साँचा:cite journal
  10. साँचा:cite book