द टू टावर्स

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द लॉर्ड ऑफ़ द रिंग्स--द टू टावर्स (The Lord of the Rings--The Two Towers, मतलब अंगूठियों का मालिक--अंगूठी की मैत्री) अंग्रेज़ी में रचित उपन्यास सिलसिले अंगूठियों का मालिक की दूसरी कड़ी है जिसके (ब्रिटिश) लेखक जे. आर. आर. टोल्किन हैं। इसपर 2002 में एक हॉलिवुड फ़िल्म भी बनी है जिसने ऑस्कर भी जीते।

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दूसरी कड़ी : द लॉर्ड ऑफ़ द रिंग्स--द टू टावर्स

द लॉर्ड ऑफ़ द रिंग्स--द टू टावर्स (The Lord of the Rings—The Two Towers, यानि, अंगूठियों का मालिक--दो मीनरें) इस सिलसिले की दूसरी कड़ी है। सिलसिले की मध्य कड़ी होने की वजह से इसकी कहानी एकाएक ही शुरू होती है, बिना किसी चीज़ की जान-पहचान दिये और एकाएक ही ख़त्म भी हो जाती है। इसकी कहानी सौरॉन की काली मीनार बाराद-दूर और सारूमान की काली मीनार ऑर्थैंक के बीच की मैत्री के ईद-गिर्द घूमती है।

1. पहला अध्याय : ईसेनगार्ड की ग़द्दारी

दैत्यों द्वारा पकड़े गये दोनो हॉबिट मेरी और पिप्पिन सभी दैत्यों में हुई एक झड़प का फ़ायदा उठाकर फ़ैंगोर्न जंगल के अन्दर भाग जाते हैं। वहाँ उनको इंसाननुमा पेड़ एन्ट मिलते हैं। एन्ट पेड़ों के चरवाहे थे और उनको इस बात का बहुत रोष था कि सारुमान पेड़ों को काटकर अपनी भट्टियों के लिये इन्धन का बन्दोबस्त कर रहा है। मेरी और पिप्पिन एन्टों के सरदार ट्रीबियर्ड और बाकी एन्टों को मना लेते हैं कि उन्हें भी सारुमान के ख़िलाफ़ लड़ाई में मदद करनी चाहिये। आरागॉर्न, गिम्ली बौना और गन्धर्व लेगोलास मेरी और पिप्पिन की खोज करते-करते रोहान के सल्तनत में पहुँचते हैं, जहाँ रोहान के घुड़सवार उनको बताते हैं कि उनहोंने पिछली रात दैत्यों के एक समूह से युद्ध किया था और किसी को भी ज़िन्दा नहीं बख़्शा। पर आरागॉर्न मेरी और पिप्पिन की खोज जारी रखते हुए फ़ैंगोर्न जंगल में चले जाते हैं। वहाँ उनको एक जादूगर मिलता है, जिसे पहले तो वो लोग सारुमान समझते हैं, पर बाद में उन्हें ज्ञान होता है कि वो गैन्डैल्फ़ है, जो कि मोरिया की खदान से बालरोग को हराकर और फिर पुनर्जीवित होकर वापस आया है। वहाँ से चारों रोहान की सल्तनत की राजधानी की ओर रवाना होते हैं। रोहान के आधे-पागल हो चुके राजा थेओडन को गैन्डैल्फ़ ठीक करता है और उसके दुष्ट सलाहकार ग्रीमा केंचुआज़बान को देश निकाला दे दिया जाता है (ग्रीमा सारुमान के पास शरण लेता है)। गैन्डैल्फ़ थेओडन को समझाता है कि उसके राज्य पर सारूमान की बुरी नज़र लगी हुई है। उधर सारुमान ने रोहान पर अपनी उरुक-हाइ सेना द्वारा चढ़ाई कर दी। हेल्म की घाटी में उरुक-हाइ और रोहानवासियों के बीच भयानक युद्ध होता है। उस समय गैन्डैल्फ़ एओमर की आदमियों को इकट्ठा करने पहाड़ियों पर चला जाता है। सुबह होते होते गैन्डैफ़ उन सभी आदमियों के साथ वापस आता है, जो दैत्यों को परास्त कर देते हैं। भागते हुए दैत्य एक नये वन में शरण लेते हैं, जो असल में एन्टों द्वारा लाये गये हूओर्न (आधे-पेड़, आधे एन्ट) थे। वहाँ सभी दत्य हूओर्न द्वारा मारे जाते हैं। इसके बाद बदला लेने थेओडन और अन्य लोग एक सेना लेकर ऑर्थैंक जाते हैं।

ऑर्थैंक को, मीनार को छोड़, तबतक एन्टों ने अपने कब्ज़े में ले लिया था और पार की नदी का बान्ध तोड़कर उसे जलमग्न कर दिया था। सारुमान की दुष्टता बरकरार रहने की वजह से गैन्डैल्फ़ ने उसकी जादुई छड़ी तोड़ दी और उसे जादूगर श्रेणी से निकाल दिया। सारुमान ने ग़लती से उन लोगों की तरफ़ एक पालान्तीर दे मारा, जिसे पिप्पिन ने पकड़ा। जिज्ञासु हॉबिट पिप्पिन ने जादुई पालान्तीर का उपयोग करते हुए उसमें चुपके से नज़र गड़ाई। वहाँ उसे सौरॉन और उसकी अगली चाल की भनक मिली। इसके बाद गैन्डैल्फ़ और पिप्पिन गोन्डोर की सल्तनत की ओर रवाना हो गये।

2. दूसरा अध्याय : मोर्डोर तक का सफ़र

फ़्रोडो और सैम मोर्डोर का रास्ता कोहरे की वजह से नहीं ढूँढ पाते हैं। राह में उनको गोल्लुम मिलता है, जो सारे रास्ते उनका पीछ कर रहा था। अंगूठी के पीछे पागल गोल्लुम उनसे अंगूठी छीनने की कोशिश करता है, लेकिन फ़्रोडो और सैम उसे पकड़ लेते हैं। सैम उसे मार डालना चाहता है, पर फ़्रोडो उस पर तरस खाकर उसे अपना मार्गदर्शक बना देता है, इस शर्त पर कि गोल्लुम उनको मोर्डोर के द्वार तक ले जायेगा और अंगूठी छीनने की कोशिश नहीं करेगा। कुछ समय तक ऐसा प्रतीत होता है कि गोल्लुम सही में उनका सच्चा साथी बन गया है। उधर फ़्रोडो के दिलोदिमाग़ पर अंगूठी और उसे पहनने की चाहत भयानक रूप से भारी पड़ती जा रही थी। वो उन लोगों को मोर्डोर के मुख्य फाटक (मोरान्नोन की काली घाटी) तक ले जाता है, पर उसके पहरे को पार कर पाना नामुम्किन सा था। गोल्लुम फ़्रोडो से कहता है कि वो उनको एक दूसरे गुप्त रास्ते से मोर्डोर के अन्दर ले जा सकता है। इसपर वो तीनों किरीथ उंगोल () की सीढियों के लिए मीनास मोर्गुल (अंग्मार के डायनराज का किला) की तरफ़ चल पड़े। इथीलियन में उनको बोरोमीर के छोटे भाई फ़ारामीर ने पकड़ लिया, लेकिन फ़्रोडो का मक़सद जानने के बाद उनको छोड़ दिया। लेकिन किरीथ उंगोल पहुँच कर गोल्लुम अपनी शैतानियत से बाज़ नहीं आया और उसने फ़्रोडो को वहाँ की गुफा में रहने वाली एक दानवाकार विशाल मकड़ी शेलोब () के हवाले कर दिया (अंगूठी चुराने के लिये)। शेलोब ने फ़्रोडो को अपने ज़हर से डँस लिया। सैम ने फ़्रोडो को मरा हुआ समझ उससे अंगूठी ले ली और फ़्रोडो का काम ख़ुद पर ले लिया। वहाँ आये कुछ दैत्यों ने फ़्रोडो का जिस्म अपने कब्ज़े में ले लिया और उसी समय उनकी बातचीत से सैम को पता चलता है कि फ़्रोडो अभी ज़िन्दा है।

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पिछली और अगली कड़ियाँ

इस दूसरी कड़ी की कहानी पहली कड़ी से जारी है और बाकी की कहानी सिलसिले की तीसरी कड़ी में जारी है। देखिये :