ईरानी परमाणु कार्यक्रम पर अंतरिम समझौता

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मुख्या वार्ताकार कैथरीन ऐशटन, ईरान और पी5 +1 देशों के वार्ताकार, जिनेवा में।

24 नवम्बर 2013 को ईरान ने पी5 +1 देशों के साथ जिनेवा में एक परमाणु समझौता हस्ताक्षरित किया। इस समझौते के तहत अपने ऊपर लगे आर्थिक प्रतिबंधों में आंशिक रियायत के बदले ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम पर अल्पकालिक रोक लगाने के लिए तैयार हो गया।[१][२] [३]

पृष्ठभूमि

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। ईरान का परमाणु कार्यक्रम 1950 के दशक में मूलतः शांतिपूर्ण उद्देश्य से शुरू किया गया था। 2002 में एक विपक्षी गुट द्वारा अघोषित परमाणु केन्द्रों के खुलासे के बाद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में ईरान के परमाणु कार्यक्रम के प्रति चिंता बढ़ने लगी।[४][५]

वर्ष 2006 से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने ईरान के विवादास्पद परमाणु कायक्रम के मद्देनजर उस पर कुल चार दौर के प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित किया।[६] इसके अतिरिक्त संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ ने भी ईरान पर तेल निर्यात एवं व्यापार संबंधी कई प्रतिबंध लगाये।[६]

जून 2013 के राष्ट्रपति चुनावों के विजेता हसन रूहानी ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर लगे प्रतिबंधों को हटाने और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ कूटनीतिक समझौते तक पहुँचने की आवश्यकता पर बल दिया।[७]

15 अक्टूबर 2013 को ईरान और छह मध्यस्थ देशों के बीच वार्ता की शुरुआत हुई।[८]

प्रावधान

जिनेवा समझौते के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी कागज़ पर नोट्स लिखते हुए और रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव उनसे बातचीत करते हुए।

24 नवम्बर 2013 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्यों- अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन, फ्रांस और इसके अलावा जर्मनी के साथ किये गए इस समझौते के मुताबिक ईरान अपने संवर्धित यूरेनियम के भंडार को कम करेगा और अपने परमाणु संयंत्रों को निगरानी के लिए खोलेगा। ईरान यूरेनियम के 5% से अधिक संवर्धन और अरक परमाणु संयंत्र के विकास को रोक देगा। इस समझौते से ईरान को करीब 7 अरब डॉलर की राहत मिलेगी और उस पर 6 माह तक कोई नया प्रतिबंध नहीं लगेगा।[९]

यह समझौता ईरान और पी5+1 वार्ताकारों के बीच व्यापक सहमति और दुनियाभर के देशों के साथ ईरान के परमाणु रिश्ते को औपचारिक रूप देने के लिए 6 महीने की समय सीमा निर्धारित करता है।

प्रतिक्रिया

इस समझौते का दुनियाभर के कई देशों ने स्वागत किया और इसे संबंधों के सुधार की ओर एक महत्वपूर्ण कदम माना।[१०]

इस विषय पर इज़राइल की सरकार और नेताओं की प्रतिक्रिया नकारात्मक रही। इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान के साथ हुए इस समझौते को एक "ऐतिहासिक ग़लती" कहा।

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने इस अंतरिम समझौते की सराहना करते हुए अपने वक्तव्य में इसे "एक एैतिहासिक समझौते की शुरूआत" बताई। [११]

सन्दर्भ

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  1. साँचा:cite news
  2. साँचा:cite news
  3. Haidar, J.I., 2015."Sanctions and Exports Deflection: Evidence from Iran स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।," Paris School of Economics, University of Paris 1 Pantheon Sorbonne, Mimeo
  4. साँचा:cite news
  5. साँचा:cite web
  6. साँचा:cite web
  7. साँचा:cite web
  8. साँचा:cite web
  9. साँचा:cite web
  10. साँचा:cite web
  11. साँचा:cite news