भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (अंग्रेज़ी: Indian Institute of Technology) भारत के 23 तकनीकी शिक्षा संस्थान हैं। ये संस्थान भारत सरकार द्वारा स्थापित किये गये "राष्ट्रीय महत्व के संस्थान" हैं। 2018 तक, सभी 23 आईआईटी में स्नातक कार्यक्रमों के लिए सीटों की कुल संख्या 11,279 है।[१][२]
संस्थान
संस्थानों का एक विवरण :
इतिहास
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की स्थापना का इतिहास ईसवी सन १९४६ को जाता है जब जोगेंद्र सिंह नें भारत में उच्च शिक्षा के संस्थानों की स्थापना के लिए एक समिति का गठन किया। [९]नलिनी रंजन सरकार की अध्यक्षता में गठित समिति नें भारत भर में ऐसे संस्थानों के गठन की सिफ़ारिश की। इन सिफ़ारिशों को ध्यान में रखते हुए पहले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना कलकत्ता के पास स्थित खड़गपुर में १९५० में हुई। शुरुआत में यह संस्थान हिजली कारावास में स्थित था। १५ सितंबर १९५६ को भारत की संसद नें "भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान अधिनियम" को मंज़ूरी देते हुए इसे "राष्ट्रीय महत्व के संस्थान" घोषित कर दिया।
इसी तर्ज़ पर अन्य संस्थानों की स्थापना बंबई (१९५८), मद्रास (१९५९), कानपुर (१९५९), तथा नई दिल्ली (१९६१) में हुई। असम में छात्र आंदोलन के चलते तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गान्धी नें असम में भी एक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना का वचन दिया जिसके परिणामस्वरूप १९९४ में गुवाहाटी में आई आई टी की स्थापना हुई। सन २००१ में रुड़की स्थित रुड़की विश्वविद्यालय को भी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान का दर्जा दिया गया।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की महत्ता
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में शिक्षित अभियंताओं तथा शोधार्थियों की पहचान भारत में ही नहीं पुरे विश्व में है। यद्यपि, यह पहचान मुख्यतः उन अभियंताओं से है, जिन्होने यहाँ से स्नातक की उपाधि प्राप्त की है।इन संस्थानों की प्रसिद्धी के कारण, भारत में अभियांत्रिकी की पढाई करने का इच्छुक प्रत्येक विद्यार्थी इन संस्थानों में प्रवेश पाने की 'महत्वाकांक्षा' रखता है।इन संस्थानों में स्नातक स्तर की पढाई में प्रवेश एक संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) के आधार पर होता है। यह परीक्षा बहुत ही कठिन मानी जाती है और सिर्फ इस परीक्षा की तयारी के लिए देश भर में हजारों शिक्षण संस्थाए चलाये जा रहे हैं। इन संस्थानों की कभी कभी आलोचना की जाती है कि भारत की जनता के मेहनत की कमाई के पैसों से पढकर निकलने वाले पैसा कमाने के लालच में स्वदेश छोडकर किसी अन्य देश में चले जाते हैं, जिसके कारण इससे भारत को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाता है।
इन्हें भी देखें
- राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान
- अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान
- भारतीय प्रबन्धन संस्थान
- आईआईटी संयुक्त प्रवेश परीक्षा
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में केंद्रीय संस्थाएं : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थाएं (IITs)
- आई आई टी कानपुर
- आई आई टी दिल्ली
- आई आई टी रुड़की
- आई आई टी मुंबई
- आई आई टी गुवाहाटी
- आई आई टी खड़गपुर
- आई आई टी चेन्नई
- आई आई टी हैदराबाद
- आई आई टी रोपड़
- आई आई टी (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) वाराणसी
समाचार
- आईआईटी-आईआईएम की फैकल्टी में दम नहीं, छात्रों के बूते है इनका नाम : जयराम रमेश
- आईआईएम और आईआईटी ने भारत को बर्बाद किया है
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का गलत प्रयोग;IIT Act As amended till 2012
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का गलत प्रयोग;hindustantimes.com
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