सूर्यपथ
पृथ्वी पर बैठे किसी दर्शक के दृष्टिकोण से आकाश के खगोलीय गोले सूर्य का वर्ष भर का मार्ग क्रांतिवृत्त या सूर्यपथ या ऍक्लिप्टिक है। क्रांति एक अर्थ है एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना । सूर्य वर्ष भर जिस मार्ग पर चलता हुआ प्रतीत होता है उसको क्रांतिवृत्त कहा गया है।
सूर्य की आभासी गति
अंतरिक्ष में पृथ्वी के चारों और एक काल्पनिक गोला जिस पर हमें तारे , सूर्य , और चन्द्रमा दिखाई देते हैं खगोलीय गोला कहा जाता है। जब पृथ्वी वर्ष भर सूर्य की परिक्रमा करती है, तो पृथ्वी पर बैठे दर्शक को तारों के सापेक्ष सूर्य की स्थिति बदलती हुई प्रतीत होती हैं। सूर्य के इस वर्ष भर के मार्ग को क्रांतिवृत्त कहते हैं। क्रांतिवृत्त पर चलता हुआ सूर्य लगभग हर महीने नए तारामंडल में प्रवेश करता प्रतीत होता है , इन तारामंडलों को राशि कहा जाता है। इस प्रकार सूर्य के मार्ग में पड़ने वाले बारह तारामंडल हैं । सूर्य के तारामंडल में प्रवेश करने को संक्रांति कहा जाता और वर्ष में कुल बारह संक्रांति होती है जिनमे मकर संक्रांति प्रसिद्ध है।
खगोलीय गोले के ध्रुव पृथ्वी के ध्रुवों की सीध में ही माने जाते हैं और खगोलीय विषुवत वृत्त पृथ्वी की भूमध्य रेखा के सकेंद्रिय वृत्त ही है। खगोलीय विषुवत वृत्त और क्रांतिवृत्त के बीच २३.४ डिग्री का कोण है। क्रांतिवृत्त पर परिक्रमा करता सूर्य २३ मार्च को और २१ सितम्बर को खगोलीय विषुवत वृत्त को काटता है , इन दिनों पर दिन और रात बराबर होते हैं।
अन्य भाषाओँ में
"क्रांतिवृत्त" को अंग्रेज़ी में "ऍक्लिप्टिक" (ecliptic) और अरबी-फ़ारसी में "दायरा अल-बरूज" (دایرةالبروج) कहते हैं। "खगोलीय विषुवत वृत्त" को अंग्रेज़ी में "सॅलॅस्टियल इक्वेटर" (celestial equator) कहते हैं। "खगोलीय गोले" को अंग्रेज़ी में "सॅलॅस्टियल स्फ़ेयर" (celestial sphere), फ़ारसी में "करा-ए-आसमान" (کره آسمان) और बंगाली में "ख-गोलोक" (খ-গোলক) कहते हैं।
भिन्न मौसमों में सूरज की क्रांतिवृत्त पर स्थिति
विषुव (इक्विनोक्स) के दिनों में, जो २१ मार्च और २३ सितम्बर को आते हैं, बारह बजे सूरज ठीक पृथ्वी की भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर होता है। क्योंकि खगोलीय विषुवत वृत्त की परिभाषा यही है के वह पृथ्वी के भू मध्य रेखा के ऊपर होती है, इसलिए इन क्रांतिवृत्त और खगोलीय विषुवत वृत्त इन दो स्थानों में एक दुसरे को काटती हैं। संक्रांति (सॉल्सटिस) के दिनों में (२१ जून और २१ दिसंबर) सूरज पृथ्वी की भूमध्य रेखा से सब से अधिक दूरी पर होता है, जो यही क्रांतिवृत्त की भी खगोलीय विषुवत वृत्त से चरम दूरियों के दो दिन हैं।