मानव कंकाल

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मानव कंकाल शरीर की आन्तरिक संरचना होती है। यह जन्म के समय नवजात शिशु में 270 हड्डियां होती है ,बाल्यावस्था में हड्डियों की संख्या 350 हो जाती है और किशोरावस्था व प्रौढ़ावस्था में कुछ हड्डियों के संगलित होने(अस्थिकरण)के कारण 206 तक सीमित हो जाती है। हड्डियों के अध्ययन को ऑस्टियोलॉजी कहा जाता है।[१] तंत्रिका में हड्डियों का द्रव्यमान 30 वर्ष की आयु के लगभग अपने अधिकतम घनत्व पर पहुँचती है। मानव कंकाल को अक्षीय कंकाल और उपांगी कंकाल में विभाजित किया जाता है। अक्षीय कंकाल मेरूदण्ड, पसली पिंजर और खोपड़ी से मिलकर बना होता है। उपांगी कंकाल अक्षीय कंकाल से जुड़ा हुआ होता है तथा अंस मेखला, श्रोणि मेखला और अधः पाद एवं ऊपरी पाद की हड्डियों से मिलकर बना होता है।

मानव कंकाल निम्नलिखित छः कार्य करता है: उपजीवन, गति, रक्षण, रुधिर कणिकाओं का निर्माण, आयनों का भंडारण और अंत: स्रावी विनियमन।

मानव कंकाल अन्य प्रजातियों के समान लैंगिक द्विरूपता नहीं रखता लेकिन मस्तिष्क, दंत विन्यास, लम्बी हड्डियों और श्रोणियों में आकीरिकी के अनुसार अल्प अन्तर होता है। सामान्यतः महिला कंकाल के अवयवों उसी तरह के पुरुषों की की तुलना में कुछ मात्रा में छोटे और कम मजबूत होते हैं। अन्य प्राणियों से भिन्न, मानव पुरुष का लिंग स्तंभास्थि रहित होता है।[२]

मानव कंकाल (सामने से देखने पर) मानव कंकाल (पीछे से देखने पर)
मानव कंकाल का दृष्य, सामने से तथा पीछे से

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite book
  2. Patterns of Sexual Behavior Clellan S. Ford and Frank A. Beach, published by Harper & Row, New York in 1951. ISBN 0-313-22355-6