द्रव्यमान स्पेक्ट्रममिति
द्रव्यमान स्पेक्ट्रममिति (Mass spectrometry) एक विश्लेषणात्मक तकनीक है जिस के द्वारा किसी मिश्रण में उपस्थित पृथक रासायनिक जातियों को पहले आयनित कर के विद्युत आवेश दिया जाता है और फिर उनके द्रव्यमान और आवेश के अनुपात (mass to charge ratio) के आधार पर अलग-अलग करा जाता है। इस तकनीक के द्वारा किसी भी मिश्रित सामग्री में मौजूद अलग-अलग रासायनों का पता लगाया जा सकता है।[१]
प्रक्रिया
हम जानते हैं कि किसी आवेशित कण पर लगने वाले विद्युतचुम्बकीय बल (लारेंज बल) का मान निम्नलिखित सूत्र द्वारा दिया जाता है-
- |<math>\vec{F} = q (\vec{E} + \vec{v} \times \vec{B})</math>
जहाँ:
- <math>\vec E</math> विद्युत क्षेत्र का सदिश मान
- <math>\vec B</math> सदिश चुम्बकीय क्षेत्र
- <math>\ q</math> कण पर स्थित आवेश
- <math>\vec v</math> कण का वेग (सदिश)
- <math>\times</math> सदिश गुणन का चिह्न
साधारण द्रव्यमान वर्णक्रममापन में किसी सामग्री का नमूना लिया जाता है, जो कि ठोस, द्रव्य या गैस हो सकता है। फिर इस नमूने पर इलेक्ट्रोनों की बौछार करी जाती है, जिस से मिश्रण में उपस्थित अणु (मोलिक्यूल) टूट जाते हैं और बहुतों में आवेश (चार्ज) आ जाता है। फिर इन्हें गतिमान कर के विद्युत क्षेत्र या चुम्बकीय क्षेत्र के प्रभाव में डाला जाता है। अलग-अलग आवेश और द्रव्यमान के रासायनिक अंश अलग-अलग पथ पकड़ लेते हैं। फिर किसी आयन-सूचक यंत्र द्वारा इन्हें जाँचा जाता है। द्रव्यमान-आवेश अनुपात के आधार पर एक वर्णक्रम जैसा चित्र बनाया जाता है जिसपर मात्रा के अनुसार ग्राफ़ बनाया जाता है। इस से निपुण रसायनशास्त्री मिश्रण में मौजूद रासायनिक अवयवों की पहचान करने में सक्षम हो जाते हैं।[२]