चिकमगलूर

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यह लेख कर्नाटक के चिकमगलूर शहर के बारे में है। इसी नाम के ज़िले के लिए चिकमगलूर ज़िले का लेख देखें।
चिकमगलूर
—  town  —
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश साँचा:flag
राज्य कर्नाटक
जनसंख्या
घनत्व
१,०१,०२१ (साँचा:as of)
साँचा:convert
क्षेत्रफल साँचा:km2 to mi2
  साँचा:collapsible list
आधिकारिक जालस्थल: www.chickamagalurcity.gov.in

साँचा:coord चिकमगलूर (साँचा:lang-kn, चिक्क मगलुरु) (इसे चिक्कमगलुरु के नाम से भी जाना जाता है) यह शहर, भारत के कर्नाटक राज्य के चिक्कमगलुरु जिले में स्थित है। साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed] मुल्लयनागिरी पर्वत श्रेणीयों की तलहटी में स्थित यह शहर अपनी चाय और कॉफी के बागानों के लिए जाना जाता है। साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed] इस शहर का सब से निकटतम हवाईअड्डा है मंगलोर का बाजपे हवाईअड्डॉ॰साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed] निकटतम रेलवे स्टेशन है कडुर (४० किमी).साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed]

इतिहास

चिक्कमगलुर जिले को १९४७ तक कडुर जिले के नाम से जाना जाता था। यह लगभग कर्नाटक राज्य के दक्षिण पश्चिमी भाग में स्थित है। इस जिले का एक बड़ा क्षेत्र है, 'मलनाड' यानी, भारी वर्षा होनेवाला एक बड़ा सा पहाड़ी वन क्षेत्र. इस जिले का नाम चिकमगलूर इस मिख्यालय शहर से पडा है जिसका शब्दशः अर्थ है, छोटी बेटी का शहर - चिक्क+मागल+ऊरू-(कन्नडा में). कहा जाता है कि, सक्रेपटना के प्रसिद्द प्रमुख रुक्मांगद की छोटी बेटी को यह एक दहेज के रूप में दिया गया था। शहर का एक अन्य भाग हिरेमगलुर के नाम से जाना जाता है, जिसे बड़ी बेटी को दिया था। लेकिन कुछ पुराने शिलालेखों से पता चलता है कि, इन दो स्थानों को किरिया-मुगुली और पिरिया-मुगुली के नाम से जाना जाता था। बाबा-बुदन पहाड़ी श्रृंखला के एक उपजाऊ घाटी की दक्षिण में इस जिले का मुख्यालय शहर स्थित है। यह शिक्षा, व्यापार और वाणिज्य का एक केन्द्र है। शहर का वातावरण बहुत ही स्वास्थ्यकारक है और वहाँ पर सभी धर्मों की पूजनीय समाधियाँ हैं - कोदंडराम मंदिर जो की, होयसल और द्रविड़ वास्तुशास्त्र शैली का मिलाप माना जाता है, जामिया मस्जिद तथा न्यू सेंट जोसेफ कैथेड्रल जिस का बरामदा आकर्षक सीप की आकार में बनाया गया है। हिरेमगलूर जो अब चिक्कमगलुर शहर का हिस्सा है, उस में एक ईश्वरा मंदिर है जहाँ पर १.२२ मीटर ऊंचे गोलकार जदेमुनी की बड़े ही चतुराई से बनाई गई प्रतिमा है। मंदिर में एक यूपस्तम्भ भी है जिसे राजा जनमेजय द्वारा अपने सर्प यज्ञ के दौरान स्थापित किया गया था ऐसा माना जाता है। वहाँ एक परशुराम मंदिर और एक काली मंदिर भी है।

स्थान

यह जिला १२° ५४' ४२ और १३° ५३' ५३उत्तरी अक्षांश तथा ७५° ०४' ४६ और ७६° २१' ५० पूर्वी देशान्तर रेखा के बीच स्थित है। इसकी सबसे बड़ी लंबाई पूरब से पश्चिम की और १३८.४ किलोमीटर है और उत्तर से दक्षिण की तरफ ८८.५ किलोमीटर है। आम सीमाएँ हैं पूर्व - तुमकुर जिला, दक्षिण - हसन जिला, पश्चिम - पश्चिमी घाट जो इसे दखिन कन्नडा (दक्षिण कनारा) से अलग करते हैं, उत्तर - पूर्व: चित्रदुर्ग जिला, उत्तर - शिमोगा जिला.

भूगोल

चिकमगलूर १०३७ मीटर (३४०० फीट) की ऊंचाई पर स्थित है और चारों ओर चिकमगलूर हिल स्टेशंस जो गर्मियों की छुट्टियाँ बिताने के लिए प्रसिद्ध स्थल है क्यों कि के वे गर्मियों के दौरान भी शीतल रहते हैं। हालांकि शहर के तापमान सर्दियों के दौरान ११-२० डिग्री सेल्सियस तथा गर्मियों के दौरान २५-३२° के बीच बदलता रहता है।

जनसांख्यिकी

मुल्लायानागिरी, कर्नाटक की सबसे ऊंची चोटी से दिखाई देनेवाला दृश्य

भारत में २००१ में हुई जनगणना[१] में चिकमगलूर की आबादी १०१,०२१ थी। इस में 51% पुरुष और 49% महिलाएँ है। ८०% की पुरुष साक्षरता और ७३% की महिला साक्षरता के साथ; चिकमगलूर का औसत साक्षरता दर ७७% है जो कि, ५९.5% के राष्ट्रीय औसत से अधिक है। ११% जनसंख्या ६ वर्ष से कम उम्र की है।

प्रभाग

  • चिकमगलूर
  • कडुर
  • कोप्पा
  • तरिकेरे
  • नरसिम्हराजपुरा
  • मुदिगेरे
  • शृंगेरी

दर्शनीय स्थल

चिकमगलूर पर्यटकों के लिए एक अच्छी जगह है। यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। रत्नागिरी बोरे जिसका महात्मा गांधी उद्यान के नाम से पुनःनामकरण किया गया था, प्राकृतिक सुंदरता की एक जगह है। एमजी रोड भी खरीदारी के लिए बेहतर जाना जाता है। शहर में कई अच्छे शैक्षणिक संस्थान भी है। यह कॉफी के लिए प्रसिद्ध है। चिक्कमगलुर जिले में यह सब और इस से भी अधिक है। हर छोटी गांव या शहर के पीछे कोई कहानी होती है और साल भर कुछ मेले या त्योहार भी होता है। ... और साल में पचासों त्योहारों के बीच यह एक हो सकता है, जैसे श्रुन्गेरी के श्री जगद्गुरू शंकराचार्य दक्षिणाम्नाय महासंस्थानाम श्री शारदा पीठ या बलेहोंनुर के रंभापुरी मठ में मनाये जानेवाले श्री रेणुका जयन्ती या श्री वीरभद्र स्वामी महोत्सव. बिरुर के मैलारालिंगेस्वामी का दशहरा महोत्सव जहाँ पर इस क्षेत्र के रोमांचक और वीर रस पूर्ण लोक नृत्य डोल्लू कुनिता और वीरगासे, बाबा-बुदान गिरी का उर्स कलसा के कलसेश्वर स्वामी का गिरिजा कल्याण महोत्सव या कोप्पा का वीरभद्र देवारा रथोत्सव भी देखा जा सकता है। या गांवों और शहरों के स्थानीय मंदिरों में आयोजित कई वार्षिक उत्सवों को भी देखा जा सकता है। सुग्गी हब्बा या फसल का त्यौहार ग्रामीण भागों में महान आनन्द के साथ मनाया जाता है और कोलता, सालू कुनिथा, सुत्तु कुनिथा, राजा कुनिथा और आग पर चलना देखने का दुर्लभ अवसर भी प्रदान करता है।

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ