ज्वारनदीमुख

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न्यू यॉर्क में एक ज्वारनदीमुख
रियो दे ला प्लाता का ज्वारनदीमुख, जिसमें ज्वारनदीमुख में पानी में एकत्रित मलबा दिख रहा है जिसे समय-समय पर समुद्र से उठा ज्वारभाटा बाहर खींच ले जाता है। साधारण नदीमुखों में इस मलबे से नदीमुख कई धाराओं में फटकर त्रिकोण रूप धारण कर लेता है

ज्वारनदीमुख या ज्वारनदमुख (साँचा:lang-en, एस्चुएरी) सागर तट पर स्थित एक आधा-बंद खारे जल का समूह होता है जिसमें एक या एक से अधिक नदियाँ और झरने बहकर विलय होते हैं, और जो दूसरे अंत में खुले सागर से जुड़ा होता है।[१] समय-समय पर ज्वारभाटा (टाइड) आकर इस से पानी व पानी में उपस्थित अन्य ढीला मलबा बाहर समुद्र में खींच लेता है।[२] इस कारण से ज्वारनदीमुखों में साधारण नदीमुख (डेल्टा) की तरह मलबा एकत्रित नहीं होता, जो नदीतल पर जमा होने से उन्हें कई धाराओं में बिखरने को मजबूर कर देता है, जिससे कि उन धाराओं के बिखराव का आसानी से पहचाना जाने वाला त्रिकोण (डेल्टा) भौगोलिक रूप बन जाता है। उनके विपरीत ज्वारनदीमुख अक्सर एक ही लकीर में सागर में जल ले जाता है। ज्वारनदीमुख समुद्री और नदीय वातावरणों का मिश्रण होता है इसलिए इनमें ऐसे कई प्राणी व वनस्पति पनपते हैं जो और कहीं नहीं मिलते।[३]

उदाहरण

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Pritchard, D. W. (1967). "What is an estuary: physical viewpoint". In Lauf, G. H. Estuaries. A.A.A.S. Publ. 83. Washington, DC. pp. 3–5.
  2. Wolanski, E. (2007). Estuarine Ecohydrology. Amsterdam: Elsevier. ISBN 978-0-444-53066-0.
  3. McLusky, D. S.; Elliott, M. (2004). The Estuarine Ecosystem: Ecology, Threats and Management. New York: Oxford University Press. ISBN 0-19-852508-7.