द जंगल बुक

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
(जंगल बुक से अनुप्रेषित)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

लुआ त्रुटि: expandTemplate: template "italic title" does not exist।साँचा:template other द जंगल बुक (अंग्रेजी:The Jungle Book; जंगल की किताब) (1894) नोबेल पुरस्कार विजेता अंग्रेजी लेखक रुडयार्ड किपलिंग की कहानियों का एक संग्रह है। इन कहानियों को पहली बार कालीचरण 1893-94 में पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया था। मूल कहानियों के साथ छपे कुछ चित्रों को रुडयार्ड के पिता जॉन लॉकवुड किपलिंग ने बनाया था। रुडयार्ड किपलिंग का जन्म भारत में हुआ था और उन्होने अपनी शैशव अवस्था के प्रथम छह वर्ष भारत में बिताये। इसके उपरान्त लगभग दस वर्ष इंग्लैण्ड में रहने के बाद वे फिर भारत लौटे और लगभग अगले साढ़े छह साल तक यहीं रह कर काम किया। इन कहानियों को रुडयार्ड ने तब लिखा था जब वो वर्मोंट में रहते थे। जंगल बुक के कथानक में मोगली नामक एक बालक है जो जंगल मे खो जाता है और उसका पालन पोषण भेड़ियों का एक झुंड करता है, अंत मे वह गाँव में लौट जाता है।

वर्णन

पुस्तक में वर्णित कहानियां (और 1895 में प्रकाशित ‘द सेकंड जंगल बुक’ में शामिल मोगली से संबंधित पाँच कहानियां भी) वस्तुत: दंतकथाएं हैं, जिनमें जानवरों का मानवाकृतीय तरीके से प्रयोग कर, नैतिक शिक्षा देने का प्रयास किया गया है। उदाहरण के लिए ‘द लॉ ऑफ द जंगल’ (जंगल का कानून) के छंद में, व्यक्तियों, परिवारों और समुदायों की सुरक्षा के लिए नियमों का पालन करने की हिदायत दी गयी है। किपलिंग ने अपनी इन कहानियों में उन सभी जानकारियों का समावेश किया है जो उन्हें भारतीय जंगल के बारे में पता थी या फिर जिसकी उन्होनें कल्पना की थी। अन्य पाठकों ने उनके काम की व्याख्या उस समय की राजनीति और समाज के रूपक के रूप में की है। उनमें से सबसे अधिक प्रसिद्ध तीन कहानियां हैं जो एक परित्यक्त "मानव शावक" मोगली के कारनामों का वर्णन करती हैं, जिसे भारत के जंगल में भेड़ियों द्वारा पाला जाता है। अन्य कहानियों के सबसे प्रसिद्ध कथा शायद "रिक्की-टिक्की-टावी" नामक एक वीर नेवले और "हाथियों का टूमाई” नामक एक महावत की कहानी है। किपलिंग की हर कहानी की शुरुआत और अंत एक छंद के साथ होती है।

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ