राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन

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एड्स जांच के लिए रक्त निकाला गया और परीक्षण किया गया।

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन नाको (NACO) भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत संचालित विभाग है। यह भारत में एचआईवी / एड्स की रोकथाम के लिए 35 नियंत्रण समुदायों के माध्यम से कार्यक्रम का नियंत्रण तथा नेतृत्व प्रदान करता है।[१]

इतिहास

1986 में भारत में पहली बार एड्स के मामले का पता चलते ही स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय एड्स समिति का गठन किया। एड्स के विस्तार के साथ ही भारत में इसके प्रति जागरुकता लाने तथा रोकथाम के उपाय करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम चलाने की जरूरत महसूस होने लगी। इसके साथ ही ऐसे कार्यक्रम चलाने के लिए एक संगठन की आवश्यकता भी महसूस की गई। 1992 में भारत का पहला राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (1992-1999) शुरू किया गया था और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) कार्यक्रम को लागू करने के लिए गठित किया गया था।[१]

प्रथम एनएसीपी (1992-1999) का उद्देश्य एचआईवी संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित करना था। इस अवधि के दौरान रक्त बैंकों के बुनियादी ढांचे के एक प्रमुख विस्तार के तौर पर 685 ब्लड बैंक की स्थापना और 40 रक्त घटकों को अलग-अलग रूप से स्थापित किया गया। जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में यौन संचारित रोगों के उपचार के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर के तौर पर 504 एसटीडी क्लीनिक की स्थापना की गयी। एचआईवी प्रहरी निगरानी प्रणाली भी शुरू की गयी। गैर - सरकारी संगठनों को जागरूकता पर ध्यान केंद्रित करने के साथ रोकथाम के उपायों में शामिल किया गया था। कार्यक्रम राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में स्वास्थ्य सेवा निदेशालय में राज्य एड्स प्रकोष्ठों के निर्माण के साथ राज्य स्तर पर क्षमता विकास के लिए नेतृत्व किया गया था।[१]

एनएसीपी - द्वितीय (1999-2006) के दौरान कई नए कार्यक्रम शुरू किये गए और नए क्षेत्रों में कार्यक्रम का विस्तार किया गया। लक्षित हस्तक्षेप गैर - सरकारी संगठनों के माध्यम से शुरू किया गया, उच्च जोखिम समूह (HRGs) अर्थात् व्यापारिक यौन कामगार (CSWs), पुरुष जो पुरुषों के साथ यौन संबंध हैं (एमएसएम), इंजेक्शन-द्वारा नशीले-पदार्थ लेनेवाले (आईयूडी) उपयोगकर्ताओं और पुल आबादी (ट्रक ड्राइवरों और प्रवासियों) हैं। इन उपायों की सेवाओं के पैकेज में व्यवहार परिवर्तन संचार, एसटीडी के प्रबंधन और कंडोम प्रसार शामिल है।[१]

तृतीय राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (एनएसीपी) 2007-2012

एनएससीपी III - में निम्‍नलिखित चार दिशा वाली कार्यनीति अपनाई जानी है :

  • लक्षित मध्‍यस्‍थताओं के साथ उ‍च्‍च जोखिम वाले समूहों के पूर्ण कवरेज के माध्‍यम से संक्रमणों की रोकथाम करना और आम जनता में मध्‍यस्‍थताएं बढ़ाना।
  • पीएलएचए की बड़ी संख्‍या को बेहतर परिचर्या, समर्थन और उपचार प्रदान करना।
  • जिला, राज्‍य और राष्‍ट्रीय स्‍तरों पर रोकथाम, परिचर्या, समर्थन और उपचार में मूलसंरचना, प्रणालियों और मानव संसाधनों को सुदृढ़ बनाना।
  • राष्‍ट्रव्‍यापी कार्यनीतिक सूचना प्रबंधन प्रणाली को सुदृढ़ बनाना।

कार्यक्रम के प्रथम वर्ष में उच्‍च दरों वाले राज्‍यों में इसकी दर को 60 प्रतिशत तक घटाने और संवेदनशील राज्‍यों में इसे 40 प्रतिशत तक घटाने का विशिष्‍ट उद्देश्‍य है ताकि इस महामारी को रोका जा सके और स्थिरता प्रदान की जा सके।[२]

एनएसीपी की उपलब्धियां

  • स्‍वैच्छिक रक्‍तदान को बढ़ावा देकर संक्रमित रक्‍त द्वारा एचआईवी संक्रमण फैलाव की रोकथाम की गई है जो लगभग 6.07% (1999), 4.61% (2003), 2.07% (2005), 1.96% (2006) से 1.87% (2007) है।
  • समेकित परामर्श और परीक्षण केन्‍द्रों की संख्‍या 2004 में 982, 2005 में 1476 in, 2006 में 4027, 2007 में 4567 और 2008 में 4817 (सितम्‍बर 2008 तक) हो गई। इन केन्‍द्रों में जांच कराने वाले व्‍यक्तियों की संख्‍या 2004 में 17.5 लाख से बढ़कर 2008-09 (अगस्‍त, 2008) में 37.9 लाख हो गई।
  • 2007 में देश भर के आईसीटीसी में कुल 3.2 मिलियन गर्भवती महिलाओं ने पीपीटीसीटी सेवाएं प्राप्‍त की, जिसमें से 18449 गर्भवती महिलाओ में एचआईवी + निदान किया गया। इन 11460 (62%) गर्भवती महिलाओं और इनके जन्‍म लेने वाले शिशुओं को नेवीरेपिन की एक औषधीय खुराक दी गई ताकि बच्‍चे में एचआईवी के फैलाव की रोकथाम की जा सके।
  • नाको द्वारा समर्थित एसटीआई क्लिनिकों की संख्‍या 2005 में 815 से बढ़कर 2008 में 895 हो गई थी। एसटीआई के लिए उपचार पाने वाले रोगियों की रिपोर्ट की गई संख्‍या 2005 में 16.7 लाख, 2006 में 20.2 लाख और 2007 में यह बढ़कर 25.9 लाख हो गई थी।
  • सितम्‍बर 2008 में 5,61,981 रोगियों का पंजीकरण एआरटी केन्‍द्रों में किया गया और 1,77,808 क्लिनिक दृष्टि से पात्र पाए गए रोगियों को सरकारी और अंतर क्षेत्रीय स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में मुफ्त एआरटी दिया जा रहा है। इसे 31 राज्‍यों के 179 एआरटी केन्‍द्रों के माध्‍यम से दिया जा रहा है। देश भर में कुल 159 समुदाय देखभाल केन्‍द्र स्‍थापित किए गए हैं जो पीएलएचए में देखभाल और समर्थन सेवाएं प्रदान करते हैं।
  • लक्षित हस्‍तक्षेप (टीआई) परियोजनाओं का लक्ष्‍य उच्‍च सुभेद्य आबादियों के बीच एचआईवी के खिलाफ की रोकथाम करना है। उक्‍त आबादी समूहों में शामिल हैं - वाणिज्यिक यौन कर्मी, नशीली दवा इंजेक्‍शन से लेने वाले लोग, पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुष, ट्रक चालक, प्रवासी मजदूर। वर्तमान तिथि पर देश के विभिन्‍न राज्‍यों और संघ राज्‍य क्षेत्रों में 1132 लक्षित हस्‍तक्षेप प्रचालन रत हैं।[२]

सन्दर्भ

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