राष्ट्रीय आवास बैंक
(नैशनल हाऊसिंग बैंक से अनुप्रेषित)
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राष्ट्रीय आवास बैंक भारत में आवासीय वित्त के लिये सर्वोच्च संस्था है। इसकी स्थापना 9 जुलाई 1988 को संसद के एक अधिनियम अर्थात् राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 के अधीन की गई थी जिसका उद्देश्य आवास वित्त संस्थानों के उन्नयन के लिए एक प्रधान एजेंसी के रूप में कार्य करने एवं ऐसे संस्थानों को वित्तीय एवं अन्य सहायता प्रदान करना था। अधिनियम, अन्य बातों के साथ-साथ राष्ट्रीय आवास बैंक को निम्नलिखित के लिए प्राधिकृत करता है:-
- आवास वित्त संस्थानों की सुडढ़ वित्तीय आधार पर वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए उनें निर्देश जारी करना ;
- अनुसूचित बैंकों, आवास वित्त संस्थानों अथवा केन्द्रीय, राज्य अथवा प्रांतीय अधिनियम के तीत स्थापित किसी प्राधिकरण जो गंदी बस्ती पुनर्विकास के कार्य में लगे हैं, को ऋण एवं अग्रिम प्रदान करना; और
- आवास के उद्देश्य से संसाधन जुटाना एवं आवास हेतु ऋण प्रदान करने के लिए योजनाएं तैयार करना।
उद्देश्य
रा०आ० बैंक की स्थापना, निम्न लिखित लक्ष्यों को प्राप्ति करने के लिए की गई है-
- (क) जनसंख्याक के सभी वर्गों के लिए एक सुदृढ़, स्वसस्थ , व्य वाहार्य तथा लागत प्रभावी आवास वित्त प्रणाली का संवर्धन और संपूर्ण वित्तीय प्रणाली से आवास वित्त प्रणाली का समेकन।
- (ख) विभिन्नस आय समूहों तथा विभिन्न क्षेत्रों को पर्याप्तव तौर पर सेवा करने हेतु समर्पित आवास वित्त संस्थाीनों का एक नेटवर्क विकसित करना।
- (ग) क्षेत्र हेतु संसाधनों का संवर्धन और उनका आवास हेतु श्रृखंलाकरण,
- (घ) आवास ऋण को अधिक किफायती बनाना,
- (च) अधिनियम से प्राप्तव विनियामक एवं पर्यवेक्षी प्राधिकार के तौर पर आवास वित्त कंपनियों के क्रियाकलापों का विनियमन,
- (छ) आवास हेतु भवन निर्माण योग्या भूमि और भवन निर्माण सामग्री की आपूर्ति की वृद्धि को भी प्रोत्सातहन देना तथा देश में आवास इकाईयों का उन्नीयन,
- (ज) आवास हेतु सेवित भूमि के पूर्तिकर्ताओं और सुविधा प्रदाताओं के तौर पर सार्वजनिक एजेंसियों को प्रोत्सािहन देना।