निकोलस द्वितीय

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निकोलस द्वितीय्

निकोलस द्वितीय (रूसी : Николай II, Николай Александрович Романов, tr. Nikolai II, Nikolai Alexandrovich Romanov Nicholas II ; 18 मई 1868 – 17 जुलाई 1918) रूस का अन्तिम सम्राट (ज़ार), फिनलैण्ड का ग्रैण्ड ड्यूक तथा पोलैण्ड का राजा था। उसकी औपचारिक लघु उपाधि थी : निकोलस द्वितीय, सम्पूर्ण रूस का सम्राट तथा आटोक्रैट। रूसी आर्थोडोक्स चर्च उसे करुणाधारी सन्त निकोलस कहता है।

परिचय

निकोलस द्वितीय रूस का अंतिम रोमनेव वंशी सम्राट था। वह अलेक्सांदर तृतीय का ज्येष्ठ पुत्र था। डेनिश राजकुमारी, मेरीसोफिया फ्रेडरिक डागमार मारिया फेडोरोवना (जारीना) उसकी माँ थी। १८ मई १८६८ को सेंट पीटर्सवर्ग (लेनिनग्राड) में उसका जन्म हुआ। जनरल डेनी लेवस्की (डेवीलोविश) इसका १२ साल शिक्षक रहा। सैनिक शिक्षा ही पाई, राज्यप्रशासन की नहीं। पैदल, घुड़सवार और तोपखाना इन तीनों सेनाओं में सैनिक रहा और कर्नल के पद तक पहुँचा। सिंहासन पर बैठने के बाद भी यह पद इसने नहीं छोड़ा।

सुदूर पूर्व मिस्र, भारत, चीन, जापान की यात्रा की। जापान में प्रबल हमले से बाल-बाल बचा और रूस, फिनलैंड, डेनमार्क की यात्रा की। विलियम प्रथम की शवयात्रा में पिता का प्रतिनिधित्व किया। १८७७-७८ में रूस-तुर्क युद्ध के समय अपने पिता के साथ रणभूमि में था। सुदूरपूर्व की यात्रा से यह साइबेरिया की राह वापस लौटा। ट्रांस साइबेरियन रेलवे को व्लाडीवोस्तक तक ले जाने का कार्य १८९२ में अपने हाथ में लिया। २ नवम्बर १८९४ को पिता की मृत्यु के बाद गददी पर बैठा। २६ नवम्बर को ईस्टो-डार्मस्टड्ट की राजकुमारी एलिस (विक्टोरिया की नतिनी और सम्राज्ञी अलेक्जेंड्रा फियोरोवना) से विवाह किया।

यह उदार विचारों का युवक माना जाता था। इसका व्यक्तित्व भी आकर्षक था। किंतु यह भी राजा के दैवीय अधिकारों में विश्वास करता था। यदि यह दूरदर्शिता दिखाता तो रोमनोव राजवंश का राज्य बचा सकता था। परंतु १९०४-५ में जापान से हारने पर भी इसने रूस में उठी जनक्रांति का क्रूरता से दमन किया। अनिच्छा से वैधानिक सुधार किया और ड्यूमा को दो बार भंग कर दिया पर क्रांति की आग बुझी नहीं। १९०७ में ४१३१ सरकारी कर्मचारियों पर हमले किए गए। १९०८ में १००९ सरकारी आदमी मारे गए। १९०७ में ८०० क्रांतिकारियों को फांसी दी गई। १९०७-८ में १४००० साईबेरिया भेजे गए। प्रतिक्रिया की मूर्ति प्रधान मंत्री स्टोलिमिन की भी १९१५ में हत्या कर दी गई। 'ड्यूमा' निर्बल और जार की कठपुतली सिद्ध हुई।

रूस की उन्नति, उद्योग, व्यापार और व्यवसाय से होगी, इस विश्वास से अनेक उद्योगों को प्रोत्साहन दिया। १८९७ में व्यापक रूप से जनगणना करवाई। मुद्रासुधार किया और रुबल को स्वर्णमान कर आधारित किया। अंतरराष्ट्रीय नियमों के आधार पर विश्वशांति का समर्थक था। इसके प्रयत्न से पहली नि:शस्त्र कफ्रोंस हुई, जो प्रथम हेग शातिसंमेलन १८९९ के नाम से प्रसिद्ध है। शांति-संतुलन-सिद्धांत का समर्थक था और रूस-फ्ंरेच मैत्री को दृढ़ किया और ब्रिटेन से मित्रता बढ़ाई।

प्रथम महायुद्ध में रूसी सेना जर्मनी से हारी और इस पराजय ने रूस से रोमनोव वंश का अंत कर दिया। निकोलस का सिहासनत्याग (३ मार्च १९१७) भी ड्यूमा को संतुष्ट न कर सका। एकाटेरिनवर्ग की कम्युनिस्ट पार्टी ने अपनी गुप्त बैठक में जार को मारने का निश्चय किया और योरकोवस्की को आदेश दिया गया कि वह जार को मार डाले। इस आदेश पर १६ व्यक्तियों ने हस्ताक्षर किए। १६-१७ जुलाई १९१८ को योरकोवस्की ने कैदी जार को टार्च लाइट के साथ जगाया, जार ने कुछ शब्द कहे और योरकोवस्की ने रिवाल्वर निकाल कर आदेश का पालन किया। जार के साथ उसकी पत्नी और उसके परिवार को भी मार दिया।

सन्दर्भ