ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन | |
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भा नि आ स्थिति | राज्य दल[१] |
नेता लोकसभा | असदुद्दीन ओवैसी |
गठन | साँचा:start date and age |
मुख्यालय | हैदराबाद, तेलंगाना, भारत |
लोकसभा मे सीटों की संख्या |
२ / ५४३ |
राज्यसभा मे सीटों की संख्या |
० / २४५ |
राज्य विधानसभा में सीटों की संख्या |
७ / ११९ २ / २८८ ५ / २४३ |
विचारधारा | इस्लाम |
रंग | साँचा:colorbox हरा |
जालस्थल |
aimim |
Election symbol | |
भारत की राजनीति राजनैतिक दल चुनाव |
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन या एआईएमआईएम (हिंदी अनुवादः अखिल भारतीय मुस्लिम संघ) भारत के तेलंगाना राज्य में स्थित एक मान्यताप्राप्त्त
राजनीतिक दल है,[२][३]जिसका हैदराबाद के पुराने शहर में प्रधान कार्यालय है, जिसकी जड़ें मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन से हैं जो 1927 में ब्रिटिश भारत के हैदराबाद स्टेट में स्थापित हुई थी।।[४] एआईएमआईएम ने 1984 से हैदराबाद निर्वाचन क्षेत्र लोकसभा सीट जीती है। 2014 के तेलंगाना विधानसभा चुनावों में, एआईएमआईएम ने सात सीटों पर जीत हासिल की और भारत के चुनाव आयोग द्वारा 'राज्य पार्टी' के रूप में मान्यता प्राप्त की। इस पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी हैं।[५]
इतिहास
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मजलिस के इतिहास को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है। 1928 में नवाब महमूद नवाज़ खान के हाथों स्थापना से लेकर 1948 तक जबकि यह संगठन हैदराबाद को एक अलग मुस्लिम राज्य बनाए रखने की वकालत करता था। इस संगठन के संस्थापक सदस्यों में हैदराबाद के राजनेता सैयद कासिम रिजवी भी शामिल थे जो रजाकार नाम के हथियारबंद हिंसक संगठन के सरगना भी थे। एमआईएम को खड़ा करने में इन रजाकारों की अहम भूमिका थी।[६]।[७] उस पर 1948 में हैदराबाद स्टेट के भारत में विलय के बाद भारत सरकार ने प्रतिबन्ध लगा दिया था।[८]
और दूसरा भाग जो 1957 में इस पार्टी की बहाली के बाद शुरू हुआ जब उस ने अपने नाम में "ऑल इंडिया" जोड़ा और साथ ही अपने संविधान को बदला. कासिम राजवी ने, जो हैदराबाद राज्य के विरुद्ध भारत सरकार की कारवाई के समय मजलिस के अध्यक्ष थे और गिरफ्तार कर लिए गए थे, पाकिस्तान चले जाने से पहले इस पार्टी की बागडोर उस समय के एक मशहूर वकील अब्दुल वहाद ओवैसी के हवाले कर गए थे.
उसके बाद से यह पार्टी इसी परिवार के हाथ में रही है। अब्दुल वाहेद के बाद सलाहुद्दीन ओवैसी उसके अध्यक्ष बने और अब उनके पुत्र असदुद्दीन ओवैसी उस के अध्यक्ष और सांसद हैं जब उनके छोटे भाई अकबरुद्दीन ओवैसी विधान सभा में पार्टी के नेता हैं।
इस परिवार और मजलिस के नेताओं पर यह आरोप लगते रहे हैं की वो अपने भड़काओ भाषणों से हैदराबाद में साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ावा देते रहे हैं। लेकिन दूसरी और मजलिस के समर्थक उसे भारतीय जनता पार्टी और दूसरे हिन्दू संगठनों का जवाब देने वाली शक्ति के रूप में देखते हैं।
राजनैतिक शक्ति के साथ साथ ओवैसी परिवार का एक मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज, कई दूसरे कालेज और दो अस्पताल भी शामिल हैं।
एइएमइएम ने अपनी पहली चुनावी जीत 1960 में दर्ज की जब की सलाहुद्दीन ओवैसी हैदराबाद नगर पालिका के लिए चुने गए और फिर दो वर्ष बाद वो विधान सभा के सदस्य बने तब से मजलिस की शक्ति लगातार बढती गई
सन 2018 में, एआईएमआईएम ने महाराष्ट्र में प्रकाश आम्बेडकर की नयी पार्टी वंचित बहुजन आघाड़ी के साथ गठबंधन किया हैं। यह राजनीतिक दल महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव 2019 में राज्य के कुल 48 सीटों में से 47 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है, और औरंगाबाद की 1 सिट पर एआईएमआईएम जीत दर्ज़ की है।[९][१०]
चुनावी प्रदर्शन
लोकसभा चुनाव
लोकसभा | चुनाव वर्ष | सीटें | प्राप्त मत | राज्य (सीटें) | संदर्भ | ||
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लड़ीं | जीतीं | # | % | ||||
सत्रहवीं लोकसभा | २०१९ | ३ | २ | तेलंगाना (१) महाराष्ट्र (१) |
लोकसभा सांसद
चुनाव वर्ष | राज्य | लोस नि क्षेत्र | विजेता | |
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१९८९ | आंध्र प्रदेश | हैदराबाद | सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी | |
१९९१ | आंध्र प्रदेश | हैदराबाद | सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी | |
१९९६ | आंध्र प्रदेश | हैदराबाद | सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी | |
१९९८ | आंध्र प्रदेश | हैदराबाद | सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी | |
१९९९ | आंध्र प्रदेश | हैदराबाद | सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी | |
२००४ | आंध्र प्रदेश | हैदराबाद | असदुद्दीन ओवैसी | |
२००९ | आंध्र प्रदेश | हैदराबाद | असदुद्दीन ओवैसी | |
२०१४ | तेलंगाना | हैदराबाद | असदुद्दीन ओवैसी | |
२०१९ | महाराष्ट्र | औरंगाबाद मध्य | सैयद इम्तियाज़ जलील | [११] |
तेलंगाना | हैदराबाद | असदुद्दीन ओवैसी |
तेलंगाना विधानसभा
बिहार विधानसभा
विधानसभा सत्र | चुनाव वर्ष | सीटें | प्राप्त मत | संदर्भ | ||
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लड़ीं | जीतीं | # | % | |||
सत्रहवीं विधानसभा | २०२० | ५ | ५,२३,२७९ | १.२४ | [१२] |
चुनाव | विस नि क्षेत्र | विजेता |
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२०१९ (उपचुनाव) |
किशनगंज | कमरुल हुदा |
२०२० | अमौर | अख्तरुल ईमान |
जोकीहाट | शाहनवाज आलम | |
बहादुरगंज | मो.अंज़र नईमी | |
बायसी | सैयद रुकनुद्दीन अहमद | |
कोचाधामन | मो. इज़हार अस्फी |
महाराष्ट्र विधानसभा
विधानसभा सत्र | चुनाव वर्ष | सीटें | प्राप्त मत | लड़ी सीटों पर मत% | संदर्भ | ||
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लड़ीं | जीतीं | # | % | ||||
तेरहवीं विधानसभा | २०१४ | २४ | २ | ४,८९,६१४ | ०.९३ | १३.१६ | |
चौदहवीं विधानसभा | २०१९ | ४४ | २ | ७,३७,८८८ | १.३४ | ९.२४ |
चुनाव वर्ष | विस नि क्षेत्र | विजेता |
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२०१४ | औरंगाबाद मध्य | इम्तियाज जलील |
भायखला (मुंबई) | वारिस पठाण | |
२०१९ | धुले नगर | शाह फ़ारूक़ अनवर |
मालेगांव मध्य | मुहम्मद इस्माइल क़ासमी |
सांप्रदायिकता का आरोप
बढ़ती हुई लोकप्रियता के साथ साथ सलाहुद्दीन ओवैसी "सलार-ए-मिल्लत" (मुसलमानों के नेता) के नाम से मशहूर हुए. वर्ष 1984 में वो पहली बार हैदराबाद से लोक सभा के लिए चुने गए साथ ही विधान सभा में भी उस के सदस्यों की संख्या बढती गई हालाँकि कई बार इस पार्टी पर एक सांप्रदायिक दल होने के आरोप लगे लेकिन आंध्र प्रदेश की बड़ी राजनैतिक पार्टिया कांग्रेस और तेलुगुदेसम दोनों ने अलग अलग समय पर उससे गठबंधन बनाए रखा.
दिलचस्प बात यह है की हैदराबाद नगरपालिका में यह गठबंधन अभी भी जारी है और कांग्रेस के समर्थन से ही मजलिस को मेयर का पद मिला है।
2009 के चुनाव में एइएमइएम ने विधान सभा की सात सीटें जीतीं जो की उसे अपने इतिहास में मिलने वाली सब से ज्यादा सीटें थीं. कांग्रेस के साथ उस की लगभग 12 वर्ष से चली आ रही दोस्ती में दो महीने पहले उस समय अचानक दरार पड़ गई जब चारमीनार के निकट एक मंदिर के निर्माण के विषय ने एक विस्फोटक मोड़ ले लिया.
मजलिस ने कांग्रेस सरकार पर मुस्लिम-विरोधी नीतियां अपनाने का आरोप लगाया और उस से अपना समर्थन वापस ले लिया. अकबरुद्दीन ओवैसी के तथाकथित भाषण को लेकर जो हंगामा खड़ा हुआ है और जिस तरह उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज गया है उसे कांग्रेस और मजलिस के टकराव के परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है।
अधिकतर हैदराबाद तक सीमित मजलिस अब अपना प्रभाव आंध्र प्रदेश के दूसरे जिलों और पडोसी राज्यों महाराष्ट्र और कर्नाटक तक फैलाने की कोशिश कर रही है।
हाल ही में उस ने महाराष्ट्र के नांदेड़ नगर पालिका में 11 सीटें जीत कर हलचल मचा दी है। आंध्र प्रदेश में कांग्रेस इस संभावना से परेशान है कि 2014 के चुनाव में एइएमइएम जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस के साथ हाथ मिला सकती है। अकबरुद्दीन ओवैसी की गिरफ्तारी के बाद तो मजलिस और कांग्रेस के बीच किसी समझौते की सम्भावना नहीं रह गई.
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
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- ↑ साँचा:cite web
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- ↑ सत्रहवीं लोकसभा के सदस्य- दलवारसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link] लोकसभा हिन्दी आधिकारिक वेबसाइट
- ↑ बिहार विधानसभा चुनाव नवंबर-२०२० परिणाम- दलवार स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। eciresults हिन्दी, ११ नवंबर २०२०