ज़ोहराबाई अम्बालेवाली
ज़ोहराबाई अम्बालेवाली | |
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जन्म |
ज़ोहराबाई 1918 अम्बाला, पंजाब, ब्रिटिश इंडिया (वर्तमान: अम्बाला, हरियाणा, भारत) |
मृत्यु |
21 फरवरी, 1990 |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
व्यवसाय | गायिका |
कार्यकाल | 1932–1953 |
प्रसिद्धि कारण |
रतन (1944) ज़ीनत (1945) अनमोल घड़ी (1946) |
जीवनसाथी | फक़ीर मुहम्मद |
ज़ोहराबाई अम्बालेवाली (1918- 21 फरवरी 1990) 1930 और 1940 के दशक में हिन्दी सिनेमा में एक भारतीय शास्त्रीय गायिका और पार्श्व गायिका थीं।
वह 1944 में रतन के हिट संगीत से, "अँखियां मिलाके जिया भरमाके" और "ऐ दीवाली, ऐ दिवाली" के गीतों में अपनी भारी आवाज़ वाले गायन के लिए जानी जाती हैं। अनमोल घड़ी (1946) में शमशाद बेगम के साथ जुगलबंदी गीत "उड़न खटोले पे उड़ जाऊँ" भी उनका मशहूर गीत है। दोनों फिल्मों में संगीत नौशाद ने दिया था।[१] राजकुमारी, शमशाद बेगम और अमीरबाई कर्नाटकी के साथ, वह हिन्दी फिल्म उद्योग में पार्श्व गायकों की पहली पीढ़ी में शामिल थीं। हालाँकि, 1940 के दशक के अंत में, गीता दत्त और लता मंगेशकर जैसी नई आवाज़ों के आने का मतलब ये हुआ कि ज़ोहराबाई अम्बालेवाली का करियर खत्म हो गया।[२]
प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि
ज़ोहराबाई वर्तमान हरियाणा के अम्बाला में पेशेवर गायकों के परिवार में जन्मी और पली-बढ़ी जिससे उन्हें उनका उपनाम, 'अम्बालेवाली' मिला। उन्होंने गुलाम हुसैन खान और उस्ताद नासिर हुसैन खान से अपना संगीत प्रशिक्षण शुरू किया। इसके बाद, उन्हें हिन्दुस्तानी संगीत के आगरा घराने से संगीत का प्रशिक्षण दिया गया।
करियर
वह युग था जब हिन्दी सिनेमा में ठुमरी-शैली और भारी आवाज़ों के प्रमुख पार्श्व गायिकों के साथ शमशाद बेगम, खुर्शीद, अमीरबाई कर्नाटकी जैसी गायिका गा रही थी। यह 1948 में लता मंगेशकर के आगमन से ठीक पहले था, जिन्होंने गीता दत्त और आशा भोंसले के साथ लोकप्रिय आवाज़ों को बारीक आवाज़ की ओर स्थानांतरित कर दिया। इससे उन पुराने गायिकों का करियर धीरे-धीरे समाप्त हो गया। उस युग की एक और प्रमुख फिल्म पार्श्व गायिका नूरजहां ने पाकिस्तान में प्रवास करने का निर्णय लिया और 2000 में मृत्यु होने तक उन्होंने पाकिस्तान में एक अत्यधिक सफल गायन करियर बनाया। ज़ोहराबाई अम्बालेवाली ने 1950 में फिल्म उद्योग से संन्यास ले लिया, हालांकि उन्होंने अपनी बेटी रोशन कुमारी, जो कि एक प्रसिद्ध कथक नर्तक हैं, के प्रदर्शनों में गाना जारी रखा। रोशन ने सत्यजीत रे की फिल्म जलसाघर (1958) में भी अभिनय किया।