तीन ताल

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तीन ताल उत्तर भारत के संगीत, हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रसिद्ध तालों में से एक है।[१] यह लयबद्ध सरंचना का सममित स्वरूप है।[२]यह कुल सोलह (16) मात्राओं का ताल हैं ।

स्वरूप

यह कुल सोलह (16) मात्राओं का ताल हैं जिसमें चार-चार मात्राओं के चार विभाग होते हैं। तीसरे विभाग में ख़ाली होती है जो नवीं मात्रा पर होती है। पहली मात्रा पर सम होता है।

इसके मूल बोल निम्नलिखित हैं:

धा धिं धिं धा। धा धिं धिं धा। धा तिं तिं ता। ता धिं धिं धा |

तीन ताल के कुछ टुकड़े:

धा धिं धिं धा | धा धिं धिं धा | धा तिं तिं ता | ता धिं धिं धा |

ठेका ( मात्राएँ १६, ताली ३, खाली १)
दूसरा प्रकार:


धा त्रक धिं धा | धा त्रक धिं धा | धा त्रक तिं ता | ता त्रक धिं धा |

तीसरा प्रकार:

धागे धिग धिं धा | धागे धिग धिं धा | धागे तिग तिं ता | तागे धिग धिं धा |

कायदा:

धागे त्रकिट तूना कत्ता | त्रकिट तूना कत्ता त्रकिट | तागे त्रकिट तूना कत्ता | त्रकिट तूना कत्ता त्रकिट ||

आमद:

धागे त्रकिट तूना कत्ता | त्रकिट तूना कत्ता त्रकिट | धा तूना कत्ता त्रकिट | धा तूना कत्ता त्रकिट ||

गत

1.

दीं नग किड़ नग | धागे त्रकिट दिने किने | तीं नग किड़ नक | धागे त्रकिट दिने किने ||

2.

दीं नग किड़ नग | दीं नग किड़ नक | धागे त्रकिन दिने किने | दीं नग किड़ नक || तीं नग किड़ नक | तीं नग किड़ नग | धागे त्रकिट दिने किने | दीं नग किड़ नक ||

3.

धागे तिट घिड़ नग | तागे तिट किड़ नक | धिद्ध धिद्ध धिन ता | किड़ नग धागे तिट ||

4.

धा s धिन ता | किड़ नक धागे तिट | ता s धिन ता | किड़ नक धागे तिट ||

5.

धागे तिट घिड़ नग | धागे तिट घिड़ नग | तागे तिट घिड़ नग | धागे तिट घिड़ नग ||

6.

धा किट धा कृधा | किट धागे तिट धीना | गीना त्रकिट तूना कत्ता | घिड़ा sन् नागे तिट || ता किट ता कृधा | किट तागे तिट तीना | गीना त्रकिट तूना कत्ता | किड़ा sन् नागे तिट ||

7.

धागे त्रकिट धिन धिन | धिद्ध धिद्ध धिट तिट | त्रकिट धिने धित त्रकिट | धिट धिट धागे तिट || तागे त्रकिट दिन दिन | धिद्ध धिद्ध धिट तिट | त्रकिट धिने धिट त्रकिट | धिट तिट धागे तिट ||


आमद

दीं नग किड़ नक | धागे त्रकिट दिने किने | धा त्रकिट दिने किने | धा त्रकिट दिने किने ||

तीया

तिट कत गद गिन | धाती धाती टक तग | दगि नधा तीधा तिट | कत गद गिन धाती ||

सन्दर्भ

  1. तीन ताल स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, रागांजलि (गूगल पुस्तक), द्वारा पण्डित जगदीश मोहन और रागिनी प्रताप
  2. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।