निजी कंपनी
(निजी कम्पनी से अनुप्रेषित)
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निजी कंपनी कम से कम दो और अधिकतम पचास सदस्यों का स्वैच्छिक संघ है, जिनका दायित्व सीमित होता है, जिनके शेयरों का अंतरण इसके सदस्यों तक सीमित होता है, जो साधारण जनता को इसके शेयर या डिबेन्चरों का ग्राहक बनने के लिए आमंत्रित करने के निमित अनुमन नहीं है।
कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुसार निजी कंपनी मैं कम से कम 2 तथा अधिकतम 200 व्यक्तियों तक सदस्य हो सकते हैं।
मुख्य विशेषताएं
- इसका स्वतंत्र कानूनी अस्तित्व है। भारतीय कम्पनी अधिनियम, 1956 में निजी कंपनी स्थापित करने संबंधी कानूनी औपचारिकताओं के संबंध में उपबंध निहित हैं। कम्पनी पंजीयक (आरओसी), जिसकी नियुक्ति कम्पनी अधिनियम के अधीन होती है जो विभिन्न राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में है, संबंधित राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में फैली हुई कम्पनियों को पंजीकृत करने का कर्त्तव्य सौंपा गया है।
- इसे संगठित करना और संचालन करना अपेक्षाकृत कम जटिल है चूंकि इसे बहुत से विनियमों और प्रतिबंधों से छूट दी गई है, जिनके अधीन सार्वजनिक लिमिटेड कम्पनियां शासित होती है, उनमें से कुछ निम्नलिखित है :-
- इसे पंजीयक के पास प्रोस्पेक्टस फाइल करने की आवश्यकता नहीं होती है।
- कारोबार आरंभ करने के लिए इसे प्रमाणपत्र प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है।
- इसे सांविधिक आम बैठक करने की आवश्यकता नहीं है और न ही इसे सांविधिक रिपोर्ट फाइल करने की आवश्यकता है।
- सार्वजनिक लिमिटेड कम्पनियों के निदेशकों पर लगाए गए प्रतिबंध इसके निदेशकों के लिए लागू नहीं होते है।
- इसके सदस्यों का दायित्व सीमित है।
- इसके सदस्यों के आबंटित शेयर उनके बीच मुक्त रूप से अंतरणीय नहीं हैं। ये कम्पनियां जनता को अपने शेयरों और डिबेन्चरों का ग्राहक बनने के लिए आमंत्रित करने हेतु अनुमत नहीं होती हैं।
- इसका अस्तित्व जारी रहता है, अर्थात इसके सभी सदस्यों की मृत्यु हो जाने या छोड़ देने के बावजूद जारी रहती है।
इसलिए प्राइवेट कम्पनी उन लोगों द्वारा पसंद की जाती है जो सीमित दायित्व का लाभ उठाना चाहते हैं परन्तु साथ-साथ सीमित क्षेत्र के भीतर व्यापार पर नियंत्रण रखना चाहते हैं और अपने व्यापार की गोपनीयता बनाए रखना चाहते हैं।
फायदे
- अस्तित्व की सततता
- सीमित दायित्व
- कम कानूनी प्रतिबंध
ख़ामियां
- शेयर मुक्त रूप से अंतरण योग्य नहीं हैं।
- अपने शेयर खरीदने के लिए जनता को आमंत्रित करने के लिए अनुमत नहीं है।
- संवर्धनात्मक धोखाधड़ी की संभावना
- अप्रजातंत्रिक नियंत्रण