अक्ष शक्तियाँ
अक्ष शक्तियाँ Achsenmächte 枢軸国 Potenze dell'Asse | |||||
सैन्य गुट | |||||
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राजधानी | निर्दिष्ट नहीं | ||||
Political structure | सैन्य गुट | ||||
ऐतिहासिक युग | दूसरा विश्वयुद्ध | ||||
- | स्थापित | 1940 | |||
- | अंत | 1945 |
अक्ष शक्तियाँ या ऐक्सिस शक्तियाँ या धुरी शक्तियाँ (साँचा:lang-en,साँचा:lang-de, साँचा:lang-ja Sūjikukoku, साँचा:lang-it) उन देशों का गुट था जिन्होनें दूसरे विश्वयुद्ध में जर्मनी और जापान का साथ दिया और मित्रपक्ष शक्तियों (ऐलाइड शक्तियों) के ख़िलाफ़ लड़े।
मध्य १९३० में अपने साम्राज्यवादी हितों को बचाए रखने के लिए जर्मनी, इटली और जापान द्वारा किए गये कूटनीतिक प्रयासों से अक्ष शक्तियों का उदय हुआ। अक्ष शक्तियों का गुट सन् १९३६ में तब शुरु हुआ जब जर्मनी ने जापान और इटली के साथ साम्यवाद विरोधी संधियों पर दस्तख़त किये। रोम-बर्लिन १९३९ स्टील संधि के अन्तर्गत सामरिक गुट बन गये, १९४० के ट्राइपर्टाइल संधि के साथ जर्मनी और उसके गुट के दोनो मित्र देशो के सामरिक लक्ष्य एक हो गये। दूसरे विश्वयुद्ध में अपने चरम पर अक्षीय शक्तियों ने यूरोप, अफ़्रीका और पूर्वी व दक्षिण-पूर्वी एशिया के बड़े हिस्सों पर कब्जा किया। १९४५ में जाकर मित्रपक्ष शक्तियों की जीत होने पर अक्ष शक्तियों का गुट ख़त्म हो गया। युद्ध के दौरान अक्ष दल बदलता रहा क्योंकि कुछ राष्ट्र इसके अन्दर-बाहर आते और जाते रहे।[१]
उद्गम व स्थापना
धुरी शब्द सबसे पहले इटली के प्रधानमंत्री बेनितो मुसोलिनी ने जर्मनी-इटली के सम्बन्धों के परिपेक्ष्य में इस्तेमाल किया था, जब उन्होने रॉबर्टो सुस्टर के जर्मेनिया रिपब्लिका के आलेख में लिखा इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस समय यूरोपिय इतिहास की धुरी/अक्ष बर्लिन से गुजर रही है। (non v'ha dubbio che in questo momento l'asse della storia europea passa per Berlino)।[२][३]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ जर्मनी एन्ड एक्सिस पॉवर्स फ्रॉम कोलिज़न टू कोलैप्स, आर.एल. डीनार्डो, कन्सास विश्वविद्यालय प्रेस, २००५, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-7006-1412-7
- ↑ Martin-Dietrich Glessgen and Günter Holtus, eds., Genesi e dimensioni di un vocabolario etimologico, Lessico Etimologico Italiano: Etymologie und Wortgeschichte des Italienischen (Ludwig Reichert, 1992), p. 63.
- ↑ डी.सी. वॉट, "द रोम-बर्लिन एक्सिस, 1936–1940: मिथ & रियाल्टी", द रिव्यु ऑफ पॉलिटिक्स, 22: 4 (1960), pp. 530–31.