डिजीलॉकर

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डिजिलॉकर
DigiLocker Logo
Developer(s)साँचा:plainlist
Initial releaseDecember 2015; साँचा:years or months ago (2015-त्रुटि: अमान्य समय।)
साँचा:Infobox software/stacked
Operating systemसाँचा:plainlist
Sizeसाँचा:plainlist
Typeडिजिटलीकरण
Licenseफ्रीवेयर
Websitedigilocker.gov.in

साँचा:template other

डिजीलॉकर, एक भारतीय डिजिटलीकरण ऑनलाइन सेवा है जो इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय(MeitY), भारत सरकार द्वारा अपनी डिजिटल भारत पहल के तहत प्रदान की जाती है। डिजीलॉकर प्रत्येक आधार धारक को इन प्रमाण पत्रों के मूल जारीकर्ताओं से डिजिटल दस्तावेज़ में ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन पंजीकरण, शैक्षणिक मार्क शीट जैसे प्रामाणिक दस्तावेजों / प्रमाण पत्रों का उपयोग करने के लिए क्लाउड में एक खाता प्रदान करता है। यह विरासत दस्तावेजों की स्कैन की गई प्रतियों को अपलोड करने के लिए प्रत्येक खाते में 1GB भंडारण स्थान भी प्रदान करता है।[१]

यह सुविधा पाने के लिए बस उपयोगकर्ता के पास भारत सरकार द्वारा प्रद्दत आधार कार्ड होना चाहिए। अपना आधार अंक डाल कर उपयोगकर्ता अपना डिजिलॉकर खाता खोल सकते हैं और अपने जरूरी दस्तावेज़ सुरक्षित रख सकते हैं। आधार अंक की अनिवार्यता होने की वजह से यह तय किया गया है। कि इस सरकारी सुविधा का लाभ सिर्फ भारतीय नागरिक ही ले सकें और जिसका भी खाता हो, उसके बारे में सभी जानकारी सरकार के पास हो। कोई भी ठग, झूठा और अप्रमाणित व्यक्ति इसका उपयोग ना कर सके इसके लिये आधार कार्ड होने की अनिवार्यता बेहद आवश्यक है। क्योंकि आधार कार्ड भी भारत सरकार द्वारा पूरी जाँच पड़ताल के बाद ही जारी किया जाता है। इस तरह से इस प्रणाली के दुरुपयोग की संभावना बेहद कम हो जाती है। इस सुविधा की खास बात ये हैं कि एक बार लॉकर में अपने दस्तावेज अपलोड करने के बाद आप कहीं भी अपने प्रमाणपत्र की मूलप्रति के स्थान पर अपने डिज़िलॉकर की वेब कड़ी (यूआरएल) दे सकेंगे।[२]

भारत के संचार एवं आईटी मंत्रालय की शाखा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्मोगिकी विभाग (डीईआईटीवाई) ने जुलाई २०१५ में डिजिटल लॉकर का बीटा संस्करण जारी किया है। इस संस्करण का नाम डिजीलॉकर रखा गया है।[३] यह विरासत दस्तावेजों की स्कैन की गई प्रतियां अपलोड करने के लिए प्रत्येक खाते में 1 जीबी भंडारण स्थान भी प्रदान करता है। फिलहाल यह वेबसाईट हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में उपलब्ध है।

दिसंबर 2019 तक, डिजीलॉकर 149 जारीकर्ताओं से 372+ करोड़ से अधिक प्रामाणिक दस्तावेजों तक पहुंच प्रदान करता है। डिजीलॉकर पर 3.3 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता पंजीकृत हैं। 43 आवश्यकताकर्ता संगठन डिजीलॉकर के दस्तावेजों को स्वीकार कर रहे हैं।

कार्य-प्रणाली

डिजीटल लॉकर को खोलने के लिए आपको डिजिलॉकर की वेबसाइट पर जाकर अपना खाता खोलना होगा। पंजीकरण करने के लिए आपको मुख्यपृष्ठ पर (अभी रजिस्टर करें) नामक बटन दबाना होगा और फिर नए खुले पृष्ठ पर अपने आधार कार्ड का नंबर डालना होगा। फिर आप ओटीपी या अंगुली के निशान के ज़रिए लॉगिन (अंदर प्रवेश) कर सकते हैं। लॉगिन होने के बाद आपसे जो सूचना मांगी जाए उसे भरें। इसके बाद आपका खाता बन जाएगा। खाता खुलने के बाद आप कभी भी इस पर अपने व्यक्तिगत दस्तावेज डाल (अपलोड कर) सकेंगे और बिना किसी शुल्क के सुरक्षित रख सकेंगे।
लेकिन आईडी बनाने के लिए आधार कार्ड नंबर से लॉगिन करने वाली शर्त को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। [४]

डिजिटल लॉकर के लिए आईटी अधिनियम में संशोधन

डिजिटल लॉकर केवल एक तकनीकी मंच नहीं है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय, भारत सरकार ने डिजिटल लॉकर के लिए भी सूचना दी।[५] फरवरी 2017 में इन नियमों में किए गए संशोधन में कहा गया है कि डिजिटल लॉकर के माध्यम से प्रदान और साझा किए गए जारी किए गए दस्तावेज़ समान भौतिक प्रमाण पत्र के बराबर हैं।[६]

इस नियम के अनुसार, - (1) जारीकर्ता जारी करना शुरू कर सकते हैं और अनुरोध अधिनियम और नियमों के प्रावधानों के अनुसार भौतिक दस्तावेजों के साथ ग्राहकों के डिजिटल लॉकर खातों से साझा किए गए डिजिटल या (इलेक्ट्रॉनिक रूप से) हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र या दस्तावेजों को स्वीकार करना शुरू कर सकते हैं; वहाँ बनाया गया। (2) जब उप-नियम (1) में उल्लिखित ऐसे प्रमाणपत्र या दस्तावेज डिजिटल जारीकर्ता प्रणाली में जारीकर्ता द्वारा जारी किए गए या धकेल दिए गए हैं और बाद में यूआरआई के माध्यम से एक अनुरोधकर्ता द्वारा एक्सेस या स्वीकार किए जाते हैं, तो इसे माना जाएगा इलेक्ट्रॉनिक रूप में सीधे जारीकर्ता।[७]

डिजीलॉकर में डिजिटल ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन आरसी कानूनी रूप से आईटी अधिनियम, 2000 के साथ-साथ मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत वैध है।

सुविधाएं

डिजिटल लॉकर की सबसे बड़ी सुविधा ये हैं कि उपयोगकर्ता कहीं से भी और कभी भी अपने दस्तावेजों को इसके जरिए जमा कर सकते हैं। उन्हें निशुल्क सुरक्षित रख सकते हैं, किसी भी सरकारी काम जहाँ दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियाँ देना अनिवार्य होता है वहाँ मूलप्रति या उसकी छायाप्रति देने की बज़ाय अपने लॉकर का यूआरएल दे सकते हैं। अधिकारी वहाँ से इन प्रमाणपत्रों को देख सकते हैं। इस तरह से भारतीय नागरिकों को हर जगह अपने ज़रूरी दस्तावेज लेकर घूमने की जरूरत नहीं है।[८] डिजिटल लॉकर स्कीम में हर भारतीय जिसके पास सरकार द्वारा ज़ारी अपना आधार अंक है अपने एकेडेमिक, चिकित्सकीय रिकॉर्ड, पासपोर्ट और पैन कार्ड जैसे दस्तावेजों को डिजिटल स्वरूप में यहाँ सरकार की निगरानी में रख सकता है। यहाँ दस्तावेजों के डिजिटल स्वरूप से मतलब उनका चित्र है। मूल मुद्रित प्रति तो उस व्यक्ति के पास ही रहेगी, सिर्फ उसकी छायाप्रति ही वेबसाइट पर रखनी होगी। इसको ही डिज़िटल स्वरूप कहते हैं। वेबसाइट में कहा गया है, डिजिटल लॉकर अधिकृत उपभोक्ताओं/ एजेंसियों को किसी भी समय और कहीं भी अपने दस्तावेजों को सुरक्षित तरीके से अपलोड और साझा करने की सहूलियत देता है। [९]

सुरक्षा

भारत सरकार के सूचना एवं आईटी विभाग द्वारा प्रबन्धित यह लॉकर सेक्योर सॉकेट लेयर[एसएसएल] के द्वारा एचटीटीपीएस सुरक्षा प्रणाली द्वारा सुरक्षित है जो कि फिलहाल वेबसाइट सुरक्षा के लिए सबसे सुरक्षित प्रणाली है।[१०] वेबसाइट के यूआरएल (https://web.archive.org/web/20150630200953/https://digitallocker.gov.in/) में https:// और उसके आगे एक हरा ताला इसकी सुरक्षा का द्मोतक है। यहाँ s का मतलब अंग्रेजी का शब्द secure है जिसका हिंदी में अर्थ सुरक्षित होता है।

अगर आप https:// और हरा ताला यानि एचटीटीपीएस के साथ हरा ताला नहीं देख पा रहे हैं तो इसका मतलब आप किसी फर्ज़ी वेबसाइट पर हैं जो आपकी जानकारियाँ चुरा सकता है।

राज्यों की भागीदारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम में हरियाणा की तरफ से जबरदस्त भागीदार हो रही है। पहली जुलाई 2015 से शुरू किए गए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के पहले सप्ताह में ही हरियाणा के 30 हजार नागरिक डिजिटल लॉकर से जुड़ गये।[११][१२] सरकारी कर्मचारी और अधिकारी भी इसमें पीछे नहीं हैं और उन्होंने भी डिजिटल लॉकर खोले हैं। सरकार के डिजिटल लिट्रेसी कार्यक्रम के तहत कॉमन सर्विस सेंटर, डिजिटल लॉकरबायोमैट्रिक अटेंडेंस जैसी योजनाएं क्रियांवित की जा रही हैं।[१३] उत्तरप्रदेश में भी शासन के निर्देश से जगह-जगह डिजिटल लॉकर जागरूकता अभियान चलाया गया है। कार्यशालाएं आयोजित कर लोगों को डिजिटल लॉकर के फायदे, उसकी उपयोगिता और उसे खोलने का तरीका बताया जा रहा है। [१४] मध्य प्रदेश सरकार भी डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को लेकर काफी उत्साहित है। खासकर विद्यार्थियों को इस कार्यक्रम के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जगह-जगह हो रहे कार्यक्रमों में डिजिटल लॉकर खोलने की प्रक्रिया को समझाया जा रहा है। बैतूल जिले में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत 1 लाख छात्रों के डिजिटल लॉकर खोले जाएंगे।[१५] साथ ही इंटरनेट सेवा के तहत ई-अस्पताल, ई-बस्ता, इलेक्ट्रानिक उत्पादन, क्लस्टर एंव स्किल डेवलपमेंट इंडिया डिजिटल कार्यक्रम, नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल, भारत नेट, नेक्स्ट जनरेशन नेटवर्क, इंडिया पोस्ट, सीएससी आदि के बारे में बताया जा रहा है। [१६] राजस्थान में भी डिजिटल इंडिया सप्ताह के तहत कई जिलों में कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। लोगों को डिजिटल लॉकर से लेकर कई तरह की जानकारी दी गई, उन्हें प्रोत्साहित किया गया। डिजिटल इंडिया सप्ताह के तहत राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र पाली के तत्वावधान में भी कार्यशाला का आयोजन कर डिजिटल लॉकर के बारे में जानकारी दी गई।[१७] छत्तीसगढ़ सरकार भी इस कार्यक्रम को लेकर बेहद उत्साहित है। छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव श्री विवेक ढांड ने डिजिटल लॉकर के इस्तेमाल को बढ़ावा देने अधिकारियों को प्रेरित किया और उन्हें पत्र लिखा है। राज्य शासन के सभी विभागों, विभागाध्यक्षों, संभागायुक्तों और कलेक्टरों को परिपत्र जारी कर उन्होंने अधिक से अधिक लोगों को डिजिटल लॉकर के उपयोग के लिए प्रोत्साहित करने को कहा है।[१८]

सन्दर्भ

  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  2. साँचा:cite news
  3. साँचा:cite news
  4. साँचा:cite news
  5. साँचा:cite web
  6. साँचा:cite web
  7. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  8. साँचा:cite news
  9. साँचा:cite news
  10. साँचा:cite web
  11. साँचा:cite news
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  16. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
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