ऍच॰ जी॰ वेल्स

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ऍच० जी० वेल्स (१९२०)

हर्बट जॉर्ज वेल्स (२१ सितंबर १८६६ - १३ अगस्त १९४६) - एॅच० जी० वेल्स से प्रचलित - बहुत सी विधाओं, जिनमें उपन्यासइतिहास, राजनीति, सामाजिक टिप्पणी, पाठ्यपुस्तके, एवं युद्ध वाले खेलों के नियम सम्मिलित हैं, में निपुण अंग्रेजी के एक बहुप्रजनक लेखक थे। वेल्स अब सर्वश्रेष्ठ रूप से अपने काल्पनिक विज्ञान (सांइस फि़क्शन) उपन्यासों के लिए जाने जाते हैं और जूल्स वर्न एवं ह्यूगो गर्नस्बेक के साथ काल्पनिक विज्ञान शैली के पिता कहें जाते हैं। उनके सबसे उल्लेखनीय काल्पनिक विज्ञान लेखन कार्यों में 'दी टाइम मशीन (१८९५)', 'दी आईलैंड आॅफ़ डाॅक्टर मोरियो (१८९६)', 'दी इनविजी़बिल मैन (१८९७)' एवं 'दी वाॅर आॅफ़ दी वर्ल्डज़ (१८९८)' सम्मिलित हैं। उनका नाम साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए चार बार नामांकित किया गया था। वेल्स का आरंभिक विशेषीकृत प्रशिक्षण जीवविज्ञान में हुआ, और नैतिक विषयों पर उनके विचार विनिर्दिष्ट एवं मौलिक रूप से डार्विन सन्दर्भ में संघटित हुए। वे शुरुआती दिनों से एक स्पष्टवादी समाजवादी भी थे, (पर हमेशा से नहीं, जैसे प्रथम विश्व युद्ध की शुरूआत में) जो अक्सर शांतिवादी विचारों का समर्थन करतें। उनके बाद के लेखन कार्य उत्तरोत्तर रूप से राजनीतिक एवं शिक्षाप्रद होते चले गए, और उन्होंने काल्पनिक विज्ञान शैली में थोड़ा ही लिखा, और इसी दौरान उन्होंनें कई बार औपचारिक लेख्य पत्रों में स्पष्ट भी किया कि उनका व्यवसाय एक पत्रकार का हैं। 'किप्स' और 'दी हिस्ट्री आॅफ़ मिस्टर पाॅली' जैसे उपन्यासों, जो निचले-मध्यम-वर्ग के जीवन का बखान करते हैं, ने छपने के बाद, इसी ओर संकेत किया, कि वेल्स,  चार्ल्स डिकेंस के सुयोग्य उत्तराधिकारी हैं, परंतु डिकेंस के विपरीत, वेल्स ने सामाजिक स्तरों का वर्णन विस्तारपूर्वक किया और 'टोनो-बंगे (१९०९)' में समूचे अंग्रेजी समाज का मूल्यांकन करने का भी प्रयास किया। एक मधुमेह रोगी, वेल्स ने १९३४ में 'दी डायबिटीज़ एसोसिएशन' (आज 'डायबिटीज़ यूके' से प्रचलित) की सह-संस्थापना की।

जीवन

प्रारंभिक जीवन

हर्बट जॉर्ज वेल्स का जन्म एटलस हाउस, ४६ हाई स्ट्रीट, ब्रोम्ले, केंट में २१ सितंबर १८६६ को हुआ। परिवार में 'बर्टी' कहें जाने वाले, वे जोजे़फ़ वेल्स (पूर्वभूत घरेलू माली, और उस समय एक दुकानदार, एवं व्यवसायी क्रिकेटर), और सारा नील (पूर्वभूत गृह सेविका) की चौथी एवं आखिरी संतान थे। एक दाय ने परिवार को एक दुकान परिग्रहित करने के लिए अनुज्ञात कर दिया था, जिसमें वे चीनी-मिट्टी एवं खेल संबंधी वस्तुओं का विक्रय करते, हालाँकि वह दुकान उन्नति करने में असफल रहीं: भंडार पुराना एवं घिसा-पिटा, और स्थान अनुपजाऊ था। जोजे़फ़ वेल्स एक अत्यल्प आय अर्जित करने में सफल रहें, परंतु दुकान से उसका एक छोटा सा हिस्सा ही आता था और वे एक अनियमित धनराशि केंट काउंटी टीम के लिए व्यवसायी क्रिकेट खेलकर अर्जित करते। कुशल गेंदबाजों एवं बल्लेबाजों के लिए वेतन तत्पश्चात या तो ऐच्छिक चंदे द्वारा आता था, या खेल आयोजित करवाने वाले गोष्ठी गृहों के छोटे-मोटे भुगतानों से।

युवा वेल्स के जीवन को परिभाषित करने वाली एक घटना १८७४ की वह दुर्घटना थी जिसने उन्हें एक टूटे पैर के साथ शय्याग्रस्त छोड़ दिया था। समय व्यतीत करने के लिए उन्होंने पिता द्वारा स्थानीय पुस्तकालय से उनके लिए लायी हुई पुस्तकें पढ़ना शुरू कर दीं। वह जल्द ही उन दुनियाँओं और जीवों के लिए समर्पित हो गए जिसमें पुस्तकों ने उन्हें प्रवेश दिया था; इसने उनकी लिखने की इच्छा को भी प्रोत्साहित किया। बाद में उसी वर्ष उन्होंने थॉमस मोर्ले कमर्शियल एकेडमी में प्रवेश लिया, एक अशासकिय विद्यालय जिसकी स्थापना १८४९ में हुई, मोर्ले के पिछले विद्यालय का दिवालिया होने के बाद। अध्यापन अनियमित था, वेल्स ने बाद में कहा, किं पाठ्यक्रम मुख्य रूप से ताँबे के छापे पर लिखावट के उत्पादन एवं दस्तकारों के लिए उपयोगी योग पर केंद्रित था। वेल्स ने १८८० तक मोर्ले एकेडमी में जारी रखा। १८७७ में उनके पिता, जोजे़फ़ वेल्स, की जांघ अस्थिभंग हो गई। इस दुर्घटना ने वास्तविक रूप से जोजे़फ़ के एक क्रिकेटर के व्यवसाय पर विराम लगा दिया, और दुकान से होने वाली अनुगामी कमाई पर्याप्त ना होने के कारण परिवारिक मूल आयस्त्रोत की हानि की क्षतिपूर्ति ना हों सकीं।

स्वयं का आर्थिक रूप से भरण-पोषण करने में अब असफल, परिवार अपने पुत्रों की विभिन्न व्यवसायों में शिक्ष्यमान के रूप में नियुक्ति के अवसर तलाशने लगा। १८८० से १८८३ तक, वेल्स की एक बजाज के रूप में हाइड के दक्षिणी समुद्र वाले बजाजी विक्रयालय में एक दुखद प्रशिक्षुता हुई। उनका हाइड का अनुभव, जहाँ वे तेरह पहर कार्य कर, शयनगृह में दूसरे शिष्शमानों के संग विश्राम करते, बाद में उनके उपन्यास 'दी व्हीलज़ आॅफ़ चांस' एवं 'किप्स' जो एक बजाज के शिक्ष्यमान के जीवन को चित्रित करते हैं, समाज में धन के वितरण की समीक्षा करते हुए, के लिए प्रेरणास्रोत बना। वेल्स के माता-पिता का वैवाहिक जीवन अशांति भरा था, मुख्य रूप से उनकी माता के प्रोटेस्टेंट और उनके पिता के स्वतंत्र विचारक होने के कारण। जब उनकी माता कार्यस्थल एक कुलीन महिला की दासी के रूप में लौटी (अपार्क, ससेक्स में एक ग्रामीण आवास) तो कई सारे प्रतिबंधों में से एक यह भी था कि उन्हें अपने पति एवं पुत्र के लिए रहने का स्थान नहीं स्वीकारा जाएगा। तब से, वह और जोजे़फ़ अलग-अलग रहें, मगर उनका कभी पृथकीकरण ना हुआ, एवं वे एक-दूसरे के प्रति निष्ठावान बने रहें। परिणामस्वरूप, हर्बट की निजी समस्याएँ बढ़ने लगी जैसे बाद में वे एक बजाज के रूप में भी असफल हो गए, और उसके पश्चात, रसायनज्ञ सहायक के रूप में भी। सौभाग्यवश, अपार्क में एक भव्य पुस्तकालय था, जिसमें हर्बट ने स्वयं को उत्कृष्ट साहित्य कार्यों को पढ़ने में, जिसमें प्लेटो की रिपब्लिक और मोर की यूटोपिया भी सम्मिलित थी, में मगन कर लिया। यह हर्बट जार्ज वेल्स के साहित्य में उपक्रम का आरंभ होगा।

अध्यापक

अक्टूबर १८७९ में वेल्स की माता ने उनके लिए एक दूर के रिश्तेदार, आर्थर विलियम्स के माध्यम से प्रबंध किया कि वे नेशनल स्कूल, वूकी समरसेट में प्रवेश ले सकें एक शिष्य-अध्यापक के रूप में, अर्थात एक वरिष्ठ छात्र जो युवा छात्रों के लिए अध्यापक की भांति होता हैं। हालाँकि, उसी वर्ष दिसंबर में विलियम्स की योग्यताओं में अनियमितता के कारण उनका पदच्युत कर दिया गया, और वेल्स को अपार्क लौटा दिया गया। निकट ही मिडहरट्स के एक रसायनज्ञ के यहाँ संक्षिप्त प्रशिक्षुता, और उससे भी कम समय तक मिडहरट्स ग्रामर स्कूल में एक आवासी के रूप में रुकने के बाद, उन्होंने हाइड के यहाँ अपनी प्रशिक्षुता के लेख्य पत्र पर हस्ताक्षर करवाएं। १८८३ में वेल्स ने अपने माता-पिता को समझाया कि वे उन्हें प्रशिक्षुता से मुक्त करें, ताकि वे मिडहरट्स ग्रामर स्कूल द्वारा पुनः प्रदान किए छात्र-अध्यापक बनने के अवसर को स्वीकार कर सकें; उनके पिछले संक्षिप्त प्रवास के दौरान उनकी लैटिन एवं विज्ञान में विद्वत्ता, स्मरण की गई थी।

जो वर्ष उन्होंने दक्षिणी समुद्र में व्यतीत किए थे, वे उस समय तक के उनके जीवन के सबसे दयनीय वर्षों में थे, परंतु उनका सौभाग्य देखिए, क्योंकिं मिडहरट्स ग्रामर स्कूल में पद पाने का यह अर्थ था कि वे अपनी शिक्षा उत्साह के साथ जारी रख सकते थे। आगामी वर्षों में, वेल्स ने लंडन में, नार्मल स्कूल आॅफ़ साइंस (बाद में राॅयल काॅलेज आफ़ साइंस दक्षिण केनसिंगटन में, अब इंपीरियल काॅलेज लंडन का अंग) से छात्रवृति प्राप्त की, थाॅमस हेनरी हक्ज़ली के नीचे जीवविज्ञान का अध्ययन करने के लिए। एक भूतपूर्व छात्र होने के नाते, बाद में उन्होंने राॅयल काॅलेज आफ़ साइंस एसोसिएशन की स्थापना में सहयोग दिया, १९०९ में जिसके वे पहले अध्यक्ष बने। वेल्स ने अपने नवनिर्मित विद्यालय में १८८७ तक अध्ययन किया, २१ शीलिंग (एक गिन्नी) की साप्ताहिक वृत्ति के साथ जो उनकी छात्रवृत्ति के कारण था। यह एक पर्याप्त धनराशि होनी चाहिए थीं (उस समय कई श्रमजीवी वर्गीय परिवार 'लगभग एक पाउंड प्रति सप्ताह' अपनी पूरी घरेलू आय के रूप में पाते थे) तथापि अपनी एक्सपेरिमेंट इन आॅटोबाईग्राफ़ी में, वेल्स सदा भूखे रहने की बात कहते हैं, और वास्तविकता में, उनके उस समय के छायाचित्र एक बहुत ही क्षीण एवं कुपोषित नवयुवक को दिखाते हैं।

वे शीघ्र ही विद्यालय की 'डिबेटिंग सोसाइटी' में प्रविष्ट हुए। ये वर्ष समाज के संभवत सुधार में उत्पन्न हुई उनकी आरंभिक रूचि को चिन्हित करते हैं। शुरू में प्लेटो की रिपब्लिक के माध्यम से विषय के समीप पहुँचते हुए, वे शीघ्र ही नई-नई गठित हुई फे़बियन सोसायटी एवं विलियम मोरिस के घर, केल्मस्काॅट हाउस में सुपुर्द किए जाने वाले स्वतंत्रत व्याख्यान के द्वारा व्यक्त किए गए समकालीन समाजवादी विचारों की ओर मुड़ चले। वे 'दी साईंस स्कूल जर्नल', एक विद्यालय पत्रिका जिसने उन्हें साहित्य एवं समाज पर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान किया, एवं कथा साहित्य पर प्रयास करने का भी, के संस्थापकों में से एक थे; उनका उपन्यास 'दी टाइम मशीन' पत्रिका में 'दी क्रोनिक एग्रोनोट्स' शीर्षक से पूर्ववर्ती के रूप में प्रकाशित हुआ। शालीय वर्ष १८८६-८७ उनके अध्ययन का अंतिम वर्ष था।

बाहरी कड़ियाँ