नोआम चाम्सकी

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नोआम चाम्सकी
Noam Chomsky, 2004.jpg
वैंकूवर, ब्रिटिश कोलंबिया (2004)
जन्म 7 December 1928 (1928-12-07) (आयु 95)
फिलाडेल्फिया, पेंसिल्वेनिया, संयुक्त राज्य अमेरिका
अन्य नाम एवरम नोआम चोम्स्की
शिक्षा प्राप्त की पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय (बी.ए.) 1949, (एम.ए.) 1951, (पीएच डी) 1955
वेबसाइट
chomsky.info

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एवरम नोम चोम्स्की (हीब्रू: אברם נועם חומסקי) (जन्म 7 दिसंबर, 1928) एक प्रमुख भाषावैज्ञानिक, दार्शनिक[१९], राजनैतिक एक्टीविस्ट, लेखक, एवं व्याख्याता हैं। संप्रति वे मसाचुएटस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालजी के अवकाशप्राप्त प्रोफेसर हैं।

चाम्सकी को जेनेरेटिव ग्रामर के सिद्धांत का प्रतिपादक एवं बीसवीं सदी के भाषाविज्ञान में सबसे बड़ा योगदानकर्ता, माना जाता है। उन्होंने जब मनोविज्ञान के ख्यातिप्राप्त वैज्ञानिक बी एफ स्कीनर के पुस्तक वर्बल बिहेवियर की आलोचना लिखी, जिसमें 1950 के दशक में व्यापक स्वीकृति प्राप्त व्यवहारवाद के सिद्दांत को चुनौती दी, तो इससे काग्नीटिव मनोविज्ञान में एक तरह की क्रांति का सूत्रपात हुआ, जिससे न सिर्फ़ मनोविज्ञान का अध्यन एवं शोध प्रभावित हुआ बल्कि भाषाविज्ञान, समाजशास्त्र, मानवशास्त्र जैसे कई क्षेत्रों में आमूलचूल परिवर्तन आया।

आर्टस ऐंड ह्यूमैनिटिज साइटेशन इंडेक्स के अनुसार 1980-92 के दौरान जितने शोधकर्ताओं एवं विद्वानों ने चाम्सकी को उद्धृत किया है उतना शायद ही किसी जीवित लेखक को किया गया हो। और इतना ही नहीं, वे किसी भी समयावधि में आठवे सबसे बड़े उद्धृत किये जाने वाले लेखक हैं।[२०][२१][२२]

1960 के दशक के वियतनाम युद्ध की आलोचना में लिखी पुस्तक द रिसपांसिबिलिटी ऑफ इंटेलेक्चुअल्स के बाद चाम्सकी खास तौर पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया के आलोचक एवं राजनीति के विद्वान के रूप में जाने जाने लगे। वामपंथ एवं अमरीका की राजनीति में आज वे एक प्रखर बौद्धिक के रूप में जाने एवं प्रतिष्ठित किए जाते हैं। अपने राजनैतिक एक्टिविजम एवं अमेरिका की विदेश नीति की प्रखर आलोचना के लिए आज उन्हें पूरी दुनिया में जाना जाता है।

जीवनी

चाम्सकी का जन्म अमरीका में फिलाडेल्फिया प्रांत के इस्ट ओक लेन में हुआ था। उनके पिता यूक्रेन में जन्मे श्री विलियम चामस्की (1896-1977) थे जो हीब्रू के शिक्षक एवं विद्वान थे। उनकी माता एल्सी नाम्सकी (शादी से पूर्व सिमनाफ्सकी) बेलारूस से थीं, लेकिन वे अमरीका में ही पली बढ़ी थीं। हलाकि उनकी मातृभाषा यीडिश थी, लेकिन चाम्सकी का कहना है कि घर में यीडिश बोलना गुनाह समझा जाता था। चाम्सकी के अनुसार वे एक "यहूदी घेटो" में रहते थे जो यीडिश और यहूदी घेटो में आंतरिक तौर पर विभक्त था और उनका परिवार यहूदियों के साथ यहूदी संस्कृति के साथ बसर करता था। चाम्सकी का यह भी कहना है कि 1930 के दशक में अक्सर आयरिश कैथोलिक एवं एवं anti-semitism के बीच उन्होंने खुद काफी तनाव भरी ज़िंदगी गुजारने का अनुभव किया है। "

चामस्की खुद को याद करते हुए कहते हैं कि जहाँ तक उन्हें याद है उन्होंने पहली बार दस साल की उम्र में स्पेन के गृहयुद्ध के दौरान बार्सिलोना के पतन के बाद फासीवाद के प्रसार के भय के बारे में लिखा था। बारह तेरह साल की उम्र में ही उन्होंने खुद को एक खास तरह की राजनीति (अराजकतावाद) से काफी जुड़ा हुआ महसूस करने लगे।[२३]

फिलाडेल्फिया के सेंट्रल हाई-स्कूल से 1945 में पास करने के बाद चाम्सकी ने पेंसिलवानिया विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र एवं भाषाविज्ञान का अध्यन शुरु किया। यहाँ भाषावैज्ञानिक जेलिंग हैरिस, एवं दार्शनिक वेस्ट चर्चमैन तथा नेल्सन गुडमैन जैसे उदभट विद्वान उनके गुरु थे। चाम्सकी ने अपने भाषावैज्ञानिक गुरु श्री हैरिस से उनके द्वारा प्रतिपादित प्रजनक भाषाविज्ञान के ट्रांसफार्मेशन सिद्धांत को सीखा जिसकी बाद में चाम्सकी ने अपनी व्याख्या की और कांटेक्सट फ्री ग्रामर के सिद्धांतों का प्रतिपादन किया। कहा जाता है कि चाम्सकी के राजनैतिक विचारों को आधार देने में श्री हैरिस की काफी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

1949 में चाम्सकी का विवाह भाषावैज्ञानिक कैरोल स्कात्ज से संपन्न हुआ जिनसे उन्हें दो बेटियाँ अवीवा (जन्म 1957) एवं डाएन (जन्म 1960) तथा एक पुत्र हैरी (जन्म 1967) की प्राप्ति हुई।

चाम्सकी को पेंसिलवानिया विश्वविद्यालय से 1955 में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त हुई। उन्होंने अपने शोध का काफी महत्वपूर्ण हिस्सा हार्वड विश्वविद्यालय से हार्वड जूनियर फेलो के रूप में पूरा किया था। उनके डाक्टरेट उपाधि के लिए किया गया शोध बाद में पुस्तकाकार रूप में 1957 में सिंटैक्टिक स्ट्रक्चर्स सामने आया जिसे उस समय तक की श्रेष्ठ पुस्तकों में शुमार किया गया।

1955 में ही चाम्सकी ने एमआईटी यानि मसाचुएट्स तकनीकी संस्थान में नियुक्त हुए और 1961 में उन्हें आधुनिक भाषा एवं भाषाविज्ञान विभाग (अब भाषाविज्ञान एवं दर्शनशास्त्र विभाग) में फुल प्रोफ़ेसर का दर्जा दिया गया। 1966 से 1976 तक वे फेरारी पी वार्ड प्रोफेसर रहे और 1976 में इंस्टीट्यूट प्रोफेसर नियुक्त हुए। 2007 के स्थिति के अनुसार वे लगातार 52 वर्षों तक एमआईटी में प्राध्यापन का काम कर चुके हैं।

फरवरी 1967 में, जब उनका लेख द रिस्पांसिबिलीटी ऑफ इंटेलेक्चुअल्स प्रकाशित हुआ, चामस्की वियतनाम युद्ध युद्ध के प्रखर आलोचकों में शामिल हो चुके थे। [२४] द न्यूयार्क रिव्यू ऑफ बुक्स में. इसके बाद 1969 में उनकी एक और पुस्तक अमेरिकन पावर ऐंड द न्यू मैंडरिन्स आई, जो एक निबंध संग्रह था जिसने उन्हें अमरीकी सत्ता के प्रखर विरोधियों की कतार में ला खड़ा किया। अमरीकी विदेशे नीतियों की उनकी प्रखर आलोचना ने उन्हें अमरीकी मीडिया में काफी विवादास्पद बना दिया।[२५][२६][२७][२८] पूरी दुनिया की मीडिया एवं प्रकाशन जगत में उनकी काफी माँग है।

चाम्स्की को सत्ता प्रतिष्ठानों की ओर से हमेशा भय एवं खतरों का सामना करता है, उन्हें मौत की धमकी तक दी जा चुकी है एवं खुफिया पुलिस हमेशा उनके इर्द-गिर्द रहती है। चामस्की अपने हर पत्र को खोलने से पहले उसकी विस्फोटक जाँच करवाते हैं।[२९]

चाम्सकी आजकल अमरिका में मसाचुएट्स प्रांत के लेक्सिंगटन शहर में रहते हैं एवं अपने व्याख्यानों के पूरी दुनिया की सैर पर रहते हैं।

भाषाविज्ञान में योगदान

चाम्सकीय भाषाविज्ञान की शुरुआत उनकी पुस्तक सिंटैक्टिक स्ट्रक्चर्स से हुई मानी जा सकती है जो उनके पीएचडी के शोध, लाजिकल स्ट्रक्चर ऑफ लिंग्विस्टिक थीयरी (1955, 75) का परिमार्जित रूप था। इस पुस्तक के द्वारा चाम्सकी ने पूर्व स्थापित संरचनावादी भाषावैज्ञानिकों की मान्यताओं को चुनौती देकर ट्रांसफार्मेशनल ग्रामर की बुनियाद रखी। इस व्याकरण ने स्थापित किया कि शब्दों के समुच्य का अपना व्याकरण होता है, जिसे औपचारिक व्याकरण द्वारा निरुपित किया जा सकता है और खासकर सन्दर्भमुक्त व्याकरण द्वारा जिसे ट्रांसफार्मेशन के नियमों द्वारा व्याख्यित किया जा सकता है।

उन्होंने माना कि प्रत्येक मानव शिशु में व्याकरण की संरचनाओं का एक अंतर्निहित एवं जन्मजात (आनुवांशिक रूप से) खाका होता है जिसे सार्वभौम व्याकरण की संज्ञा दी गयी। ऐसा तर्क दिया जाता है कि भाषा के ज्ञान का औपचारिक व्याकरण के द्वारा माडलिंग करने पर भाषा उत्पादकता के बारें में काफी जानकारी इकट्ठा की जा सकती है, जिसके अनुसार व्याकरण के सीमित नियमों द्वारा कैसे असीमित वाक्य निर्माण कैसे संभव हो पाता है। चामस्की ने प्राचीन भारतीय वैय्याकरण पाणिनी के प्राचीन जेनेरेटिव ग्रामर के नियमों के महत्व भी स्वीकृत करते हैं। ]

चाम्सकी ने अपने प्रिंसिपल्स ऐंड पैरामीटरस का माड्ल अपने पीसा के व्याख्यान के बाद 1979 में विकसित की थी जो बाद में लेक्चर्स आन गवर्नमेंट ऐंड बाइंडिंग के नाम से प्रकाशित हुई। इसमें चाम्सकी ने सार्वभौम व्याकरण के बारे में काफी अकाट्य दावे एवं तर्क पेश किये।

जेनेरेटिव ग्रामर

चाम्स्कियन हाइरेरकी

ध्वनि विज्ञान में उनका सबसे अच्छा काम द साउंड पैटर्न ऑफ इंग्लिश है, जो उन्होंने मारिस हाले के साथ मिलकर किया था। (जिसे अक्सर SPE के नाम से जाना जाता है).

मनोविज्ञान में योगदान

भाषाविज्ञान में चाम्सकी के शोधों का सबसे ज्यादा प्रभाव मनोविज्ञान में पड़ा।

विज्ञान की सांस्कृतिक आलोचना पर उनके विचार

चाम्सकी का मानना है कि मानव सभ्यता का इतिहास जानने एवं मानव को समझने के लिए विज्ञान की समझ जरूरी है:

मुझे लगता है कि विज्ञान का अध्यन इतिहास समझने की दिशा में अच्छी शुरुआत हो सकती है क्योंकि विज्ञान के अध्यन से आप तर्क, प्रमाण इत्यादि को समझ सकते हैं, आपको विज्ञान के अध्यन से यह समझ आती है कि कौन सी अवधारणा किस आधार पर बनानी चाहिए और वह कितनी सही हो सकती है। आप जहाँ विज्ञान के अध्यन से विभिन्न तार्किक निष्पत्तियों को समझ सकते हैं वहीं अगर आप इतिहास में सापेक्षता सिद्धांत का प्रयोग करना चाह्ते हैं तो यह आपको कहीं नहीं ले जा सकता। इसलिए विज्ञान को आप सोचने का एक तरीका मान सकते हैं।[३०]

राजनैतिक विचार

इतर क्षेत्रों में चाम्सकी का प्रभाव

चामस्कियन भाषाविज्ञान के माडल्स भाषाविज्ञान के अतिरिक्त कई अन्य विषयों के सैद्धांतिक क्षेत्र का अध्यन करते समया पढाया जाता है। चाम्सकी हायरेरकी को कम्प्यूटर विज्ञान के प्रारंभिक कक्षाओं में खासकर पढाया जाता है क्योंकि इससे कृत्रिम भाषाओं (जैसे कम्प्यूटर के प्रोग्रामिंग की भाषाएँ) इत्यादि को समझने में काफी सहूलियत मिलती है। चाम्सकी हायरेरकी को गणितिय सन्दर्भों में भी समझा जा सकता है[३१] एवं इसने गणित के विद्वानों में विशेष रुचि जगाई है। विकासवादी मनोविज्ञान के क्षेत्र में काफी सारे शोध चाम्सकी के शोध एवं शिक्षण से प्रेरित हुए हैं।[३२]

1984 में चिकित्सा विज्ञान एवं शरीर विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार विजेता श्री नील्स काज जेरने ने चाम्सकी के जेनेरेटिव माडल का प्रयोग हमारे शरीर में स्थित प्रोटीन संरचनाओं के गठन एवं शरीर की प्रतिरक्षा में उसके महत्व को समझाने के लिए किया था, उनके शोध का विषय था द जेनेरेटिव ग्रामर ऑफ इम्यून सिस्टम

कोलंबिया विश्वविद्यालय में जानवरों द्वारा भाषा अधिग्रहण (भाषा सीखने की प्रक्रिया) के ऊपर हो रहे शोध प्रक्रिया में जिस चिंपैंजी का इस्तेमाल किया उसका नाम इस क्षेत्र में चाम्सकी के योगदान को देखते हुए निम चिंप्सकी रखा था।

प्रसिद्ध कम्प्यूटर वैज्ञानिक डोनाल्ड क्नूथ तो यहाँ तक कहते हैं कि मैं तो चाम्सकी कि किताब 'सिंटैक्टिक स्ट्रक्चर से इतना प्रभावित हुआ कि 1961 में अपने हनीमून के दौरान उसे अपने साथ रखता था और अक्सर सोचता था कि …भाषा के इस गणितिय व्याख्या का प्रयोग मैं प्रोग्रामन के लिए कैसे कर सकता हूँ।

चाम्सकी के अन्य कार्यों में महत्वपूर्ण काम मास मीडिया की व्याख्या का काम रहा है जिसकी वजह से मीडिया के क्षेत्र में (खासकर अमरीकी मीडिया) उसके गठन, कार्यप्रणाली एवं सीमाएँ काफी खुलकर सामने आयीं और बहस का बड़ा मुद्दा बनीं।

एडवर्ड सईद एवं चाम्सकी की किताब मैन्यूफैक्चरिंग कांसेंट-द पालिटिकल इकानमी ऑफ मास मीडिया जो 1988 में प्रकाशित हुई, उसमें मीडिया के प्रोपोगैंडा माडल की विशद चर्चा की गयी और इसे कई दृष्टांतों के माध्यम से इसकी विवेचना की गयी। इस माडल के अनुसार अमरीका जैसी लोकतांत्रिक समाज में सत्ता एवं मीडिया अपने नियंत्रण को स्थापित करने के लिए अत्यंत सूक्ष्म, अहिंसक सूत्रों का सहारा लेती है न कि खुले बलप्रयोग इत्यादि की।

अकादमिक उपलब्धियाँ, सम्मान, एवं पुरस्कार

चाम्सकी के अकादमिक एवं अन्य व्याख्यान पूरी दुनिया में हर वर्ष होते रहते हैं, इनमें से कुछ नीचे दिये गये हैं जो काफी याद किये जाते हैं।

  1. 1969 में जान लाक संभाषण आक्सफोर्ड विश्वविद्याल्य
  2. जनवरी 1970 में बट्रेंड रसेल स्मारक संभाषण कैंब्रिज विश्वविद्यलय
  3. 1972 में नेहरू स्मारक व्याख्यान नयी दिल्ली में
  4. 1977 में हुइजिंग संभाषण लेदेन में
  5. 1988 में मेसी संभाषण टोरंटो विश्वविद्यालय में। शीर्षक "नेसेसरी इल्यूजन्स: थाट कंट्रोल इन डेमोक्रैटिक सोशायटीज".
  6. 1997 में अकादमिक स्वतंत्रता पर देइव स्मारक व्याख्यान केप टाउन में।[३३] अन्य व्याख्यान[३४]

चाम्सकी को पूरी दुनिया के कई विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों ने मानद उपाधियाँ प्रदान की हैं, प्रमुख संस्थानों में कुछ का नाम नीचे उल्लेख किया जा रहा है:

श्री चाम्सकी अमेरिकन अकेडमी ऑफ आर्ट्स ऐंड साइंसेज, नेशनल अकेडमी ऑफ साइंसेज, एवं अमेरिकन फिलासाफिकल सोशायटी के साथ-साथ देश-विदेश में बहुत से अन्य प्रतिष्ठित संस्थाओं के सम्माननीय सदस्य हैं। उन्हें अमेरिकन साइकोलाजिकल अशोशिएशन द्वारा विशेष वैज्ञानिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा उन्हें क्योतो पुरस्कार, हेल्महोल्त्ज मेडल, डोरोदी एलरिज पीसमेकर पुरस्कार एवं बेन फ्रैंकलिन मेडल इत्यादि से भी सम्मानित किया जा चुका है।[३५] उन्हें नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर्स ऑफ इंग्लिश द्वारा सार्वजनिक भाषा में शुचिता एवं इमानदारी लाने के लिए दो बार आरवेल पुरस्कार भी दिया गया है।[३६]

वे सर्बियाई विज्ञान एवं कला अकादमी के सामाजिक विज्ञान विभाग के सदस्य भी हैं।[३७]

सन 2007 में कार्लोस लिनेउस की स्मृति में श्री चामस्की को स्वीडन के उपासला विश्वविद्यालय ने डाक्टरेट की मानद उपाधि से विभूषित किया।[३८]

ब्रिटिश पत्रिका प्रास्पेक्ट द्वारा कराये गये ग्लोबल इंटेलेक्चुअल पोल में सन 2005 में जब चाम्स्की को दुनिया का सबसे अग्रणी जीवित विद्वान बताया गया तो उनकी प्रतिक्रिया थी-, "मैं सर्वेक्षणों पर बहुत ध्यान नहीं देता".[३९] न्यू स्टेट्समैन पत्रिका द्वारा 2006 में करवाये गये एक सर्वेक्षण के "हमारे समय के नायक" वर्ग में सातवाँ स्थान प्राप्त हुआ था।.[४०]

चामस्की पर विभिन्न लेखक

जीवनी

अन्य पुस्तक

ग्रंथ सूची

भाषाविज्ञान

संपूर्ण ग्रंथ-सूची के लिए एमआईटी के जालस्थल पर देखें [१].

  • चाम्सकी (1951). Morphophonemics of Modern Hebrew. Master's thesis, University of Pennsylvania.
  • चाम्सकी (1955). Logical Structure of Linguistic Theory.
  • चाम्सकी (1955). Transformational Analysis. Ph.D. dissertation, University of Pennsylvania.
  • चाम्सकी, Noam, Morris Halle, and Fred Lukoff (1956). "On accent and juncture in English." In For Roman Jakobson. The Hague: Mouton
  • चाम्सकी (1957). Syntactic Structures. The Hague: Mouton. Reprint. Berlin and New York (1985).
  • चाम्सकी (1964). Current Issues in Linguistic Theory.
  • चाम्सकी (1965). Aspects of the Theory of Syntax. Cambridge: The MIT Press.
  • चाम्सकी (1965). Cartesian Linguistics. New York: Harper and Row. Reprint. Cartesian Linguistics. A Chapter in the History of Rationalist Thought. Lanham, Maryland: University Press of America, 1986.
  • चाम्सकी (1966). Topics in the Theory of Generative Grammar.
  • चाम्सकी, Noam, and Morris Halle (1968). The Sound Pattern of English. New York: Harper & Row.
  • चाम्सकी (1968). Language and Mind.
  • चाम्सकी (1972). Studies on Semantics in Generative Grammar.
  • चाम्सकी (1975). The Logical Structure of Linguistic Theory.
  • चाम्सकी (1975). Reflections on Language.
  • चाम्सकी (1977). Essays on Form and Interpretation.
  • चाम्सकी (1979). Morphophonemics of Modern Hebrew.
  • चाम्सकी (1980). Rules and Representations.
  • चाम्सकी (1981). Lectures on Government and Binding: The Pisa Lectures. Holland: Foris Publications. Reprint. 7th Edition. Berlin and New York: Mouton de Gruyter, 1993.
  • चाम्सकी (1982). Some Concepts and Consequences of the Theory of Government and Binding.
  • चाम्सकी (1982). Language and the Study of Mind.
  • चाम्सकी (1982). Noam Chomsky on The Generative Enterprise, A discussion with Riny Hyybregts and Henk van Riemsdijk.
  • चाम्सकी (1984). Modular Approaches to the Study of the Mind.
  • चाम्सकी (1986). Knowledge of Language: Its Nature, Origin, and Use.
  • चाम्सकी (1986). Barriers. Linguistic Inquiry Monograph Thirteen. Cambridge, MA and London: The MIT Press.
  • चाम्सकी (1993). Language and Thought.
  • चाम्सकी (1995). The Minimalist Program. Cambridge, MA: The MIT Press.
  • चाम्सकी (1998). On Language.
  • चाम्सकी (2000). New Horizons in the Study of Language and Mind.
  • चाम्सकी (2000). The Architecture of Language (Mukherji, et al, eds.).
  • चाम्सकी (2001). On Nature and Language (Adriana Belletti and Luigi Rizzi, ed.).
  • चाम्सकी, N. & Place, U.T. (2000). "The Chomsky-Place correspondence 1993–1994". Edited, with an introduction and suggested readings, by T. Schoneberger. The Analysis of Verbal Behavior, 17, 7–38.

कम्प्यूटर विज्ञान

  • Chomsky (1956). Three models for the description of language. I.R.E. Transactions on Information Theory, vol. IT-2, no. 3: 113–124.

राजनीति

  • (1967). द रिस्पांसिबिलिटी ऑफ इंटेलेक्चुअल्स
  • (1969). अमेरिकन पावर ऐंड द न्यू मैंडरिन्स
  • (1970). "नोट्स आन अनार्किज्म", न्यूयार्क रिव्यू ऑफ बुक्स
  • (1970). एट वार विद एशिया
  • (1970). टू एसेज आन कंबोडिया
  • (1971). चाम्सकी: सेलेक्टेड रीडिंग्स
  • (1971). प्राब्लम्स ऑफ नालेज ऐंड फ्रीडम
  • (1973). फार रीजन्स ऑफ स्टेट
  • (1973). सेंसर्ड फुल टेक्स्ट काउंटर रिवोल्यूशनरी वायलेंस: ब्लड-बाथ इन फैक्ट ऐंड प्रोपोगैंडा (एडवर्ड हर्मन के साथ)
  • (1974). पीस इन द मिड्ल-ईस्ट? रिफ्लेक्शंस आन जस्टीस ऐंड नेशनहुड
  • (1976). इंटेलेक्चुअल्स ऐंड द स्टेट
  • (1978). ह्यूमन राईट्स ऐंड द अमेरिकन फारेन पालिसी
  • (1979). लैंग्वेज ऐंड रिस्पांसिबिलिटी
  • (1979). द पालिटिकल इकानमी ऑफ ह्यूमन राईट्स, वाल्यूम I: द वाशिंगटन कनेक्शन ऐंड थर्ड वर्ल्ड फासिज्म (सहलेखक: एडवर्ड हर्मन)
  • (1979). द पालिटिकल इकानमी ऑफ ह्यूमन राईट्स वाल्यूम II: आफ्टर द कैटाक्लिज्म: पोस्ट-वार इंडोचाईना ऐंड द रीकंस्ट्रक्शन ऑफ इंपीरियल आइडियोलजी (सहलेखक: एडवर्ड हर्मन)
  • (1981). रैडिकल प्रायोरिटिज
  • (1982). सुपरपावर्स इन कोलिजन: द कोल्ड वार नाऊ
  • (1982). टुवार्डस अ न्यू कोल्ड वार: एसेज आन द करंट क्राइसिस अन्द हाउ वी गाट देयर
  • (1983). द फैक्टफुल ट्रायंगल: द युनाईटेड स्टेट्स, इजरायल, ऐंड द पेलेस्टिनियन्स
  • (1985). टर्निंग द टाईड: यूएस इंटरवेन्शन इन द सेंट्रल अमेरिका ऐंड द स्ट्रगल फार पीस
  • (1986). पाइरेट्स ऐंड द एम्परर्स: इंटरनेशनल टेरेरिज्म इन द रियल वर्ल्ड
  • (1986). द रेस टू डिस्ट्रक्शन: इट्स रैशनल बेसिस
  • (1987). द चाम्सकी रीडर
  • (1987). आन पावर ऐंड आइडियोलजी
  • (1987). टर्निंग द टाईड: द यूएस ऐंड द लैटिन अमेरिका
  • (1988). द कल्चर ऑफ टेरेरिज्म
  • (1988). लैंग्वेज ऐंड पालिटिक्स
  • (1988). मैन्यूफैक्चरिंग कान्सेन्ट: द पालिटिकल इकानमी ऑफ द मास मीडिया (सहलेखक: एडवर्ड हर्मन)
  • (1989). नेसेसरी इल्यूजन्स
  • (1991). टेरेराइजिंग द नेबरहुड
  • (1992). व्हाट अंकल सैम रियली वांट्स
  • (1992). क्रोनिकल्स ऑफ डिसेंट
  • (1992). डेटरिंग डेमोक्रैसी
  • (1993). लेटर्स फ्राम लेक्सिंगटन: रिफ्लेक्शन्स आन प्रोपोगैंडा
  • (1993). द प्रास्पेरस फ्यू अन्द थे रेस्टलेस मेनी
  • (1993). रीथिंकिंग कैमलट: जेएफके, द वियतनाम वार, ऐंड द यूएस पालिटिकल कल्चर
  • (1993). वर्ल्ड आर्डर ऐंड इट्स रूल्स: वेरियेशंस आन सम थीम्स
  • (1993). इयर 501: द कांक्वेस्ट कंटीन्यूज
  • (1994). कीपिंग द रैबल इन लाईन
  • (1994). सिकरेट्स, लाइज, ऐंड डेमोक्रैसी
  • (1994). वर्ल्ड आर्डर्स, ओल्ड अन्द न्यू
  • (1996). पावर्स ऐंड प्रास्पेक्ट्स: रिफ्लेकशंस आन ह्यूमन नेचर ऐंड द सोशल आर्डर
  • (1996). क्लास वारफेयर
  • (1997). वन चैप्टर, द कोल्ड वार ऐंड द युनिवर्सिटी
  • (1997). मीडिया कंट्रोल: द स्पेक्टेकुलर अचीवमेंट्स ऑफ प्रोपोगैंडा
  • (1998). द काम गुड
  • (1999). द अम्ब्रेला ऑफ यूएस पावर
  • (1999). लैटिन अमेरिका: फ्राम कोलोनाइजेशन टू ग्लोबलाइजेशन
  • (1999). एक्ट्स ऑफ अग्रेसन: पोलिसिंग "रोग" स्टेट्स (सहलेखक: एडवर्ड सईद)
  • (1999). द न्यू मिलिट्री ह्यूमनिज्म: लेसन्स फ्राम कोसोवो
  • (1999). प्राफिट ओवर पीपल: नियोलिबरलिज्म ऐंड ग्लोबल आर्डर
  • (1999). द फेटफुल ट्रायंगल (संशोधित संस्करण)
  • (2000). चाम्सकी आन मिस-एड्यूकेशन (डोनैल्डो मकैडो द्वारा संपादित)
  • (2000). ए न्यू जेनेरेशन ड्राज द लाईन: कोसोवो, ईस्ट तिमोर ऐंड द स्टैंडर्ड्स ऑफ द वेस्ट
  • (2000). रोग स्टेट्स: द रूल ऑफ फोर्स इन वर्ल्ड अफेयर्स
  • (2001). प्रोपोगैंडा ऐंड द पब्लिक माइंड
  • (2001). 9-11
  • (2002). अंडरस्टैंडिंग पावर: द इंडिस्पेंसिबल चाम्सकी
  • (2002). चाम्सकी आन डेमोक्रैसी ऐंड एड्यूकेशन (सीपी ओटेरो द्वारा संपादित)
  • (2002). मीडिया कंट्रोल (द्वितीय संसकरण)
  • (2002). पाइरेट्स ऐंड एम्परर्स, ओल्ड ऐंड न्यू: इंटरनेशन टेरेरिज्म इन द रियल वर्ल्ड
  • (2003). पावर ऐंड टेरर: पोस्ट-9/11 टाक्स ऐंड इंटर्व्यूज
  • (2003). मिड्ल-ईस्ट इल्यूजन्स: इन्क्लूडिंग पीस इन द मिड्ल-ईस्ट? रिफ्लेक्शंस आन जस्टिस ऐंड द नेशनहुड
  • (2003). हेजेमोनी और सरवाईवल: अमेरिकाज क्वेस्ट फार ग्लोबल डामिनेंस
  • (2003). जेड नेट आलेख, डीप कनसर्नस https://web.archive.org/web/20080430095854/http://www.zmag.org/content/showarticle.cfm?ItemID=3293
  • (2004). गेटिंग हेईती राईट दिस टाईम: द यूएस ऐंड द कू (सहलेखक:पाल फ्रेमर एवं एमी गुडमैन)
  • (2005). चाम्सकी आन अनार्किज्म (बेरी पैटमैन द्वारा संपादित)
  • साँचा:cite book पोएट्री सेंटर, न्यूयार्क में 16 फ़रवरी 1970 को दिए गये भाषण का आलेख
  • (2005). इम्पीरियल एंबीशन्स: कानवर्सेशन्स आन द पोस्ट 9/11 वर्ल्ड
  • (2005). द इम्पेशियस इंपिरियलिस्ट
  • (2006). फेल्ड स्टेट्स: द अब्यूज ऑफ पावर ऐंड द असाल्ट आन डेमोक्रैसी
  • (2006). पेरिलियस पावर। द मिड्ल-ईस्ट ऐंड यूएस फारेन पालिसी. डायलाग्स आन टेरर, डेमोक्रैसी, वार अन्द जस्टिस (गिलबर्ट ऐचर के साथ)
  • (2007). इंटरवेंशन्स
  • (2007). व्हाट वी से गोज: कानवर्सेशन्स आन यूएस पावर इन ए चेंजिंग वर्ल्ड

फिल्म

साक्षात्कार

एमी गुडमैन द्वारा

मारिया हिनोजोसा द्वारा

एंड्र्यू मारद्वारा

डेविड बार्समेन द्वारा (आल्टरनेटिव रेडियो पर, बाद में पुस्तकाकार प्रकाशित)

  • कीपिंग द रैबल इन लाइन (1994)
  • क्लास वारफेयर (1996)
  • द कामन गुड (1998)
  • प्रोपोगैंडा ऐंड पब्लिक माइंड (2001)
  • इम्पीरियल एंबिशन्स—कानवर्सेशंस विद नोआम चाम्सकी आन द पोस्ट9/11 वर्ल्ड (2005)

दनिलो मैंडिक द्वारा (डाटान्यूज एडीट्राइस लिखित, कापीलेफ्ट, ईटली द्वारा प्रकाशित)

  • आन ग्लोबलाइजेशन, ईराक, ऐंड मिडिल-इस्टर्न स्टडीज (2005)
  • आन नाटो बांबिंग ऑफ युगोस्लाविया (2006)

हैरी क्रेजलर द्वारा ("कानवरसेशन्स विद हिस्ट्री" टीवी धारावाहिक कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय-बर्कली द्वारा)

अन्य द्वारा

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ सूची

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  19. "Noam Chomsky" स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, by Zoltán Gendler Szabó, in Dictionary of Modern American Philosophers, 1860–1960, ed. Ernest Lepore (2004). "Chomsky's intellectual life had been divided between his work in linguistics and his political activism, philosophy coming as a distant third. Nonetheless, his influence among analytic philosophers has been enormous because of three factors. First, Chomsky contributed substantially to a major methodological shift in the human sciences, turning away from the prevailing empiricism of the middle of the twentieth century: behaviorism in psychology, structuralism in linguistics and positivism in philosophy. Second, his groundbreaking books on syntax (Chomsky (1957, 1965)) laid a conceptual foundation for a new, cognitivist approach to linguistics and provided philosophers with a new framework for thinking about human language and the mind. And finally, he has persistently defended his views against all takers, engaging in important debates with many of the major figures in analytic philosophy..."
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बाहरी कड़ियाँ