जोसेफ़ स्टालिन
जोसेफ़ स्टालिन
Иосиф Виссарионович Сталин साँचा:ru icon
იოსებ ბესარიონის ძე სტალინი साँचा:ka icon
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1937 में स्टालिन | |
पद बहाल 3 अप्रैल 1922 – 16 अक्टूबर 1952 | |
पूर्वा धिकारी | व्याचेस्लाव मॉलोटोव (जिम्मेदार सचिव के रूप में) |
उत्तरा धिकारी | निकिता ख्रुश्चेव (कार्यालय फिर से स्थापित) |
मंत्रिमंडल के अध्यक्ष
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पद बहाल 6 मई 1941 – 5 मार्च 1953 | |
First Deputies | निकोलाई वोज़नेसेंस्की व्याचेस्लाव मॉलोटोव |
पूर्वा धिकारी | व्याचेस्लाव मॉलोटोव |
उत्तरा धिकारी | जिओर्गी मैलेन्कोव |
सोवियत संघ के रक्षामंत्री
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पद बहाल 19 जुलाई 1941 – 25 फ़रवरी 1946 | |
प्रधानमंत्री/प्रिमीयर | स्वयं |
पूर्वा धिकारी | सेमोन टिमोशेनको |
उत्तरा धिकारी | निकोलाई बुलगानिन रिक्ति के बाद |
सचिवालय के सदस्य
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पद बहाल 3 अप्रैल 1922 – 5 मार्च 1953 | |
सभापतिमंडल के पूर्णकालिन सदस्य
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पद बहाल 25 मार्च 1919 – 5 मार्च 1953 | |
ऑर्गब्यूरो के सदस्य
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पद बहाल 16 जनवरी 1919 – 5 मार्च 1953 | |
जन्म | साँचा:br separated entries |
मृत्यु | साँचा:br separated entries |
समाधि स्थल | साँचा:br separated entries |
राष्ट्रीयता | सोवियत |
राजनीतिक दल | सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी |
जीवन संगी | केटरिना सेवानिडेज़ (1906–1907) नदेज़्दा ऑलिल्यूयेवा (1919–1932) |
बच्चे | याकोव डीजुगैशविल, वसीली डिजुगैशविल, स्वेतलाना ऑलिल्यूयेवा |
धर्म | कोई नहीं (नास्तिक) |
पुरस्कार/सम्मान | साँचा:main other |
हस्ताक्षर | |
सैन्य सेवा | |
निष्ठा | साँचा:flag |
सेवा/शाखा | सोवियत सशस्त्र बल |
सेवा काल | 1943–1953 |
पद | सोवियत संघ के मार्शल (1943–1945) सोवियत संघ के जनरलिसिमस (1945–1953) |
कमांड | सभी (सुप्रीम कमांडर) |
लड़ाइयां/युद्ध | द्वितीय विश्व युद्ध |
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जोज़ेफ विसारिओनोविच स्टालिन (रूसी : Ио́сиф Виссарио́нович Джугашвили) (1878-1953) सोवियत संघ का १९२२ से १९५३ तक नेता था। स्टालिन का जन्म गोरी जॉर्जिया में हुआ था।
जीवनी
स्टालिन का जन्म जॉर्जिया में गोरी नामक स्थान पर हुआ था। उसके माता पिता निर्धन थे। जोज़फ़ गिरजाघर के स्कूल में पढ़ने की अपेक्षा अपने सहपाठियों के साथ लड़ने और घूमने में अधिक रुचि रखता था। जब जॉर्जिया में नए प्रकार के जूते बनने लगे तो जोज़फ़ का पिता तिफ्लिस चला गया। यहाँ जोज़फ़ को संगीत और साहित्य में अभिरुचि हो गई। इस समय तिफ्लिस में बहुत सा क्रांतिकारी साहित्य चोरी से बाँटा जाता था। जोज़फ़ इन पुस्तकों को बड़े चाव से पढ़ने लगा। 19 वर्ष की अवस्था में वह मार्क्स के सिद्धांतों पर आधारित एक गुप्त संस्था का सदस्य बना। 1899 ई. में इसके दल से प्रेरणा प्राप्त कर काकेशिया के मजदूरों ने हड़ताल की। सरकार ने इन मज़दूरों का दमन किया। 1900 ई. में तिफ्लिस के दल ने फिर क्रांति का आयोजन किया। इसके फलस्वरूप जोज़फ़ को तिफ्लिस छोड़कर बातूम भाग जाना पड़ा। 1902 ई. में जोज़फ़ को बंदीगृह में डाल दिया गया। 1903 से 1913 के बीच उसे छह बार साइबेरिया भेजा गया। मार्च 1917 में सब क्रांतिकारियों को मुक्त कर दिया गया। स्टालिन ने जर्मन सेनाओं को हराकर दो बार खार्कोव को स्वतंत्र किया और उन्हें लेनिनग्रेड से खदेड़ दिया।
1922 में सोवियत समाजवादी गणराज्यों का संघ बनाया गया और स्टालिन उसकी केंद्रीय उपसमिति में सम्मिलित किया गया। लेनिन और ट्रॉट्स्की विश्वक्रांति के समर्थक थे। स्टालिन उनसे सहमत न था। जब उसी वर्ष लेनिन को लकवा मार गया तो सत्ता के लिए ट्रॉट्स्की और स्टालिन में संघर्ष प्रारंभ हो गया। 1924 में लेनिन की मृत्यु के पश्चात् स्टालिन ने अपने को उसका शिष्य बतलाया। चार वर्ष के संघर्ष के पश्चात् ट्रॉट्स्की को पराजित करके वह रूस का नेता बन बैठा।
1928 ई. में स्टालिन ने प्रथम पंचवर्षीय योजना की घोषणा की। इस योजना के तीन मुख्य उद्देश्य थे - सामूहिक कृषि, भारी उद्योगों की स्थापना और नए श्रमिक समाज का निर्माण। सरकार सामूहिक खेतों में उत्पन्न अन्न को एक निश्चित दर पर खरीदती थी और ट्रैक्टर किराए पर देती थी। निर्धन और मध्य वर्ग के कृषकों ने इस योजना का समर्थन किया। धनी कृषकों ने इसका विरोध किया किंतु उनका दमन कर दिया गया। 1940 ई. में 86% अन्न सामूहिक खेतों में, 12 % सरकारी फार्मों में और केवल 1 % व्यक्तिगत किसानों के खेतों में उत्पन्न होने लगा। इस प्रकार लगभग 12 वर्षों में रूस में कृषि में यह क्रांतिकारी परिवर्तन हो गया। उद्योगों का विकास करने के लिए तुर्किस्तान में बिजली का उत्पादन बढ़ाया गया। नई क्रांति के फलस्वरूप 1937 में केवल 10% व्यक्ति अशिक्षित रह गए जबकि 1917 से पूर्व 79% व्यक्ति अशिक्षित थे।
स्टालिन साम्यवादी नेता ही न था, वह राष्ट्रीय तानाशाह भी था। 1936 में 13 रूसी नेताओं पर स्टालिन को मारने का षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया गया और उन्हें प्राणदंड दिया गया। इस प्रकार स्टालिन ने अपना मार्ग निष्कंटक कर लिया। 1937 तक मजदूर संघ, सोवियत और सरकार के सभी विभाग पूर्णतया उसके अधीन हो गए। कला और साहित्य के विकास पर भी स्टालिन का पूर्ण नियंत्रण था।
1924 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने रूस की सरकार को मान्यता दे दी। 1926 में सोवियत सरकार ने टर्की और जर्मनी आदि देशों से संधि की। 1934 ई. में रूस राष्ट्रसंघ का सदस्य बना। जब जर्मनी ने अपनी सैनिक शक्ति बढ़ा ली तो स्टालिन ने ब्रिटेन और फ्रांस से संधि करके रूस की सुरक्षा का प्रबंध किया। किंतु ब्रिटेन ने जब म्यूनिक समझौते से जर्मनी की मागें मान ली तो उसने 1939 में जर्मनी के साथ तटस्थता की संधि कर ली। द्वितीय विश्वयुद्ध के प्रारंभ में रूस ने जर्मनी का पक्ष लिया। जब जर्मनी ने रूस पर आक्रमण किया तो ब्रिटेन और अमरीका ने रूस की सहायता की। 1942 में रूस ने जर्मनी को आगे बढ़ने से रोक दिया और 1943-44 में उसने जर्मनी की सेनाओं को पराजित किया। 1945 में स्टालिन ने अपने आपको जेनरलिसिमो (generalissimo) घोषित किया।
फरवरी, 1945 में याल्टा सम्मेलन में रूस को सुरक्षा परिषद में निषेधाधिकार (वीटो पॉवर) दिया गया। चेकोस्लोवाकिया से चीन तक रूस के नेतृत्व में साम्यवादी सरकारें स्थापित हो गईं। फ्रांस और ब्रिटेन की शक्ति अपेक्षाकृत कम हो गई। 1947 से ही रूस और अमरीका में शीत युद्ध प्रारंभ हो गया। साम्यवाद का प्रसार रोकने के लिए अमरीका ने यूरोपीय देशों की आर्थिक सहायता देने का निश्चय किया। उसी वर्ष रूस ने अंतरराष्ट्रीय साम्यवाद संस्था को पुनर्जीवित किया। स्टालिन के नेतृत्व में सोवियत रूस ने सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। वस्तुओं का उत्पादन बहुत बढ़ गया और साधारण नागरिक को शिक्षा, मकान, मजदूरी आदि जीवन की सभी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध हो गईं।
स्टालिन के कार्य
पंचवर्षीय योजनाओ का निर्माण
स्टालिन ने रूसी प्रगति के लिए नियोजन की प्रक्रिया पर बल दिया और इसके तहत 1925 ई. में उसने योजना आयोग की स्थापना की और द्वितीय विश्वयुद्ध तक तीन पंचवर्षीय योजनाएं लागू की। प्रथम पंचवर्षीय योजना 1928 से 1932 ई. तक लागू रही जिसका उद्देश्य था, पूंजीवाद के अवशेषों का समाप्त करना, सोवियत रूस का औद्योगिकरण करना, कृषि का समूहीकरण एवं मशीनीकरण करना।
1932 ई. में दूसरी पंचवर्षीय योजना लागू हुई। इसमेंं उपभोत वस्तुओं के उत्पादन पर जोर दिया गया। फलतः रूसी जनता के रहन-सहन में सुधार होने लगा। साथ ही यातायात के साधनों और निवास स्थान के निर्माण की तरफ विशेष ध्यान दिया गया। चूंकि इसी समय जर्मनी में हिटलर का उदय हुआ तथा उसने रूस पर आक्रमण की नीति अपनाई। अतः स्टालिन को उपभोक्ता वस्तुआें के निर्माण की बजाय अस्त्र-शस्त्र निर्माण पर ध्यान देना पड़ा। इस काल में रूस में लोहे-इस्पात तथा कोयले का उत्पादन कई गुना बढ़ गया। टै्रक्टर, रेल इंजन के निर्माण में वह अग्रणी देश बना। यही वजह है कि नाजी आक्रमण के दौरान रूस ने उसका सफलतापूर्वक सामना किया। इसी तरह 1938 ई.में द्वितीय विश्व युद्ध प्रारंभ हो जाने के कारण इसे स्थागित करना पड़ा।
कृषि क्षेत्र में सुधार
स्टालिन ने सभी निजी कार्यों विशेषकर कृषकों के फार्मों का पूर्ण रूप से उन्मूलन कर सरकारी फार्म खोलने का आदेश जारी किया। उसने कृषि का राष्ट्रीयकरण कर व्यक्तिगत खेताें के स्थान पर सरकार तथा सामूहिक फर्मों का निर्माण किया। सामूहिक फार्मों की स्थापना बहुत से किसानों की जमीनों को सम्मिलित कर एक फार्म बनाकर किया गया, जिसमें समस्त किसान सामूहिक रूप से काम कर सकें। छोटे बड़े सभी किसानोें ने इस समूहीकरण का विरोध किया किन्तु स्टालिन ने सख्ती से उनका सामना किया। विद्रोही कुलकों एवं कृषकों को लाखों की संख्या में बंदी बनाया गया तथा हजारों को गोली से उड़ा दिया गया।
शिक्षा के क्षेत्र में कार्य
स्टालिन ने निरक्षरता को समाप्त करने पर बल दिया। उसने एक बार कहा था कि बौद्धिक क्रांति के बिना साम्यवादी आर्थिक व्यवस्था की सफलता संभव नहीं है। सरकार ने प्राथमिक शिक्षा को निःशुल्क तथा अनिवार्य कर दिया। रूसी भाषा के अलावे अन्य भाषा में भी पुस्तकों को प्रकाशित करने की व्यवस्था की गई। वैज्ञानिक तथा तकनीकी शिक्षा की तरफ विशेष ध्यान दिया गया। इन सबको सम्मिलित परिणाम यह हुआ कि 1941 ई. में रूस के 90 प्रतिशत लोग शिक्षित हो गए और रूस की वैज्ञानिक तथा तकनीकी क्षेत्र में काफी प्रगति हुई।
1936 का नया संविधान
1918 में लेनिन के काल में जिस संविधान का निर्माण हुआ था उसे स्टालिन ने 1936 ई. में संशोधित कर नए संविधान के रूप में लागू किया। इसके तहत इनकी संसद का नाम "सुप्रीम सोवियत ऑफ द यूएसएसाअर" रखा गया। इसमें दो सदन होते थे जिनका कार्यकाल चार वर्ष निर्धारित था। 18 वर्षकी आयु वालों को मताधिकार दिया गया। नागरिको को काम पाने का अधिकार भी दिया गया।
इस प्रकार स्टालिन ने रूस को प्रगति के पथ पर अग्रसरित कर द्वितीय विश्वयुद्ध में नाजी जर्मनी का मुकाबला करने हेतु तैयार किया। यह बात ठीक है कि उसने जोर जुल्म, आतंक राज्य तथा तानाशाही के माध्यम से नीतियों को लागू किया। वह निर्दय होकर देश के भीतरी दुश्मनों के समक्ष पेश हुआ। लेकिन यह भी सत्य है कि यदि वह ऐसा नहीं करता तो विश्व की एक मात्र मजदूरों की सरकार नाजियों के हाथ नष्ट हो जाती।