गोरखा युद्ध
गोरखा के एक महान् लडाकु | |
साल | सन् १८१४ से १८१६ तक |
स्थान | नेपाल |
परिणाम | सुगौली संधि |
झण्डा | ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी |
झण्डा | नेपाल अधिराज्य |
ब्रिटिश कमाण्डर | फ्रान्सिस् रडन् हेस्टिं डेबिड् अक्टरलोनी बेनेट् मार्-ली जोन् सुलिवान् वुड् |
नेपाली कमाण्डर | भीमसेन थापा अमर सिंह थापा बलभद्र कुँवर भक्ति थापा रणजोर सिँह थापा |
ब्रिटिश सेना | ३४००० |
नेपाली सेना | १२००० |
ब्रिटिश पक्ष हताहत | अज्ञात |
नेपाली पक्ष हताहत | अज्ञात |
सन् १८१४ से १८१६ चला अंग्रेज-नेपाल युद्ध (गोरखा युद्ध) उस समय के नेपाल अधिराज्य (वर्तमान संघीय लोकतांत्रिक गण राज्य) और ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के बीच में हुआ था। जिसका परिणाम सुगौली संधि में हुई और नेपाल ने अपना एक-तिहाई भूभाग ब्रिटिश हुकुमत को देना पडा। इस युद्धसे अमर सिंह थापा, बलभद्र कुँवर एवम् भक्ति थापाके शौर्य, पराक्रम एवम् राष्ट्रप्रेम के कहानी अंग्रेजी राज्योमे प्रचलित हुआ था।
ऐतिहासिक पृष्टभूमि
शताव्दियों से काठमाडौं उपत्यका के तीन अधिराज्य १. काठमाडौं २. पाटन ३. भादगाउँ (वर्तमान में भक्तपुर) बाहरी खतरा को बिना भांपे आपस्त में लडाईं करते रहे| इसी संकीर्णता के कारण सन् १७६९ में इस काठमाडौं उपत्यका में गोरखा के राजा पृथ्वीनारायण शाह ने आक्रमण कर कब्जा किया, फलस्वरुप वर्तमान नेपाल देश की स्थापना हुई।
सन् १७६७ में वहां के राजाओं ने ब्रिटेन अधिराज्य के विरुद्ध लडाईं करने के लिये गोरखा राज्य से सहायता मागे| कप्तान किन्-लोक् के नेतृत्व में २५०० सेना विना तैयारी लडाईं के लिये भेजे गए| चढाई विपत्ति जनक हुई, ब्रिटिश की कमजोर सेनाको गोरखा सेना ने आसानी से जीत लिया। काठमाण्डु उपत्यका के इस विजय के बाद सम्पूर्ण क्षेत्र के लिये गोरखा शासन ने अन्य क्षेत्रों के लिये विस्फोटक शुरुवात किया। सन् १७७३ मा गोरखा सेना ने पूर्वी नेपाल पर कब्जा किया और सन् १७८८ में सिक्किम के पश्चिमी भाग में अधिकार जमाया| पश्चिम के तरफ महाकाली नदी तक सन् १७९० में लिया। इस के बाद सुदूर पश्चिम कुमाउ क्षेत्र और इसकी राजधानी अलमोरा समेत गोरखा राज्य में मिलाया गया|
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लडाई
प्रथम अभियान
द्वितीय अभियान
प्रथम आँग्ल-नेपाल युद्ध सीमा विवाद को लेकर प्रारम्भ हुए इस और इस युद्ध का समापन 1816 में संगोली की सन्धि से हुआ।इस सन्धि के द्वारा काठमांडू में एक ब्रिटिश रेजिडेंस स्थापित हो गया।
गोर्खा भर्ती
स्रोत
- Gould, Tony. Imperial Warriors – Britain and the Gurkhas, 2000,Granta Books ISBN 1-86207-365-1