जन्नत (फ़िल्म)
जन्नत | |
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चित्र:Jannat poster.jpg फ़िल्म का पोस्टर | |
निर्देशक | कुणाल देशमुख |
निर्माता |
महेष भट्ट मुकेश भट्ट |
लेखक | संजय मासूम |
पटकथा |
कुणाल देशमुख विशेष भट्ट |
कहानी | विशेष भट्ट |
अभिनेता |
इमरान हाशमी सोनल चौहान |
संगीतकार |
प्रीतम कामरान अहमद |
छायाकार | मनोज सोनी |
संपादक | देवेन मुरुदेश्वर |
स्टूडियो | विशेष फ़िल्म्स |
वितरक | फॉक्स स्टार स्टूडियोज |
प्रदर्शन साँचा:nowrap |
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देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
लागत | ₹१२० मिलियन |
कुल कारोबार | ₹६८२ मिलियन |
जन्नत (साँचा:translation) कुणाल देशमुख द्वारा निर्देशित और मुकेश भट्ट द्वारा निर्मित २००८ की एक भारतीय अपराध रोमांस फिल्म है। फिल्म में इमरान हाशमी और सोनल चौहान मुख्य भूमिकाओं में हैं। फिल्म की कहानी एक ऐसे व्यक्ति के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपराध और उपभोक्तावाद के दलदल में फंस जाता है। १६ मई २००८ को रिलीज़ हुई यह फिल्म एक बड़ी सफलता बनकर उभरी, जिसे समीक्षकों से सकारात्मक प्रतिक्रियाऐं मिली और बॉक्स ऑफिस पर भी इसका प्रदर्शन अच्छा रहा।
कथानक
अर्जुन (इमरान हाशमी) एक युवा व्यक्ति है, जो जल्दी पैसा कमाने का जुनून रखता है। एक मॉल में वह एक लड़की, ज़ोया (सोनल चौहान) से मिलता है, और उसके साथ प्यार कर बैठता है। ज़ोया कांच के शोकेस के अंदर रखी एक अंगूठी को देख रही थी, जिसे वह लेना चाहती थी। अर्जुन उस अंगूठी को हथियाने के लिए कांच को तोड़ देता है, जिसके चलते उसे मॉल में गश्त कर रहे सुरक्षा गार्ड पकड़ लेते हैं। उसे गिरफ्तार कर पुलिस के हवाले कर दिया जाता है, जहाँ इंस्पेक्टर अजय (समीर कोचर) उसे चेतावनी देकर छोड़ देते हैं, क्योंकि वह उसके पिता को जानते हैं। ज़ोया के लिए, वह अपने सामान्य जीवन से बाहर निकलकर अमीर बनने का निर्णय लेता है, और छोटे-मोटे ताश के खेलों को छोड़कर सीधे क्रिकेट मैचों पर सट्टा लगाने लगता है, जिससे वह शीघ्र ही अमीर हो जाता है।
ज़ोया को अपने धन से प्रभावित करने के बाद,अर्जुन अपने पिता को अपने नए घर में दोपहर के भोजन के लिए बुलाता है। उसके पिता, जो एक साधारण व्यक्ति हैं, अर्जुन की सफलता को देखकर खुश तो होते हैं, लेकिन उसके व्यवसाय के तरीकों पर संदेह करते हैं। वह ज़ोया को बताते हैं कि अर्जुन एक आदतन झूठा व्यक्ति है, और बाद में जब ज़ोया अर्जुन से इस बारे में सवाल करती है, तो वह नाराज़ हो जाता है और अपने जीवन में असफलता का दोष अपने पिता पर लगाता है।
अर्जुन को दक्षिण अफ्रीका में भेज दिया गया, जहां वह डॉन अबू इब्राहिम (जावेद शेख) से मिलता है और उसका प्रमुख मैच फिक्सर बन जाता है। उसकी अनगिनत पैसों की कमाई, और ज़ोया के साथ बीत रहे एक तेज़ जीवन का आनंद तब अचानक बाधित हो जाता है, जब दक्षिण अफ्रीकी पुलिस का ध्यान उसकी हरकतों पर जाता है। इंस्पेक्टर रैना, जो अब सीबीआई में एसीपी के पद पर हैं, को जांच में सहायता के लिए बुलाया जाता है। वह दक्षिण अफ्रीका में अर्जुन को डॉन के साथ देखकर हैरान हो जाते है, और ज़ोया से इस बारे में बात करता है। ज़ोया अर्जुन के पिता से बात करती है, जो एसीपी अजय के ईमानदार होने की पुष्टि करते हैं और ज़ोया से अर्जुन का साथ छोड़ देने का अनुरोध करते हैं, अगर वह अपने बेईमान तरीकों को नहीं बदलता है। अर्जुन को ज़ोया एक रेस्तरां में बुलाती है, जहाँ एसीपी रैना पहले से उपस्थित होता है।
अर्जुन को ५ साल कैद की सजा सुनाई जाती है। डॉन अबू इब्राहिम अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके उसे जेल से बाहर निकालता है क्योंकि विश्व कप नजदीक है, और वह अर्जुन के कौशल का इस्तेमाल सट्टेबाजी और मैच फिक्सिंग के लिए करता है। अर्जुन ६ महीने में रिहा हो जाता है और उसकी मुलाकात एसीपी अजय से होती है जो उसे फिर से अपने तरीके से संभलने की चेतावनी देता है। अर्जुन मान जाता है और एक बारटेंडर के रूप में काम करना शुरू कर देता है।
थोड़ी देर तक सब ठीक चलता है, और इसी बीच ज़ोया गर्भवती हो जाती है। डॉन अबू इब्राहिम अर्जुन से मिलने जाता है, और उसे एकअंतिम ऑपरेशन में भाग लेने के लिए मना लेता है ताकि उसके पास अपने और ज़ोया के भविष्य के लिए पर्याप्त पैसा हो। ज़ोया उसे एक बुकी से बात करते हुए देखती है और घर छोड़ कर चली जाती है। एसीपी रैना और उनकी पुलिस टीम अर्जुन का पीछा करती है, और इस दौड़-भाग में अर्जुन के कंधे में गोली लग जाती है। वह ज़ोया को बुलाता है और आत्मसमर्पण करने से पहले आखिरी बार उससे मिलने की विनती करता है। ज़ोया के साथ, अर्जुन आत्मसमर्पण कर देता है, लेकिन उसकी सगाई की अंगूठी उसकी बन्दूक के पास नीचे गिर जाती है। अर्जुन उसे उठाने के लिए नीचे झुकता है, लेकिन पुलिस, यह मानते हुए कि वह अपनी बंदूक उठाने जा रहा है, उस पर गोलियां बरसा देती है, और अर्जुन मारा जाता है।
अंत में, ज़ोया अपने बेटे के साथ एक सुपरमार्केट में खरीदारी कर रही होती है, और पैसों की कमी के कारण वह पूरी राशि का भुगतान नहीं कर पाती है। यह देखकर, उसका बेटा जानबूझकर अपनी पसंद के खिलौने का त्याग कर देता है, जिससे वह बिल का भुगतान कर सके। वह अपने बेटे को गले लगाती है और मुस्कुराती है।
पात्र
- इमरान हाशमी अर्जुन दीक्षित के रूप में।
- सोनल चौहान जोया माथुर के रूप में।
- समीर कोचर एसीपी शेखर मल्होत्रा के रूप में।
- विशाल मल्होत्रा विशाल के रूप में।
- जावेद शेख अंडरवर्ल्ड डॉन अबू इब्राहिम के रूप में।
- विपिन शर्मा अर्जुन के पिता के रूप में।
- शकील खान शादाब के रूप में।
- अभिमन्यु सिंह अबू इब्राहिम के साथी शकील के रूप में।
संगीत
जन्नत | |
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फ़िल्म एल्बम प्रीतम द्वारा | |
जारी | २००८ |
संगीत शैली | बॉलीवुड संगीत |
लंबाई | ३९:५८ |
लेबल | सोनी बीएमजी |
निर्माता | विशेष फ़िल्म्स |
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फिल्म के संगीत की रचना प्रीतम ने की है, और इसके गीत सईद क़ादरी, कामरान अहमद, आर मेहंदी और नीलेश मिश्रा द्वारा लिखे गए हैं। एल्बम में ६ मूल गाने, एक रीमिक्स और एक पावर बैलेड हैं।[१] संगीत को आम तौर पर सकारात्मक समीक्षा मिली और गीत जुदाई, ज़रा सा, हाँ तू है और जन्नत जहाँ चार्टबस्टर्स बन गए। केके को उनके गीत ज़रा सा के लिए सर्वश्रेष्ठ पुरुष पार्श्व गायक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था, जबकि कामरान अहमद ने उनके गीत जुदाई के लिए एमटीवी ब्रेकथ्रू कलाकार पुरस्कार मिला। "हाँ तू है" गीत के कुछ अंश मिस्र के कलाकार अम्र दैब की एल्बम अल्लेम अल्बी के गीत "एना आयेश" से मिलते-जुलते थे, जिस कारण प्रीतम पर संगीत-चोरी के आरोप लगे थे।[२]
गीत सूची
क्रम संख्या | गीत | गायक | संगीतकार | लंबाई |
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१ | ज़रा सा | के.के. | प्रीतम | ५:०३ |
२ | जुदाई | कामरान अहमद | कामरान अहमद | ५:०२ |
३ | हाँ तू है | के.के. | प्रीतम | ५:२५ |
४ | दूर ना जा | राणा मजूमदार | प्रीतम | ५:५१ |
५ | जन्नत जहाँ | रूपम इस्लाम | प्रीतम | ३:४३ |
६ | लम्बी जुदाई | ऋचा शर्मा | प्रीतम | ४:४८ |
७ | ज़रा सा (पावर बैलेड) | के.के. | प्रीतम | ५:२८ |
८ | जुदाई (किलोग्राम मिक्स) | कामरान अहमद | प्रीतम | ४:३८ |
व्यावसायिक रेटिंग | |
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समीक्षकों से प्राप्त रेटिंग | |
स्त्रोत | रेटिंग |
बॉलीवुड हँगामा | [३] |
प्लैनेट बॉलीवुड | [४] |
प्लैनेट बॉलीवुड के अत्ता खान ने साउंडट्रैक को १० में से ८ रेटिंग देते हुए लिखा "जन्नत सर्वश्रेष्ठ रूप में प्रीतम की पहचान है; यह एक जीवंत, उत्तम दर्जे का और बेहद सुखद साउंडट्रैक है जो जनता तक पहुंचता है और इसलिए खुद को बेचता है।" ग्लेमशैम के सत्यजीत ने कहा "प्रीतम, सईद कादरी, नीलेश मिश्रा की टीम वर्क ने जन्नत के रूप में भट्ट कैंप के लिए एक और उल्लेखनीय एल्बम तैयार किया है। एल्बम स्वयं का इस वर्ष के बेस्ट-सेलर्स में होना सुनिश्चित करता है और ज़रा सा, जुदाई और जन्नत जहां सुनहरे परिणामों का वादा करते हैं।"[५] भारतीय व्यापार वेबसाइट बॉक्स ऑफिस इंडिया के अनुसार, कुल १६,००,००० इकाइयों की बिक्री के साथ, यह एल्बम उस वर्ष की सातवीं सबसे अधिक बिकने वाली एल्बम थी।[६]
परिणाम
जन्नत ने पहले ५ हफ्तों में ३५० मिलियन रुपये एकत्र किये - फिल्म के कम बजट और कम पर्दों पर रिलीज होने के कारण यह राशि उल्लेखनीय थी। एओएल इंडिया के नयन ज्योति पारासरा ने इसे ५ में से ३.५ सितारे देते हुए कहा, "जब हमारे पास फिल्म में कुछ ऐसा होता है जो सभी को पसंद आता है, तो जब हम इसे मसाला एंटरटेनर कहते हैं - शायद। इसे ध्यान में रखते हुए, जन्नत अपने रोमांस, थ्रिल, कॉमेडी, त्रासदी और निश्चित रूप से क्रिकेट के एक सभ्य माप के साथ निश्चित रूप से एक मसाला फिल्म है।"[७] कुल ५०० मिलियन रुपयों से अधिक की वैश्विक कमाई के साथ, फिल्म को सुपर हिट घोषित किया गया था।
सीक्वल
जन्नत की अगली कड़ी ४ मई २०१२ को जन्नत २ के शीर्षक से रिलीज़ हुई थी। सीक्वल में मुख्य निर्दशन/ उत्पादन दल वही रहा - इसे भी कुणाल देशमुख ने निर्देशित किया था, और एक बार फिर मुकेश भट्ट और महेश भट्ट द्वारा निर्मित किया गया था। इमरान हाशमी भी फिर से पुरुष अभिनेता के रूप में ईशा गुप्ता के विपरीत दिखाई दिये,जबकि रणदीप हुडा एक सहायक भूमिका में नज़र आये थे। सीक्वल का संगीत प्रीतम ने तैयार किया था। जन्नत २ व्यावसायिक रूप से सफल रही और इसने ६५० मिलियन रुपये कमाए।
संदर्भ
- ↑ साँचा:cite web
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- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite webसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]
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