जॉर्ज लेमैत्रे

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जॉर्ज लेमैत्रे
जन्म 17 July 1894
Charleroi, बेल्जियम
मृत्यु साँचा:death date and age
ल्यूव्हेन, बेल्जियम
राष्ट्रीयता बेल्जियम
क्षेत्र

विश्वउत्पत्तिशास्त्र
खगोलभौतिक

गणित
संस्थान कैथलिक यूनिवर्सिटी ऑफ लियूवेन(1834–1968)
शिक्षा Catholic University of Leuven
St Edmund's House, Cambridge
मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान
डॉक्टरी सलाहकार चार्ल्स जीन डी ला वेल्ले-पॉसिन (ल्यूव्हेन)
आर्थर एडिंग्टन (केंब्रिज)
हॅलो शेपली (एम् आय टी)
डॉक्टरी शिष्य लुई फिलिप बौकेर्ट, रेने व्हॅन डेर बोर्गट
प्रसिद्धि Theory of the expansion of the universe
बिग बैंग सिद्धांत
लैमतेरे निर्देशांक
उल्लेखनीय सम्मान फ्रँकचि पुरस्कार (१९३४)
एडिंग्टन मेडल साँचा:small

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जॉर्ज हेनरी लेमैत्रे कैथलिक यूनिवर्सिटी ऑफ लियूवेन में एक बेल्जियम कैथोलिक पुजारी, खगोलविद और भौतिकी के प्रोफेसर थे।[१] उन्होंने सैद्धांतिक आधार पर प्रस्तावित किया कि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है, जिसे बाद में ऍडविन हबल द्वारा अवलोकन की पुष्टि की गई।[२] वह सबसे पहले हबल के कानून के रूप में जाना जाने वाला पहला व्यक्ति था और जिसे हबल के लेख से दो साल पहले 1927 में प्रकाशित किया गया था, उसका पहला अनुमान अब जिसे हबल कॉन्सटैंट कहा जाता है।[३] लेमैत्रे ने ब्रह्मांड की उत्पत्ति की बिग बैंग सिद्धांत को भी प्रस्थापित किया था जिसे वह अपनी ‘हायपोथेसिस ऑफ द प्रीमेवल एटम’ या ‘कॉसमिक एग’ कहते थे। इन्होंने ब्रम्हांड कि उत्पत्ति लगभग 15 अरब वर्ष पूर्व बताया है।[४]

लेमैत्रे एक रोमन कैथोलिक पादरी थे और साथ ही वैज्ञानिक भी। उनका यह सिद्धान्त अल्बर्ट आइंसटीन के प्रसिद्ध सामान्य सापेक्षवाद के सिद्धांत पर आधारित था।

प्रारंभिक जीवन

जनवरी 1933 में कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में लेमेथ्रे के व्याख्यान के बाद मिलिकन, लेमट्रे और अल्बर्ट आइंस्टीन

लेमैत्रे का जन्म 17 जुलाई 1894 को बेल्जियम में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई सिविल इंजीनियरिंग से की थी।[५] लेकिन इस दौरान प्रथम विश्व युद्ध के समय वे आर्टिलरी ऑफिसर के तौर पर बेल्जियम आर्मी में शामिल हो गए, जिससे उनकी पढ़ाई वहीं पर रुक गई।

युद्ध खत्म होने के बाद उन्होंने फिजिक्स और मैथ्स से अपनी पढ़ाई फिर शुरू की। अध्यात्म की तरफ झुकाव होने की वजह से वे पुजारी भी बन गए। 1923 में वो कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट हुए। इसके बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए हार्वड और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में भी गए।

करियर

1927 में लेमैत्रे ने कैथलिक यूनिवर्सिटी ऑफ लियूवेन में एस्ट्रोफिजिक्स के प्रोफेसर के तौर पर काम किया। यह वही साल था जब उन्होंने बिग बैंग थ्योरी का सिद्धांत दुनिया के सामने रखा। 1941 में जॉर्ज लेमैत्रे को रॉयल अकेडमी ऑफ साइंस ऐंड आर्ट्स ऑफ बेल्जियम का सदस्य भी चुना गया।

ब्रह्मांडीय कैलेंडर

20 जून 1966 को ब्रह्मांड के कॉस्मिक माइक्रोवेव पृष्ठभूमि विकिरण की खोज के बारे में जानने के कुछ ही समय बाद उनकी मृत्यु हो गई, जिसने ब्रह्मांड के जन्म के बारे में उनके प्रस्ताव के लिए और सबूत दिए।[६]

17 जुलाई 2018 को गूगल डूडल ने बिग बैंग सिद्धांत के लिए जॉर्ज लेमैत्रे के 124 वें जन्मदिन मनाए।[७]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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बाहरी कड़ियाँ