जीसैट-14

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जीसैट-14
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जीसैट-14 एक भारतीय संचार उपग्रह है जिसे जनवरी 2014 में सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया गया[२]। माना जा रही है कि यह उपग्रह वर्ष 2004 में प्रक्षेपित जीसैट-3 का स्थान लेगा। जीसैट -14 को जीएसएलवी डी 5 द्वारा प्रमोचित किया गया जिसके तीसरे चरण में भारत में निर्मित क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल हुआ था।

उपग्रह

जीसैट -14 जीसैट उपग्रह श्रृंखला का हिस्सा है। इसरो द्वारा निर्मित यह उपग्रह आई-2k सेटेलाइट बस पर आधारित है। इसका शुष्क वजन 851 किलोग्राम है। ईंधन के साथ, इसका वजन 1,982 किलोग्राम है। यान का आयुमान 12 साल है।

उपग्रह दो सौर सरणियों द्वारा संचालित है, जो की 2600 वाट बिजली के पैदा करने में सक्षम हैं।[३]

प्रमोचन

19 अगस्त 2013 उथापन समय 11:20 यूटीसी (4:50 pm स्थानीय समय) पर रॉकेट के दूसरे चरण की ईंधन प्रणाली से रिसाव का पता चलने के कारण प्रक्षेपण का पहला प्रयास स्थगित कर दिया गया।[४] इसके बाद इसरो ने दूसरे द्रव चरण (जी एस -2) को बदलने का फैसला किया। इसके अतिरिक्त सभी चार द्रव स्ट्रैप-ओन चरणों को भी बदला गया।[५]

उपग्रह का प्रमोचन सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांच पैड से भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान एमके.II (जीएसएलवी Mk.II) रॉकेट से 10:48 यूटीसी (16:18 स्थानीय समय) पर 5 जनवरी 2014 को किया गया।[६] प्रक्षेपण की उलटी गिनती 29 घंटे पहले, 4 जनवरी 2014 को शुरू की गई।[७]

यह उड़ान भारत के 41वें उपग्रह प्रक्षेपण और जीएसएलवी के आठवें प्रमोचन को चिह्नित करता है। यह जीएसएलवी प्रक्षेपण में लगातार चार बार से चली आ रही विफलताओं के एक दौर का भी समापन करता है, जिसकी शुरुआत 2006 में इनसैट-4सी के साथ शुरू हुई थी।[८] इसके साथ ही यह प्रक्षेपण भारत के पहले तुषारजनिक रॉकेट इंजन सीई-7.5 के प्रथम सफल परीक्षण को अंकित करता है।

सन्दर्भ

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इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

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